लखनऊ: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मामला फिर कोर्ट में पहुंच गया है. याचिका में सिविल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है. इस मामले में कोर्ट ने 16 अक्टूबर को सुनवाई की अगली तारीख दी. सबसे पहले इस मामले से जुड़ी 10 बड़ी जानकारी से आपको रूबरू करवाते हैं.
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला: 10 बड़ी जानकारी
1. मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मामला फिर कोर्ट में
2. मथुरा की ज़िला कोर्ट में आज 2 घंटे सुनवाई हुई
3. कोर्ट ने 16 अक्टूबर को सुनवाई की अगली तारीख दी
4. याचिका में सिविल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है
5. हिंदू पक्ष ने 13.37 एकड़ जन्मभूमि पर स्वामित्व मांगा
6. जमीन को लेकर 1968 के समझौते को गलत बताया
7. कृष्ण जन्मस्थान से शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग
8. याचिका में कहा गया- ये भूमि कृष्ण भक्तों के लिये पवित्र
9. हिंदू पक्ष से हरि शंकर जैन और विष्णु जैन ने पक्ष रखा
10. 27 सितंबर को पहली याचिका खारिज कर दी गई थी
हिंदू पक्ष की याचिका में क्या है?
याचिका में कहा गया है कि 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व वापस सौंपा जाए. यहीं पर कंस की कारागार थी. यहां श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर था. मुगलों ने शाही ईदगाह मस्जिद बनवा दी. हिंदू पक्ष श्रीकृष्ण जन्म स्थान से मस्जिद का कब्जा हटाया जाए.
हिंदू पक्ष ने 13.37 एकड़ जन्मभूमि पर स्वामित्व मांगा है. जमीन को लेकर 1968 के समझौते को गलत बताया गया है साथ ही कृष्ण जन्मस्थान से शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि ये भूमि कृष्ण भक्तों के लिये पवित्र है. यहां आपका ये भी जानना जरूरी है कि मथुरा की अदालत ने याचिका क्यों खारिज की है?
मथुरा की अदालत ने क्यों खारिज की याचिका?
कहा गया है कि विश्व में भगवान कृष्ण के असंख्य भक्त हैं. हर श्रद्धालु याचिका करेगा तो न्याय व्यवस्था चरमरा जाएगी. सिर्फ भक्त होने के नाते भगवान की तरफ से याचिका का हक नहीं है. इसी का हवाला देते हुए सिविल कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर दायर हुई याचिका को खारिज कर दिया.
वर्शिप एक्ट 1991 क्या है?
पूजा स्थान एक्ट 1991 की धारा 4 पर विवाद है. 15 अगस्त 1947 वाली स्थिति बनाए रखने की बात कही गई. विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ ने याचिका दी. सुप्रीम कोर्ट से सेक्शन-4 को रद्द करने की मांग की गई है. मंदिरों को अतिक्रमण मुक्त कराने से कानून रोकता है. याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपील की है. जमीयत की याचिका पर विचार नहीं करने की अपील की गई है.
मथुरा कृष्ण जन्मभूमि विवाद
हिन्दु पक्ष का कहना है कि पूरी ज़मीन हिंदुओं के लिये पवित्र है, जबकि मुस्लिम पक्ष का आरोप है कि विवाद 1968 में सुलझ गया था.
हिन्दु पक्ष का मानना है कि वर्ष 1968 का समझौता गलत था, जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि विवाद को फिर ज़िंदा की कोशिश की जा रही है.
हिन्दु पक्ष के अनुसार कृष्ण जन्मस्थान ईदगाह के नीचे है, जबकि मुस्लिम पक्ष का मानना है कि प्लेसेज़ ऑफ वर्शिप एक्ट माना जाए.
ये सही है कि हमारा देश सेक्युलर है, लेकिन क्या इसका मतलब ये है कि देश के बहुसंख्यकों यानी करोड़ों हिंदुओं के अराध्य की जन्मभूमि पर मजहबी अतिक्रमण बना रहेगा, क्या भगवान राम को जैसे 497 वर्षों बाद उनका धाम मिला, क्या वैसे ही सदियां लग जाएंगी भगवान श्री कृष्ण को भी न्याय मिलने में क्योंकि तारीख के बाद तारीख मिलने का सिलसिला मथुरा में भी शुरू हो गया है, और काशी में देवों के देव महादेव के मुकदमे की भी यही स्थिति है.
सवाल नंबर 1. अब भगवान कृष्ण को तारीख पर तारीख?
सवाल नंबर 2. कोर्ट में भगवान, यही 'सेक्युलर' हिंदुस्तान?
सवाल नंबर 3. अयोध्या के बाद काशी-मथुरा पर 'धर्म'युद्ध?
सवाल नंबर 4. मथुरा-काशी में भगवान को 'न्याय' कब?
सवाल नंबर 5. मंदिरों की 'मर्यादा' कब लौटेगी वापस?
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