Bihar Election: शुरुआत में बिहार चुनाव में जोर लगाने वाले Kanhaiya Kumar अब कहां गए
कन्हैया बिहार की राजनीति में मौजूदा विचारधारा के साथ और जरूरत के मुताबिक वाले फ्रेम में फिट नहीं होते. इसलिए कोई रिस्क न लेते हुए महागठबंधन बछवारा जैसी इतनी महत्वपूर्ण सीट पर कन्हैया की उम्मीदवारी शायद ठीक नहीं समझता है. लिहाजा अब वहां से महागठबंधन में शामिल कांग्रेस से दिवंगत विधायक रामदेव राय के पुत्र शिव प्रकाश गरीबदास की उम्मीदवारी तय मानी जा रही है.
पटनाः देशभर में बिहार की राजनीति के रुख-रंग सबसे अलग है. यहां के मुद्दे, चुनावों पर पड़ने वाला क्षेत्रीयता का असर और यहां की राजनीति का राष्ट्रीय राजनीति में प्रभाव, यह सारे ही फैक्टर मायने रखते हैं. सितंबर के आखिरी में बिहार चुनाव की तारीखें आ सकती हैं, नेताओं की भागदौड़ जारी है. बयानवीरता का सिलसिला भी चल रहा है. इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में युवाओं का दमखम भी मैदान में दिखेगा.
छात्र राजनीति से निकले कन्हैया कुमार
लेकिन, युवाओं की इस भीड़ में शामिल हुआ एक नाम इधर कुछ दिनों से नहीं दिखाई दे रहा है. वह जो दिल्ली की छात्र राजनीति से निकलकर बिहार की राजनीति में पहुंचा है. जिसने एक संसदीय चुनाव लड़ा तो सामने वाले को करारी टक्कर दी,
हार भले ही गया लेकिन राजनीतिक पंडितों ने कहा कि इसमें पोटाश है. विवादों के साथ भी रिश्तेदारी रही है, लेकिन राजनेता बनाने वाली इतनी काबिल खूबियों के बावजूद कन्हैया कुमार (kanhaiya Kumar) बिहार चुनाव में नजर नहीं आ रहे हैं.
2020 की शुरुआत में कन्हैया ने काफी मेहनत की
2020 की आते ही पहला काम यह हुआ कि इस साल तो विधानसभा चुनाव हैं. दिल्ली का विधानसभा चुनाव बीता तभी से बिहार के विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू होने लगीं. उस समय तक वैश्विक परिदृश्य में अपनी जगह बना लेने के बावजूद अभी देश के मामलों में कोरोना की एंट्री नहीं हुई थी.
CAA के विरोध वाले दौर से ही बिहार चुनाव की रणभूमि सज रही थी और हर नेता की तरह कन्हैया कुमार भी अपनी जमीन तैयार करने निकल पड़े थे.
CAA-NRC के विरोध के लिए दौरे किए
कन्हैया कुमार जगह-जगह घूम रहे थे और CAA, NPR, NRC के विरोध को लेकर बिहार का दौरा कर रहे थे. इस दौरान कई बार उन उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा. लोगों ने काफिले पर हमला कर दिया और वहां से सुरक्षित निकलने के लिए कन्हैया कुमार को पुलिस की सहायता लेनी पड़ी.
इस विरोध वाली रैली के बीच वह बिहार चुनाव भी साध लेते थे. जहां जाते तो बताते कि किन मुद्दों पर चुनाव लड़ेंगे, क्या विचारधारा रहेगी. लोग सुनते प्रभावित होते, कन्हैया को भी राजनीति में संबल मिलता और उन पर भरोसा जता चुकी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को भी.
बछवारा से उम्मीदवारी की चर्चा, चर्चा तक ही सीमित रही
फिर कोरोना की एंट्री हुई और धीरे-धीरे सारा मायाजाल बिखरने लगा. कन्हैया कुमार नेपथ्य में जाने लगे. सामने कैसे आएं, कोई रास्ता दोबारा नजर ही नहीं आया. बीच में एक बार आशा की किरण नजर आई थी. बिहार में विधानसभा की सबसे हॉट सीटों में से एक बेगूसराय के बछवारा विधानसभा क्षेत्र से कन्हैया कुमार के चुनाव लड़ने की चर्चा हो रही थी.
कन्हैया को भी लगा, ठीक है, शुरुआत अच्छी होगी, लेकिन कई बार जैसा हम सोचते हैं वैसा नहीं होता. चर्चा केवल चर्चा ही रही सोशल मीडिया पर कुछ हैशटैग चले और CPI ने महागठबंधन के साथ गांठ जोड़ ली.
कन्हैया चुनाव लड़ेंगे या नहीं, अब तक तय नहीं
CPI के महागठबंधन के साथ शामिल होने के साथ ही बछवारा विधानसभा सीट का मुद्दा ही खत्म हो गया. कन्हैया कुमार यूं ही रह गए और अब उम्मीदवार भी बदल दिया गया है. अब महागठबंधन में शामिल कांग्रेस से दिवंगत विधायक रामदेव राय के पुत्र शिव प्रकाश गरीबदास की उम्मीदवारी बछवारा से तय मानी जा रही है.
ऐसे में यह अभी तक तय ही नहीं हो पाया है कि क्या कन्हैया कुमार बिहार विधानसभा चुनाव में कहीं से उम्मीदवारी रखेंगे या चुनाव लड़ेंगे भी या नहीं लड़ेंगे.
बिहार के राजनीतिक फ्रेम में फिट नहीं होते कन्हैया
बिहार की राजनीति की सबसे बड़ी धुरी, यहां के वोट जातिगत आधार पर बंटे हुए हैं. Cast वाला फैक्टर यहां चुनाव पर काफी असर डालता है. ऐसे में कन्हैया कुमार को देखें तो वह जातिगत तौर पर भूमिहार हैं. लेकिन वह CPI में हैं, पार्टी इस फैक्टर पर नहीं मानती तो लोग भी भूमिहार वोट के तौर पर उनका समर्थन नहीं करते.
ऐसे में कन्हैया बिहार की राजनीति में मौजूदा विचारधारा के साथ और जरूरत के मुताबिक वाले फ्रेम में फिट नहीं होते. इसलिए कोई रिस्क न लेते हुए महागठबंधन इतनी महत्वपूर्ण सीट पर कन्हैया की उम्मीदवारी शायद ठीक नहीं समझता है.
लेकिन, इस पूरे मामले में कन्हैया के राजनीतिक करियर के शुरुआत में ही उनपर असर पड़ रहा है.
फोर्ब्स की सूची में बनाई जगह
राजनीति के तौर पर पीके और कन्हैया दोनों ही को लेकर कई भविष्यवाणियां भी सामने आती रही हैं. पीके (Prashant Kishor) को कभी नीतीश कुमार ने पार्टी का भविष्य बताया था, तो दूसरी ओर फोर्ब्स मैगजीन ने दुनिया के टॉप-20 निर्णायक लोगों की एक सूची जारी की थी.
सूची में कन्हैया कुमार और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को अगले दशक का निर्णायक चेहरा बताया गया था. सूची में कन्हैया कुमारने 12वें स्थान पर जगह बनाई थी और प्रशांत किशोर 16वें पायदान पर थे. लेकिन आज इस चुनावी माहौल में दोनों किस पायदान पर हैं, क्या पता?
स्टोरी के शुरुआती दो भाग यहां पढ़ेः Bihar Election: चुनाव की सरगर्मी में कहां हैं Pushpam Priya, Kanhaiya Kumar और PK
भाग-2: Bihar Election:आखिर इस चुनावी समर में क्यों नहीं दिख रहे Prashant Kishor
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