Farmer Protest: तीनों कृषि कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

किसान आंदोलन पर देश की सर्वोच्च अदालत में अहम सुनवाई हुई, अदालत ने तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी

नवीनतम अद्यतन

  • सिंघु बॉर्डर पर हुई बैठक में किसान मोर्चा ने फैसला लिया और संयुक्त किसान मोर्चा ने कोर्ट के फैसले को फिर ठुकरा दिया है.

  • किसान नेता दर्शनपाल ने कहा कि 'कोर्ट के जरिये सरकार अपने कंधे से बोझ उतारना चाहती है. कोर्ट की कॉपी हमें नहीं मिली है, सरकार की शरारत है. हम ऐसी कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे. हमारा प्रदर्शन ऐसे ही चलता रहेगा, कमेटी में सरकार के ही लोग हैं.'

  • सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा है कि अगले आदेश तक नए कानूनों के अमल पर रोक रहेगी. फिलहाल MSP व्यवस्था बनी रहे, जमीन की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. 4 सदस्यीय कमेटी 10 दिन में काम शुरू करे. इसके 2 महीने में रिपोर्ट दे. कमेटी के खर्च केंद्र सरकार उठाए. अगली सुनवाई 8 हफ्ते बाद होगी.

  • किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट के लिखित आदेश की कॉपी आई. सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में साफ तौर पर कहा है कि यह अभूतपूर्व स्थिति है. जब सुप्रीम कोर्ट ने किसी कानून के अमल पर रोक लगाई हो, लेकिन ऐसा सिर्फ इस वजह से किया गया है जिससे कि गतिरोध खत्म हो और किसान नेता आंदोलनकारी किसानों को समझा सके और उनको आंदोलन स्थल से घर वापस भेजें.

  • सुप्रीम कोर्ट के तीनों कृषि कानून पर स्टे लगाने के फैसले के बाद दिल्ली-नोएडा चिल्ला बॉर्डर पर किसानों ने किया रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया. हारमोनियम और तबले की धुन पर तेज आवाज में स्पीकर बजा कर गायकी की गई.

  • किसान संगठनों के सूत्रों के हवाले से बड़ी जानकारी सामने आई है कि महिलाओं-बच्चों को आंदोलन से वापस भेजा जा सकता है. उन्हें घर भेजने पर किसान विचार कर सकते हैं. किसानों की बैठक में कई अहम फैसले संभव हैं.

  • किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि 'माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे हैं. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाए जाने की सिफारिश की थी, देश का किसान इस फैसले से निराश है.'

  • केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर लिखा कि 'किसान हित हेतु PM नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) जी द्वारा किए गए प्रयासों से पिछले वर्ष की तुलना में 11 जनवरी तक 26% अधिक, कुल 541 LMT धान की खरीद हुई. इसी अवधि में एक लाख करोड़ रुपये से भी अधिक के भुगतान से करीब 72 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं. किसानों के हित के लिए MSP है, और MSP रहेगा.'

  • केंद्रीय राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि 'हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने जो भी फैसला किया है, वह हमारे लिए सर्वमान्य है. कानून पर रोक लगाने की बात हो या कमेटी गठन की बात हो हमें दोनों फैसले मंजूर है. सरकार हमेशा किसानों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है और हमेशा तैयार रहेगी. हमने हमेशा किसानों के हित में काम किया और करते रहेंगे. किसानों के साथ बैठकर पूरी बातचीत करने में हमें कोई आपत्ति ना थी ना है ना होगी.'

  • ज़ी हिन्दुस्तान को मिली Exclusive जानकारी के अनुसार इस कमेटी में 4 सदस्य होंगे. कमेटी में भूपिंदर सिंह मान, प्रमोद जोशी, अशोक गुलाटी और अनिल धनवंत कमिटी के सदस्य होंगे.

    कमिटी के सदस्य EXCLUSIVE

    - भूपिंदर सिंह मान, प्रेसीडेंट, बीकेयू
    - डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, रिसर्चर 
    - अशोक गुलाटी, एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स
    - अनिल धनवट, शेतकारी संगठन महाराष्ट्र

  • कानूनों पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी का भी गठन किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कमेटी में कौन होगा कौन नही ये हम तय करेंगे.

  • सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर आदेश सुनाया और तीनों कृषि कानून के अमल पर रोक लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगले आदेश तक कानून पर रोक लगाई जाती है.

  • केंद्र सरकार ने कहा कि IB रिपोर्ट के आधार पर हम इसकी पुष्टि कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मसले पर बुधवार तक हलफनामा दाखिल करने को कहा.

  • CJI ने कहा कि रैली के लिए प्रशासन को आवेदन दिया जाता है, पुलिस शर्तें रखती हैं, पालन न करने पर अनुमति रद्द करती है, क्या किसी ने आवेदन दिया? CJI ने केंद्र सरकार से पूछा कि एक याचिका में कहा गया है कि कुछ बैन संस्था किसान आंदोलन को समर्थन कर रही हैं, क्या आप इस आरोप की पुष्टि कर सकते हैं?

  • CJI ने पूछा कि क्या किसी संगठन ने दिल्ली के राम लीला मैदान में प्रदर्शन की इजाजत मांगी थी? विकास सिंह ने कहा कि पुलिस ने उन्हें दिल्ली में आने की इजाजत नहीं दी थी. CJI ने पूछा कि क्या आपने अर्जी दी थी? विकास सिंह ने बताया कि मेरी जानकारी में नहीं है.

  • याचिककर्ता की तरफ से विकास सिंह ने कहा कि प्रदर्शन में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है. प्रदर्शनकारियों को एक बड़ा इलाका दिया जाए ताकि वो विजिबल हो. CJI ने पूछा कि कौन सी जगह? विकास सिंह ने राम लीला मैदान का नाम सुझाया.

  • याचिककर्ता के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि किसानों के वकील दवे, फुल्का, प्रशांत और कोलिन पेश नहीं हुए. CJI ने पूछा कि ये सारे कहां गए? साल्वे ने कहा कि वो कोर्ट के समक्ष पेश नहीं हुए. हरीश साल्वे ने कहा कि ये चारों वकील जो कह रहे थे कि वो 400 किसान संगठनों की तरफ से पेश हुए हैं, आज नहीं आए ये चिंता की बात है. सिख फॉर जस्टिस के प्रदर्शन में शामिल होना चिंता की बात है, क्योंकि ये संगठन खालिस्तान की मांग करता है. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कमेटी के स्वागत किया.

  • किसान संगठन के वकील एपी सिंह ने कहा कि हमारे संगठन में बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं आंदोलन में हिस्सा नहीं लेंगे. CJI ने कहा कि हम आपके बयान को रिकॉर्ड पर ले रहे हैं.

  • तमिलनाडु के किसान संगठन ने कहा कि वह कृषि कानून का विरोध करते हैं और कानून रद्द करने की मांग करते है. CJI ने कहा कल AG ने हमको बताया कि दक्षिण भारत के किसान कानून का समर्थन कर रहे हैं. इस पर वकील ने कहा कि ऐसा नहीं है, तमिलनाडु में भी किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं.

  • CJI ने कहा कि हम कानून के अमल पर रोक लगाएंगे, लेकिन ये अनिश्चितकाल के लिए नहीं है. हमारा मकसद सिर्फ सकारात्मक माहौल बनाना है. उस तरह की नकारात्मक बात नहीं होनी चाहिए जैसी याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने आज सुनवाई के शुरू में की. दरअसल, एमएल शर्मा ने कहा था कि किसान कमेटी के पास नहीं जाएंगे और कानून रद्द हो.

  • CJI ने कहा कि सुनने में आ रहा है कि गणतंत्र दिवस कार्यक्रम को बाधित करने की तैयारी है. सवाल है कि लोग हल चाहते हैं या समस्या बनाए रखना चाहते हैं. अगर हल चाहते हैं तो यह नहीं कह सकते कि कमेटी के पास नहीं जाएंगे.

  • एमएल शर्मा ने कहा कि किसान यह भी कह रहे हैं कि सब आ रहे हैं, पीएम बैठक में क्यों नहीं आते? CJI ने कहा कि हम पीएम को नहीं कहेंगे कि वह बैठक में आएं. सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि कृषि मंत्री बात कर रहे हैं और ये उनका विभाग है.

  • याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने कहा कि कोर्ट ही हम सबकी आखिरी उम्मीद है. CJI ने कहा कि जो वकील हैं, उन्हें न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए. ऐसा नहीं हो सकता कि जब आदेश सही न लगे तो अस्वीकार करने लगें. एमएल शर्मा ने कहा कि मैंने पूर्व CJI खेहर समेत कुछ नाम सुझाए हैं. CJI ने कहा कि बाकी लोग भी सुझाएं, हम विचार करेंगे.

  • CJI ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह कोई राजनीति नहीं है, हम समस्या का समाधान चाहते हैं. हम जमीनी हकीकत जानना चाहते हैं, इसीलिए कमेटी का गठन चाहते हैं.

  • CJI ने कहा कि कल किसानों के वकील दवे ने कहा कि किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली नहीं निकालेंगे. अगर किसान सरकार के समक्ष जा सकते हैं तो कमेटी के समक्ष क्यों नहीं? अगर वो समस्या का समाधान चाहते हैं तो हम ये नहीं सुनना चाहते कि किसान कमेटी के समक्ष पेश नहीं होंगे.

  • एमएल शर्मा ने कहा कि किसान कल मरने की बजाय आज मरने को तैयार हैं. CJI ने कहा कि हम इसे जीवन-मौत के मामले की तरह नहीं देख रहे. हमारे सामने कानून की वैधता का सवाल है. कानूनों के अमल को स्थगित रखना हमारे हाथ में है. लोग बाकी मसले कमेटी के सामने उठा सकते हैं.

  • याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने ये भी कहा कि किसान किसी कमेटी के सामने नहीं जाना चाहते, सिर्फ कानूनों को रद्द करवाना चाहते हैं. किसानों को कॉरपोरेट हाथों में छोड़ देने की तैयारी है. जमीन छीन ली जाएगी. CJI ने कहा कि हम अंतरिम आदेश में कहेंगे कि जमीन को लेकर कोई कांट्रेक्ट नहीं होगा.

  • CJI ने कहा कि कमेटी हम अपने लिए बना रहे हैं. कमेटी हमें रिपोर्ट देगी. कमेटी के समक्ष कोई भी जा सकता है. हमें कल बताया गया कि 400 किसान संगठन है.

  • किसान संगठन के चारों वकीलों प्रशांत भूषण, दुष्यंत दवे, एचएस फुल्का, कोलिन गोंजाल्विस आज की सुनवाई में नहीं हैं.

  • वकील एमएल शर्मा ने बहस की शुरुआत की और उन्होंने कहा कि मैंने किसानों से बात की. किसान कमिटी के समक्ष पेश नहीं होंगे, किसान कानून को रद्द करना चाहते हैं.

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