नई दिल्ली: Lok Sabha Election 1977: साल 1977, यह वो दौर था जब भारत की सियासत करवट ले रही थी. इमरजेंसी के बादल छंट रहे थे, देश में एक नई राजनीति का उदय हो रहा था. जयप्रकाश नारायण ने कई नेताओं से संपर्क साध लिया था. वे चाहते थे कि कांग्रेस पार्टी के खिलाफ एक मजबूत पार्टी तैयार हो, जिसमें सभी विपक्षी नेता एक साथ आ जाएं. कांग्रेस के भी कई नेता पार्टी छोड़ने को तैयार थे.  


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जब बना इंदिरा के खिलाफ राजनीतिक मंच
आखिरकार फैसला हुआ कि पार्टी बनाने के लिहाज से समय कम है, इसलिए एक राजनीतिक मंच बनाया जाएगा. चंद्रशेखर, चौधरी चरण सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी समेत कई विपक्षी नेता इसका हिस्सा बने. कांग्रेस के दिग्गज नेता जगजीवनराम ने भी कांग्रेस छोड़ने का ऐलान कर दिया. उनके साथ ही प्रोफेसर शेर सिंह और नंदिनी सत्पथी ने कांग्रेस छोड़ दी. इन्होंने मिलकर कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी पार्टी (CFD) बनाई. ये पार्टी भी इंदिरा विरोधी राजनीतिक मंच का हिस्सा बनी.


चरण सिंह ने जगजीवनराम को कही ये बात
कहां से कौन लड़ेगा, किसको कितनी सीटें जाएंगी, इसका फैसला करने के लिए राजनीतिक मंच की एक कमेटी बनाई गई. इसमें चौधरी चरण सिंह, हेमवती नंदन बहुगुणा और लाल कृष्ण आडवाणी भी थे. इसी बीच एक दिन चरण सिंह जगजीवनराम के पास गए. घर में घुसते ही उन्होंने कहा-  जगजीवनराम जी, हम आपकी पार्टी कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी (CFD) को 8 से ज्यादा सीटें चुनाव लड़ने के लिए नहीं दे सकते. जगजीवनराम कुछ बोलते, इससे पहले ही चरण सिंह वहां से चले गए.


चरण सिंह से मिलने पहुंचे चंद्रशेखर
कई नेताओं ने चौधरी चरण सिंह से संपर्क साधने की कोशिश की. लेकिन वे किसी से भी इस विषय पर बात करने के इच्छुक नहीं थी. आखिरकार, लाल कृष्ण आडवाणी ने  देर रात को चंद्रशेखर को फोन किया. आडवाणीने कहा कि चरण सिंह किसी से बात नहीं कर रहे, आप कोशिश करके देखिए. चंद्रशेखर को पता लगा कि चरण सिंह दिल्ली में ही विट्ठलभाई पटेल हाउस में ठहरे हुए हैं. उन्होंने वहां जाने का फैसला किया. 


चरण सिंह बोले- कार्यकर्ताओं का क्या होगा?
वे विट्ठलभाई पटेल हाउस पहुंचे. चंद्रशेखर ने चरण सिंह से कहा कि आपने वादा किया था कि आप CFD को 18-20 सीटें देंगे. इस पर चौधरी बोले- 'हां, मैंने कहा था. लेकिन किस-किसको टिकट दूं. बहुगुणा और राज मंगल जी अपनी पत्नी के लिए टिकट चाह रहे हैं. उन्हें टिकट दे दूं तो फिर कार्यकर्ता कहां जाएंगे?' चंद्रशेखर ने करीब दो घंटे तक चरण सिंह को समझाया. तब कहीं जाकर चौधरी ने 12 सीटें देने पर हामी भरी. तब तक रात के 12 बज गए. लेकिन चंद्रशेखर CFD के लिए वादे के मुताबिक सीटें मांग रहे थे. 


चौधरी ने चादर से सिर नहीं निकाला
चौधरी ने एक-दो सीटें और देने पर सहमति जताते हुए कहा- 'अब इससे ज्यादा सीट की बात मत करना, नहीं तो मैं मर जाऊंगा'. चंद्रशेखर फिर बोले- 'चौधरी साहब आपने वादा किया था, लोग क्या कहेंगे?' इस पर चौधरी ने बिफरते हुए कहा कि जाओ, लोगों से कह दो कि चौधरी साहब बेईमान हो गए हैं. इसके बाद चरण सिंह चादर तानकर सो गए. चंद्रशेखर कहते रहे, लेकिन चरण सिंह ने चादर से बाहर सिर नहीं निकला. चंद्रशेखर अपनी किताब 'जीवन जैसा जिया' में बताते हैं कि मैं ये कभी नहीं भूल सकता जब चरण सिंह ने मुझसे कहा कि और सीट मत मांगिए, वरना मैं मर जाऊंगा.


नोट: यहां दिए गए कुछ तथ्य 'जीवन जैसा जिया' किताब से लिए गए हैं.


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