उन्हें निर्भयाओं की देह दिखती है, अंतहीन दर्द नहीं दिखता !
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी NCRB का आंकड़ा है कि हिन्दुस्तान में हर दिन रेप-गैंगरेप की औसतन 87 वारदातें हो रही हैं. ये चौंकाने वाला साल 2019 का है और अब तो 2020 के भी गिने चुने महीने बचे हैं.
नई दिल्ली: NCRB के आंकड़े में ये भी खौफनाक हकीकत सामने है कि इस तरह की घिनौनी वारदातों पर पीड़ित और परिवार अब भी मुंह खोलने से बचते हैं क्योंकि न तो उन्हें सिस्टम से सपोर्ट की उम्मीद होती है, ना ही सरकारी कार्रवाइयों पर भरोसा होता है. यही नहीं, समाज से भी मरहम की उम्मीद बेमानी होती है, क्योंकि मर्दवादी सोच में ढली बड़ी आबादी ऐसी घटनाओं को लेकर जिस अंदाज में संवेदना जताती है, वो देह से लेकर मन के जख्मों को नये सिरे से कुरेद जाती है.
शहर-शहर 'निर्भया', शहर-शहर सवाल !
हाथरस की निर्भया की मौत के चौबीस घंटे के अंदर ही देश के अलग-अलग राज्यों में रेप और गैंगरेप की करीब दस वारदातों का खुलासा हुआ है। इनमें से कुछ घटनाएं ऐसी हैं जिस पर पीड़ित पक्ष इस उम्मीद में हिम्मत बटोर कर शिकायत के लिये सामने आया है कि हाथरस कांड ने सिस्टम पर जिस तगड़ा दबाव बनाया है, उसमें उन्हें भी इंसाफ मिल सकता है।
24 घंटे में 10 नये मामले सामने आए
हाथरस की निर्भया के इंसाफ की लड़ाई में अब देश की कई निर्भयाओं की आवाज मिल चुकी है. इंसाफ की गुहार लगाती ये आवाजें यूपी के बलरामपुर, बुलंदशहर, राजस्थान के जयपुर,सीकर, सवाई माधोपुर और अजमेर और मध्य प्रदेश के खरगोन और भोपाल से उठी हैं.
शहर-शहर 'निर्भया'- बलरामपुर, यूपी
हाथरस से करीब 500 किमी की दूरी पर बलरामपुर में 22 वर्षीय दलित युवती के साथ भी दरिंदों ने गैगरेप किया फिर उसकी बुरी तरह से पिटाई की, जिससे उसकी मौत हो गई. बलरामपुर की इस बेटी के साथ बर्बरता की सारी हदें पार कर दी गईं...घरवालों का आरोप है कि गैंगरेप के बाद आरोपियों ने पीड़िता की कमर और दोनों पैरों की हड्डियां तोड़ दी. हालांकि पुलिस पीड़ित परिवार के इस दावे को खारिज कर रही है लेकिन हकीकत ये है कि गैंगरेप के चौबीस घंटे के अंदर बलरामपुर की बेटी ने दम तोड़ दिया. उसके शव का दाह संस्कार भी रात के अंधेरे में कर दिया गया.
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हाथरस के बाद वारदातों की बाढ़ !
हाथरस-बलरामपुर ही नहीं बुलंदशहर में भी एक निर्भया ने इंसाफ के लिए आवाज़ उठा दी है...उस 13 साल की मासूम को तो रात में उसके घर से उठा लिया गया. आरोपी ने उसे नशीली दवा सुंघाकर बेहोश कर दिया और पड़ोस के खेत में ले जाकर रेप की कोशिश की...पीड़िता ने होश में आने पर शोर मचाना चाहा तो उसे आरोपी ने उसे तेज़ाब डालकर चेहरा जला देने की धमकी दी. पुलिस का यहां भी रटा-रटाया जवाब सामने आया.
शहर-शहर 'निर्भया'- खरगोन, एमपी
वीओ- केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं मध्य प्रदेश में भी अब निर्भया इंसाफ के लिए खड़ी हो चुकी हैं....भोपाल के बाद खरगोन में तो 16 साल की लड़की को जबरन उसके भाई के सामने से उठाकर गैंगरेप किया गया. तीनों आरोपी पानी मांगने के बहाने पीड़िता के घर में दाखिल हुए थे.
शहर-शहर 'निर्भया'- बारां, राजस्थान
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश ही नहीं राजस्थान के बारां में भी निर्भया इंसाफ मांग रही है....यहां दो नाबालिग लड़कियों को अगवा कर उनके साथ तीन दिन तक तीन अलग-अलग शहरों में रेप किया गया....इस मामले में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने जिस अंदाज में बयान दिया है, वो आपको भी खल सकता है. गहलोत की ओर से कहा गया कि हाथरस से बारां की वारदात की तुलना गलत है. दोनों लड़कियां अपनी मर्जी से गई थीं.
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शहर-शहर 'निर्भया'- सवाई माधोपुर,अजमेर
बारां की वारदात पर अशोक गहलोत अगर दामन बचाकर निकल रहे हैं.तो उन्हें सवाई माधोपुर और अजमेर में हुए रेप-गैंगरेप की वारदातों को लेकर सिस्टम की जिम्मेदारियां भी याद कर लेनी चाहिए.
NCRB के आइने में झांक लो गहलोत सरकार!
ज़ी हिन्दुस्तान ने उन्हें नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों की याद दिला रहा है जिसके मुताबिक देश में रेप के सबसे ज्यादा 5,997 केस राजस्थान में दर्ज हुए हैं. हिन्दुस्तान में महिला अपराधों में रेप-गैंगरेप का औसत राष्ट्रीय आंकड़ा 7.3 फीसदी है, जबकि राजस्थान में रेप केस के मामले 15.9 फीसदी हैं...यानी दोगुने से भी ज्यादा. बेहतर होता कि इस कड़वी हकीकत को सामने रखकर राजस्थान की गहलोत सरकार अपनी गिरेबां में भी खुलकर झांकती.बात राफ-साफ है, रेप जैसे मामलों पर सियासत नहीं, संवेदनशीलता की जरूरत है.
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