`दहेज मुक्त` बिहार का खौफनाक सच: CM नीतीश की भी नहीं सुनती बेगूसराय पुलिस!
बिहार की बेटियों में खौफ पसरा हुआ है, क्योंकि एक सुहागन को चंद रुपयों की खातिर उसके पति और ससुराल वाले मिलकर मौत की नींद सुला देते हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी दहेज मुक्त बिहार के वादे करते हैं और उनकी लापरवाह पुलिस इन वादों पर ग्रहण लगा देती है. आराधना को इंसाफ दिलाने के लिए सीएम के रिमाइंडर के बावजूद उसके हत्यारों के खिलाफ अबतक चार्जशीट नहीं दायर की गई. क्या बेगूसराय पुलिस हत्यारों को बचा रही है?
नीतीश कुमार जी, जरा ध्यान दीजिए.. आपकी पुलिस थोड़ी लापरवाह हो गई है. उसे आपके आदेशों से भी कोई लेना-देना नहीं है. आप अपनी सरकार में बड़े-बड़े वादे करते हैं, बेटियों की सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे करते हैं, पर अफसोस ये है कि आपकी पुलिस को आपके वादों और दावों की धज्जियां उड़ाने में बड़ा मजा आता है. तभी तो आपके रिमाइंडर के बाद भी बेगूसराय की लापरवाह पुलिस कातिलों के खिलाफ चार्जशीट तक नहीं दायर करती है.
'हत्यारे' जेल से निकल जाएंगे, तो जिम्मेदार कौन?
कानून व्यवस्था के मोर्चे पर आलोचना झेल रहे बिहार के सीएम नीतीश कुमार के वादों की दुश्मन उनकी ही पुलिस है. जिस आराधना ने अपने सुहाग को देवता माना, उसके नाम का सिंदूर लगाकर लंबी उम्र की कामना किया, उसी पति ने उसे बड़ी ही दरिंदगी से मार डाला. कातिल पति और सास भले ही पुलिस के चुंगल में हैं, लेकिन ऐसा लग रहा है कि बेगूसराय की पुलिस इन दोनों हत्यारों को बचाने में जुटी हुई है. ये लिखने के पीछे हमारा मकसद बेवजह सवाल खड़ा करना कतई नहीं है, क्योंकि पुलिस की लापरवाही इससे समझी जा सकती है कि इस मामले में करीब तीन महीने बीत जाने के बाद भी पुलिस ने चार्जशीट दायर नहीं की है. शुक्रवार को दहेज हत्या के मामले में पीड़ित परिवार ने शिकायत की, तो नीतीश ने एसपी-डीएम के साथ ही डीजीपी को फौरन रिमाइंडर भेज दिया. पुलिस के रवैये से ऐसा नहीं लग रहा है कि उन्हें सीएम के आदेश से भी कोई मतलब है. पुलिस सिर्फ और सिर्फ अपनी मनमानी कर रही है.
बिहार के मुख्यमंत्री ने दहेज लोभियों का शिकार बनी आराधना की हत्या मामले में राज्य के डीजीपी, बेगूसराय के डीएम और एसपी को रिमाइंडर भेजा है. पीड़ित परिवार की तरफ से 90 दिन की तय समय सीमा में चार्जशीट दाखिल नहीं करने की आशंका जाहिर की गई थी. इसको लेकर आराधना के भाई अमित ने सीएम को पत्र लिखा था, जिसमें समय पर चार्जशीट दाखिल करने की कार्रवाई पूरी करने की मांग की गई थी. आरोप पत्र दायर करने की सीमा 27-28 जनवरी की है, लेकिन पुलिस ने तो अब सीएम साहब के आदेशों की भी धज्जियां उड़ानी शुरू कर दी. रिमाइंडर के बाद भी चार्जशीट दायर करने में पुलिस आना-कानी कर रही है. पुलिस को उस 4 साल की बेटी के दर्द का अंदाजा नहीं है, जो अपनी मां के लिए इंसाफ मांग रही है.
4 साल की मासूम की इंसाफ की जंग
वह बच्ची चीख-चीख कर कह रही है, पापा ने मम्मी को मार डाला. पापा ने मम्मी के गले का मैल छुड़ा दिया. दादी ने कहा कि घर में आग लगा दो. सुमन दीदीया, ईशु दीदीया, सभी दीदीया भाग गई.
जयति ने मां की गोद हमेशा के लिए खो दी है. इसे नहीं पता कि मौत के बाद कोई लौटकर वापस नहीं आता. 4 साल की मासूम ने अपनी आंखों के सामने मां की हत्या का खौफनाक मंजर देखा. बाद में मां को अस्पताल ले जाते देखा, इसके बाद जयति ने मां को फिर नहीं देखा. इसे अब भी यकीन है कि एक दिन उसकी मम्मी अस्पताल से जरूर वापस लौटेगी और फिर सब कुछ ठीक हो जाएगा. जयति के लिए ये दीपावली भी इंतजार में कटी थी. मां के लाए दिए को उसकी तस्वीर के सामने जलाकर इस मासूम ने बार-बार कहा था कि मां जल्द वापस लौट आओ, काश ये सच हो जाता.. मगर इस मासूम को पता नहीं नहीं है कि ये अब मुमकिन नहीं है.
आराधना का 'गुनाह' यही था कि उसने अपने पति को परमेश्वर समझा
जयति ने पिता को मां का गला दबाते देखा था. तब आरोपियों ने उसे समझाया कि पापा मम्मी के गले का मैल छुड़ा रहे हैं. मासूम ये बात बार-बार दोहराती है. बावजूद इसके गिरफ्तार पति और दादी के खिलाफ अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है. मासूम बार-बार पूछती है कि पापा, दादी और बुआ ने मम्मी को क्यों मारा-पीटा था? पुलिस अंकल उन्हें कब सजा दिलाएंगे, अब इस सवाल का जवाब बेगूसराय की पुलिस को देना है.
इंसाफ की इंतजार में आराधना का परिवार
4 भाई बहनों में सबसे छोटी आराधना पूरे घर की लाडली थी. शादी के वक्त घरवालों ने बड़ी उम्मीद के साथ बेटी आराधना को विदा किया था. भरोसा था कि अब वो अपने ससुराल में बेहद खुश रहेगी, लेकिन दहेज के लालची ससुरालवालों ने इस पर ग्रहण लगा दिया. आराधना की 11 जून 2015 को बेगूसराय के पोखरिया के मनीष भैया से शादी हुई थी.
जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, उसके ससुराल वालों ने उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. सास, ससुर और ननदों ने दहेज की मांग को लेकर उसे जमकर प्रताड़ित किया. कई बार पीड़ित परिवार की तरफ से समझाने के बावजूद ये सिलसिला नहीं रुका. अगस्त 2020 में आराधना मायके पटना के पंडारक आ गई और फिर वापस ससुराल नहीं जाने और आरोपी परिवार के खिलाफ जल्द कानूनी कदम उठाने का मन बनाया. इस बीच 30 अक्टूबर को आरोपी पति मनीष मायके पंडारक पहुंच गया और पिता के बीमार होने की बात कहकर ससुराल चलने की बात कही. उसने आराधना और परिवार से वादा किया कि अब दहेज को लेकर प्रताड़ित नहीं करेंगे, लेकिन अगले ही दिन 31अक्टूबर को आराधना की हत्या कर दी गई. हत्या के बाद ससुराल वालों ने इसे खुदकुशी साबित करने की साजिश रची, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने हत्या पर मुहर लगा दी है.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या की पुष्टि
आराधना की 31 अक्टूबर 2020 को बेगूसराय नगर थाने के पोखरिया में हत्या कर दी गई थी, 4 साल की मासूम बेटी के सामने आराधना को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया था. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गला घोंटकर हत्या की पुष्टि हुई थी, लेकिन पुलिस है कि चार्जशीट की दायर नहीं कर रही. आराधना की 4 साल की मासूम बेटी जयति और आराधना की मां का दर्द हर दिन बढ़ता ही जा रहा है.
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पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या की पुष्टि के बावजूद इसके हत्या के 8 आरोपियों में से अब तक सिर्फ 2 को गिरफ्तार किया गया. करीब तीन महीने दिन बीत गए, लेकिन इन दो आरोपियों पर अब भी चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है.
90 दिन में चार्जशीट दाखिल करने की सीमा 27 से 28 जनवरी तक पूरी हो रही है. अगर तब तक चार्जशीट दाखिल नहीं हुई, तो गिरफ्तार आरोपी पति और सास भी जेल से बाहर आ जाएंगे. पीड़ित परिवार ने आईओ और बेगूसराय टाउन थाना की पुलिस पर आरोपियों से मिलीभगत का आरोप लगाया है. पीड़ित परिवार को आशंका है कि आईओ सिंटू कुमार झा की आरोपी परिवार से मिलीभगत है, इसलिए ये संभव है कि वो समय पर चार्जशीट दाखिल ना करे. पीड़ित परिवार ने बेगूसराय के वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर डीजीपी और मुख्यमंत्री तक समय पर चार्जशीट दाखिल करने की गुहार लगाई, मगर बेगूसराय की लापरवाह पुलिस सीएम की रिमाइंडर के बाद भी टाल मटोल करने में लगी हुई है.
बेटियों को इंसाफ नहीं, फिर कैसा सुशासन?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सुशासन की बात करते हैं, लेकिन एक हत्या के मामले में आरोप पत्र तक नहीं दायर किया जा रहा, उनकी पुलिस मनमानी कर रही है, बिहार की बेटी के हत्यारों को बचाने में जुटी है! लेकिन सरकार हाथ-पर-हाथ धरे बैठे हैं, तमाशबीन बने हुए हैं. आराधना के दिवंगत पिता सीएम नीतीश कुमार के पुराने मित्र भी थे. नीतीश कुमार को आराधना में बाऊजी की तरह ही समझा था, तो सीएम नीतीश कुमार जी की 'बेटी' को दहेज लोभियों ने मार डाला और नीतीश जी की पुलिस लापरवाही की हदें पार कर रही है.
नीतीश कुमार जी ने बिहार को दहेज मुक्त बनाने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने सपने देखे हैं, लेकिन उसके सपनों को मटियामेट करने पर बेगूसराय की पुलिस उतारू है. आराधना को इंसाफ दिलाने के लिए बेगूसराय की पुलिस की नींद कब खुलती है? ये पूरा बिहार, पूरे देश पूछ रहा है. क्योंकि दहेज एक अभिशाप है, दहेज एक जहर है, दहेज एक खंजर है, दहेज एक नीच सोच का परिणाम है, दहेज एक जंजाल है, दहेज बेटियों के लिए काल है. समाज में ऐसी हजारों आराधना हैं, जिन्हें ऐसे ही मौत के घाट उतार दिया जाता है. डीजीपी एस पी सिंघल साहब आप भी गौर करिए वरना आपकी पुलिस के कुछ लापरवाह अधिकारियों के चलते पूरा का पूरा महकमा सवालों के घेरे में है. पुलिस की लापरवाही से सिर्फ एक ही बात जेहन में आती है, शर्म करो, जागो.. वरना कानून से भरोसा ही उठ जाएगा.
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