Bengal चुनाव को लेकर बढ़ रहा है सियासी पारा, तो क्या काम नहीं करेगी ओवैसी की `चाल`?
बंगाल चुनाव (Bengal Election) को लेकर सियासी गलियारे में जबरदस्त उठापटक का दौर चल रहा है. कभी ओवैसी भाईजान ममता दीदी के वोटबैंक में सेंधमारी कर रहे हैं, तो कभी दीदी अपना दम दिखाकर ओवैसी की बोलती बंद कर रही हैं. इस बीच भाजपा अपने अलग मिजाज में दिख रही है, क्योंकि उसके पास खोने को कुछ नहीं है और पाने को सबकुछ है..
नई दिल्ली: बंगाल के घमासान में ओवैसी की एंट्री से लग रहा था कि मुसलमान ममता दीदी (Mamata Didi) को बंगाल से बाहर कर देंगे, लेकिन कुछ ही दिन में सियासत की बिसात पर ओवैसी अपनी चाल में फंस गए. जिस फुरफुराशरीफ पर मत्था टेकने के बाद ओवैसी जीतने का ख्वाब देख रहे थे उसी फुरफुराशरीफ ने ओवैसी की हार तय कर दी है.
फेल हो रहा है ओवैसी का बंगाल प्लान
दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) खुद को मुस्लिमों का मसीहा समझ बैठे हैं. लेकिन बंगाल ने ओवेसी के मजहबी कार्ड का प्लान फेल कर दिया है और बंगाल के मुस्लिम स्कॉलर भी ओवैसी का बॉयकाट कर रहे हैं. ममता का समीकरण बिगाड़ने पहुंचे ओवैसी के खिलाफ बंगाल के मुसलमान ही आवाज उठाने लगे हैं. लगता है मुस्लिमों का मसीहा बनने की रेस में ओवैसी पीछे रह गए हैं और ममता दीदी (Mamata Didi) का दांव सही बैठ गया है.
अधूरी रह जाएगी बंगाल जीत की मुराद
ओवैसी का बंगाली मुसलमानों (Bengali Muslims) के मसीहा बनने का सपना बिखर गया. अपनी ही मजहबी चाल में भाईजान फंस गए हैं. आज तक असदुद्दीन ओवैसी को गुमान था कि उनके इशारे पर देश का मुसलमान एक हो जाता है, लेकिन बंगाल की राजीनिति (Politics of Bengal) ऐसी है कि वो किसी को भी चौंका सकती है. ओवैसी भी बंगाली की सियासी धार समझने चूक रहे हैं.
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बंगाल इमाम एसोसिएशन ने ओवैसी पर गंभीर आरोप लगा दिया और कहा कि ओवैसी बंगालियों को बांटने की साजिश कर रहे हैं. एसोसिएशन के मुताबतिक ओवैसी बंगाल के मुसलमानों के नेता नहीं हैं इसलिए उसका मसीहा बनने की कोशिश भी ना करे. बंगाल इमाम एसोसिएशन ने कहा कि मुसलमानों को बंगाल के बाहर से मुस्लिम नेताओं की ज़रूरत नहीं है. मुस्लिम वोट तोड़कर ओवैसी बीजेपी को फायदा पहुंचाना चाहते हैं. बंगाल में मुस्लिम वोटों के विभाजन नहीं होने देंगे.
ओवैसी के खिलाफ आवाज हो रही बुलंद
बंगाल इमाम एसोसिएशन के साथ-साथ उस फुरफुरा शरीफ ने भी ओवैसी के खिलाफ आवाज बुलंद कर दी है. वही फुरफुराशरीफ जिसके दम पर ओवैसी बंगाल में जीत का सपना देख रहे थे. फुरफुरा शरीफ के पीरजादा तोहा सिद्दीकी ने तो ओवैसी को बीजेपी (BJP) एजेंट करार दे दिया है. यानि बंगाल के मुसलमान ने ओवैसी की मंशा को बेनकाब कर दिया है.
बंगाल में मुसलमान Vs ओवैसी
बंगाल में बड़ी धमक के साथ ओवैसी ने एंट्री की थी और अब्बास पीरजादा के साथ ने ओवैसी को ममता के लिए सबसे बड़ा खतरा बना दिया था. लेकिन ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने ऐसा दांव चल दिया कि ओवैसी का खेल बनने से पहले ही बिगड़ गया. ओवैसी के खिलाफ ताहा सिद्दीकी पीरजादा मैदान में उतर गए हैं वो भी ममता के करीबी माने जाते हैं. इसलिए बंगाल के सियास रण में अब ओवैसी के खिलाफ मुसलमान हो चुके हैं.
बंगाल में बढ़ रहा बीजेपी का दबदबा
वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शनिवार को वर्दमान जिला जाएंगे. बंगाल में नड्डा किसानों से मुलाकात करेंगे. जेपी नड्डा (JP Nadda) किसानों से एक मुट्ठी चावल संग्रह करेंगे और वहां चुनावी सभा भी करेंगे. 2021 विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी 73 लाख किसानों के घर-घर पहुंच जाना चाहती है, जिसके लिए यह जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है.
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ममता बनर्जी के करीबी टीएमसी (TMC) नेता रुद्रनील घोष भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. रुद्रनील घोष फिल्म एक्टर हैं और टीएमसी का बड़ा चेहरा हैं. रुद्रनील घोष ने हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) के साथ बैठक की है.
बीजेपी के दबदबे से विरोधी बेचैन
बंगाल में बीजेपी के दबदबे से विरोधी बेचैन हो गए हैं. कोलकाता में कांग्रेस और लेफ्ट नेताओं की बैठक हुई. जिसमें सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा की गई. आपको बता दें, बंगाल चुनाव में कांग्रेस (Congress) और लेफ्ट (Left) मिलकर लड़ेंगे.
वहीं TMC नेता लक्ष्मी रतन शुक्ला (Laxmi Ratan Shukla) ने सियासत से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया. लक्ष्मी रतन का कहना है कि राजनीति के बगैर भी सेवा हो सकती है. बुधवार को खेल राज्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया था. उन्होंने कहा है कि 'खेल कर बड़ा हुआ, अब खेल को आगे बढ़ाऊंगा.'
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