पटनाः बिहार चुनाव (Bihar Election) को लेकर कहा जा रहा है कि संभवतः सितंबर अंत तक तारीखों का ऐलान हो जाएगा. कोरोना काल में भी विधानसभा चुनाव के लिए नेता और राजनीतिक दल पूरी तरह जुटे हुए हैं. हर मोर्चे पर मजबूती दिखाने की कोशिश हो रही है. दावों-वादों , अपने-पराए वाला समय भी साथ चल रहा है. समीकरणों के खेल की बात आती है तो बिहार से प्रशांत किशोर का नाम क्लिक करता है.
कभी अरविंद केजरीवाल की नइया पार लगाई
उनका अरविंद केजरीवाल के लिए सफल चुनावी अभियान करना, जदयू नेता के तौर पर भी पहचान बना लेना, पार्टी की गुडविल बना ले जाने में उन्हें महारत हासिल है, लेकिन प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) यानी पीके इतने सक्रिय माहौल में कहां हैं यह सवाल भी उठता है. वहीं बेगूसराय है संसदीय चुनाव में गिरिराज सिंह को जोरदार टक्कर देने वाले कन्हैया कुमार भी नहीं दिख रहे हैं.
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जब JDU के उपाध्यक्ष रहे Prashant Kishor
बात करते हैं प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की. अबसे ठीक पांच साल पहले तक PK बिहार में नीतीश के खासमखास थे. इतने कि नीतीश सीएम बने तो पीके को उन्होंने जेडीयू (JDU) में उपाध्यक्ष बनाकर नंबर दो की कुर्सी पर बैठा दिया. ग्रह-नक्षत्रों की चाल ऐसी बिगड़ी कि PK पार्टी से छिटका दिए गए.
हालांकि मीडिया के सामने Prashant Kishor खुद को नीतीश का बेटा जैसा ही बताते रहे. इसी के साथ वह बात बिहार की नाम से एक मुहिम चलाने भी पहुंचे. प्लान काफी लंबा चौड़ा था, लेकिन जम नहीं पाया.
'बात बिहार की' मामले में हुई FIR
पीके की यह मुहिम अभी शुरू ही हुई थी कि राजनीतिक रणनीतिकार इसे लेकर एक कानूनी मसले में फंस गए. फरवरी में उनके ऊपर पाटलिपुत्र थाने में IPC की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी और बेईमानी का आरोप लगाते हुए FIR कराई गई.
मामला कुछ यूं हुआ कि एक युवक ने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर ने उनके बनाए प्रोजेक्ट बिहार की बात का कॉन्सेप्ट चुराया है. इस मामले में प्रशांत किशोर बुरी तरह घिर गए. खैर ये बात तो जो हुई वह हुई, लेकिन कुछ दिनों बाद सबकुछ पैकअप मूड में नजर आने लगा.
Corona Lockdown से भी पड़ा असर
फिर आय़ा 22 मार्च के बाद कोरोना लॉकडाउन (Corona Lockdown) का दौर, इसके बाद जहां देशभर में बहुत सारी गतिविधियां रुकी, प्रशांत किशोऱ की चुनावी गतिविधियां भी एक तरीके से रुक गईं.
इसके पहले लग रहा था कि 2020 के चुनावी समर में वह अहम भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन वर्तमान सामने हैं. प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ऐसा कुछ भी नहीं कर रहे हैं.
क्या PK ने ही खुद के समेट लिया है
वैसे प्रशांत किशोर ने यह साफ किया था कि वह अगर राजनीतिक दल बनाते हैं तो उनका लक्ष्य 2020 नहीं बल्कि 2025 का चुनाव रहेगा. पीके के इस ऐलान के बाद शुरुआत में तेजी से उनके साथ लोग जुड़े,
लेकिन सब दिन एक समान नहीं रहे. जो भी सिलसिला जोर-शोर से शुरू हुआ, वह थमता ही रहा. खुद PK ने भी एक तरह से खुद को समेट सा लिया.
जुलाई में किया था चुनाव टालने को लेकर ट्वीट
सोशल मीडिया पर उनकी चलाई मुहिम जारी है. प्रशांत किशोर के लिए सोशल मीडिया उनकी सबसे बड़ी मजबूती और सबसे बड़ा हथियार रहा है, लेकिन कोरोना काल के साथ इस चुनावी दौर में उनके ट्वीट भी यदा-कदा ही आते थे.
उन्होंने जुलाई में चुनाव टालने को लेकर ट्वीट किया था. चुनावी समर में कई बार नीतिज्ञ सारथि बनकर उतरने वाले Prashant Kishor ने अपना रथ किधर मोड़ लिया है. सवाल है.
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