आराधना का 'गुनाह' यही था कि उसने अपने पति को परमेश्वर समझा

चंद पैसों के लिए एक पति और ससुरालवालों ने आराधना को पहले खूब प्रताड़ित किया, दहेज के नाम पर हर रोज मारपीट की गई और एक दिन उसे बड़ी ही बेरहमी से मार डाला..

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Nov 1, 2020, 02:34 PM IST
  • दुल्हा खड़ा बाजार में.. बोली लगाओ
  • पहले शादी करो, फिर दहेज के लिए मार डालो
  • समाज के दरिंदों ने आराधना को मार डाला
आराधना का 'गुनाह' यही था कि उसने अपने पति को परमेश्वर समझा

एक विवाहित महिला की जिंदगी में सबकुछ उसका पति होता है. भारतीय संस्कृति में पति को परमेश्वर का दर्जा दिया गया है. लेकिन जब यही परमेश्वर हैवान बन जाए, तो उस महिला की जिंदगी एक अभिशाप बनकर रह जाती है. बिहार के बेगूसराय से एक ऐसी खबर सामने आई, जो पति पत्नी और शादी के बंधन से विश्वास उठा देगा. चंद कागज के नोटों के लिए एक विवाहित युवती को मौत के घाट उतार दिया गया.

पति और ससुरालवालों ने मार डाला

कहते हैं कि बहु-बेटी लक्ष्मी का रूप होती हैं. लेकिन इस देवी को जब सिर्फ उगाही का जरिया समझ लिया जाए, तो पूरी जिंदगी तबाह हो जाती है. ऐसी ही दर्दनाक कहानी 29 साल की आराधना कुमारी की है. जिसे बड़ी ही बेरहमी से उसके ही पति और ससुरालवालों ने मार डाला. उसकी चीख आज पूरे देश के कानों में गूंज रही होगी, क्योंकि समाज का ये गंदा चेहरा न जाने कितनी बहु-बेटियों की जिंदगी में ज़हर घोलने का काम करता है. आराधना की सिर्फ इतनी ही गलती थी कि वो एक बेटी थी, दहेज और कुछ पैसों के लिए उसको प्रताणित किया गया, उसे खूनी दरिंदों ने मार डाला. धिक्कार है, ऐसे समाज पर..

बिहार के बेगूसराय में 29 साल की विवाहित युवती की हत्या कर दी गई. हत्या का आरोप किसी और पर नहीं बल्कि पति, ससुरालवालों पर ही लगा है. आराधना के परिवार का कहना है कि दहेज के लिए उनकी बेटी को प्रताड़ित किया जाता था. 2015 में युवती की शादी हुई थी, पुलिस मामले की जांच में जुटी है.

मंगलसूत्र पहलाने वाला कैसे बना कातिल?

साल 2015 में आराधना ने जब दुल्हन का जोड़ा पहनकर, अपने पति से विवाह के बंधन में बंधने के लिए श्रृंगार किया होगा तो उसने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उसकी मांग में सिंदूर सजाने वाला, उसकी आंखों का काजल, उसके गले का मंगलसूत्र और उसकी हाथों की चूंड़ियां पहनाने वाला, सात फेरे लेकर सात वजन निभाने और सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा करने वाला उसका सुहाग ही उसकी जिंदगी तबाह कर देगा.

ये खूबसूरत सी तस्वीर 29 साल की आराधना कुमारी की है. जिसने अपनी जिंदगी में हजारों ख्वाब देखे थे. उसने पत्रकारिता में पीजी की पढ़ाई की थी और आगे बहुत कुछ करना चाहती थी, अपने जीवन को उज्ज्वल भविष्य के साथ जोड़ना चाहती थी. लेकिन शादी ने उसके सारे सपनों पर कालिख पोत दी. विवाह के साथ ही उसके सारे ख्वाब बिखरने लगे और एक दिन अचानक उसके मायके में फोन आता है कि वो मर गई... लेकिन सच तो ये है कि वो मरी नहीं उसे उसके ससुरालवालों ने गला घोंटकर मार डाला, आखिर में उसे सपने पूरे होने के बयाज दर्दनाक मौत नसीब हुई.

कैसे वारदात को दिया गया अंजाम? जानिए

पंडारक में रहने वाली आराधना की शादी 2015 में बेगूसराय के पोखरिया निवासी मनीष से हुई थी. आरोप है कि शादी के बाद से ही ससुराल में उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था, अक्सर उसके साथ मारपीट की जाती थी. परेशान होकर आराधना कुछ दिनों के लिए अपने मायके आ गई थी. एक दिन पहले ही पति उसे ससुराल वापस लेकर गया और फिर उसकी मौत की खबर आई.

आराधना के चेहरे पर चोट और कटे के कई निशान हैं. परिवार का आरोप है कि गला दबाकर हत्या से पहले उसके साथ मारपीट की गई. पीड़ित परिवार ने पति, सास-ननद के खिलाफ मारपीट के बाद हत्या का मामला दर्ज कराया है. जवान बेटी की मौत ने एक परिवार को अंदर तक झकझोर कर रख दिया है.

समाज में कितनी आराधना की होती है हत्या?

ये कोई पहली आराधना नहीं है, जिसे उसके अपने सुहाग और ससुरालवालों ने मार डाला है. इस समाज में दहेज एक ज़हर है, जो खत्म होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है. इस कुप्रथा को बढ़ावा देने से ऐसे हजारों अपराध सामने आते हैं.

दहेज एक अभिशाप है, दहेज एक ज़हर है, दहेज एक खंजर है, दहेज एक नीच सोच का परिणाम है, दहेज एक जंजाल है, दहेज बेटियों के लिए काल है. जी हां, उन मां-बाप को सावधान हो जाना चाहिए जो अपनी बेटी की शादी के लिए 40-50 लाख रूपये फूंक देते हैं. मुंहमांगी रकम दहेज में दे देते हैं. "दुल्हा खड़ा बाजार में, बोली लगाओ.."           जी हां, पढ़ने में शायद बहुत अजीब लगेगा लेकिन सच यही है कि आजकल शादी सिर्फ एक धंधे में तब्दील हो चुका है. मां-बाप बेटियों को लाखों रूपये देकर बेंच देते हैं. दुल्हा और उसके लालची परिवार को बहु सिर्फ एक ATM लगती है. जब-चाहे तब पैसे निकलवा लो, हम बेटियों के सशक्तिकरण की तो तरह-तरह की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. लेकिन ये भूल जाते हैं कि ऐसी कुप्रथा को हम ही बढ़ा रहे हैं.

लड़का हो या लड़की दहेज लोभियों को सिर्फ और सिर्फ सज़ा मिलनी चाहिए. समाज में किसी दूसरी आराधना को ऐसी यातनाओं का शिकार ना होना पड़े इसके लिए हर किसी को ये संकल्प लेना होगा कि दहेज ना लेंगे और ना ही देंगे. सिर्फ यही एक रास्ता है कि ऐसे पापियों को उसकी औकात दिखाई जाए.

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