जानिए, सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहकर खारिज की गैरसैंण को राजधानी बनाने की याचिका

कोर्ट ने कहा कि हमारी सुविचारित राय है कि ये नीतिगत निर्णय है, जिनके बारे में न्यायालय कोई निर्देश नहीं दे सकता है. अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका खारिज की जाती है. कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ये राजनीतिक फैसले हैं

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 2, 2020, 11:26 PM IST
    • कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ये राजनीतिक फैसले हैं जिनके बारे में वह कोई निर्देश नहीं दे सकता
    • इसी साल मार्च में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा की गई थी
जानिए, सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहकर खारिज की गैरसैंण को राजधानी बनाने की याचिका

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने गैरसैंण को उत्तराखंड की राजधानी घोषित करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में प्रताप नगर को नया जिला घोषित करने की भी मांग की गई थी. न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये इस मामले की सुनवाई की. 

यह कहकर खारिज की याचिका
कोर्ट ने कहा कि हमारी सुविचारित राय है कि ये नीतिगत निर्णय है, जिनके बारे में न्यायालय कोई निर्देश नहीं दे सकता है. अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका खारिज की जाती है. कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ये राजनीतिक फैसले हैं जिनके बारे में वह कोई निर्देश नहीं दे सकता. देहरादून के रहने वाले एक शख्स ने ये याचिका दायर की थी.

सीएम ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी किया था घोषित
इसी साल मार्च में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा की गई थी. सीएम रावत ने राज्य विधानसभा में बजट भाषण समाप्त करने के तुरंत बाद इसकी घोषणा की थी.

इस दौरान उन्होंने कहा था कि राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी के लिये गैरसैंण में युद्धस्तर पर बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करने की आवश्यकता है.

उत्तराखंड बनने के साथ ही जन्मा है राजधानी विवाद
उत्तरप्रदेश से एक अलग राज्य उत्तराखंड बनाने के साथ ही उसकी राजधानी गैरसैंण को बनाने की मांग उठने लगी थी. राज्य आंदोलनकारियों और उत्तराखंड क्रांति दल ने समय-समय पर इसकी मांग के लिए आंदोलन तेज किया.

उनका अलग राज्य गठन का ये संघर्ष 9 नवंबर 2000 को खत्म हुआ और उत्तराखंड को राज्य का दर्जा मिला. हालांकि फिर उत्तराखंड की राजधानी गैरसैंण न होकर देहरादून(अस्थाई) बन गई. 

राजनीति और चुनावों का मु्द्दा भी है राजधानी बदलाव
देहरादून राजधानी बनी तो एक बार फिर से आंदोलन शुरू हुए. इन आंदोलनों का मुद्दा राजधानी बदलने की मांग थी. इसके बाद राज्य आंदोलनकारियों ने 'पहाड़ी प्रदेश की राजधानी पहाड़ हो' का नारा बुलंद किया. इसलिए गैरसैण को जनभावनाओं की राजधानी भी कहा जाने लगा.

अलग राज्य बनने के बाद गैरसैंण की धरती पर भी राजधानी के लिए कई आंदोलन शुरू हुए और समय के साथ इसकी मांग भी तेज होने लगी. इसके बाद प्रदेश में सरकारें बदली और गैरसैंण राजधानी का सपना भी जनता को दिखाया गया, लेकिन ये हकीकत नहीं बन पाया. इसे मुद्दा बनाकर राजनीतिक दल हमेशा अपनी राजनीति चमकाते रहे हैं. 

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साठ के दशक में पहली बार उठी थी मांग
गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग साठ के दशक में पहली बार उठी थी. इस मांग को उठाने वाले पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली थे. यही वजह रही कि उत्तराखंड क्रांति दल ने उस दौर में गैरसैंण को गढ़वाली के नाम पर ही चंद्रनगर रखा था.

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को निरस्त करके एक बार फिर गेंद राजनीतिक पाले में डाल दी है, देखना यह है कि अब राजधानी का ये दांव-पेंच क्या रुख-रंग दिखाएगा. 

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