Harsh Chhikara: हर्ष छिकारा गोहाना से क्यों हारे चुनाव, इन 3 कारणों से समझ आ जाएगी पूरी गणित
Harsh Chhikara Gohana Vidhan Sabha Chunav 2024 Result: हरियाणा की गोहाना विधानसभा सीट से सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हर्ष छिकारा चुनावी मैदान में थे. लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उनकी हार हुई. वे तीसरे नंबर पर रहे. उनकी हार के तीन मुख्य कारण यहां जानिए.
नई दिल्ली: Harsh Chhikara Gohana Vidhan Sabha Chunav 2024 Result: हरियाणा की गोहाना विधानसभा सीट से समाजसेवी और इन्फ्लुएंसर हर्ष छिकारा चुनावी मैदान में थे. लेकिन इस चुनाव में उनकी करारी हार हुई है. पहले वे कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दी. इसके बाद छिकारा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा. लेकिन दोनों राष्ट्रीय पार्टियों से मुकाबला होने पर छिकारा तीसरे नंबर पर रहे.
कौन हैं हर्ष छिकारा? (Who is Harsh Chhikara)
हर्ष छिकारा हरियाणा में काफी पॉपुलर हैं. वे खुद को समाजसेवी बताते हैं. गरीब परिवार की लड़कियों के विवाह में अक्सर सहायता राशि देते हुए नजर आते हैं. 35 वर्षीय हर्ष की कुल संपत्ति 1.3 करोड़ रुपये है. इसमें 80.9 लाख रुपये चल संपत्ति और 47 लाख रुपये अचल संपत्ति है. 15.6 लाख रुपये की देनदारियां भी हैं. उनकी कमाई का जरिया उनका बिजनेस है.
गोहाना विधानसभा सीट का रिजल्ट
हरियाणा की गोहाना विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी अरविंद कुमार शर्मा विजयी हुए हैं, उन्हें 57055 वोट मिले. कांग्रेस के दिग्गज नेता जगबीर सिंह मलिक दूसरे नंबर पर रहे, उन्हें 46626 वोट मिले. तीसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी हर्ष छिकारा रहे, जिन्हें 14761 वोट मिले.
हर्ष छिकारा अपनी हार पर क्या बोले?
हर्ष छिकारा ने एक इंटरव्यू में बताया उनके प्रतिद्वंदी और भाजपा प्रत्याशी अरविंद कुमार शर्मा इलाके के कई गांवों में नहीं गए, फिर भी विजयी हुए. छिकारा का आरोप है कि चुनाव में शराब और पैसे का इस्तेमाल हुआ. जब हर्ष से ये पूछा गया कि क्या उन्होंने कांग्रेस को हराने के लिए चुनाव लड़ा? इससे हर्ष ने इनकार करते हुए कहा कि ऐसा नहीं है. चलो ये मान भी लें तो बाकी सीटों पर कांग्रेस को किसने हराया?
हर्ष छिकारा की हार के तीन कारण
गैर जाट वोटों की गोलबंदी: गोहाना विधानसभा सीट पर जाट वोट कांग्रेस प्रत्याशी जगबीर सिंह मलिक, निर्दलीय हर्ष छिकारा और राजवीर सिंह दहिया के बीच बंट गए. जबकि गैर-जाट जातियों ने भाजपा के अरविंद शर्मा के पक्ष में गोलबंदी कर दी.
कम सक्रियता: अरविंद शर्मा और जगबीर सिंह मलिक पहले से राजनीति में एक्टिव हैं. लेकिन हर्ष छिकारा मात्र 2 महीने से क्षेत्र में सक्रिय थे, इससे पहले वे चुनावी तैयारी नहीं कर रहे थे.
कोर वोट बैंक नहीं: अरविंद शर्मा और जगबीर सिंह मलिक, दोनों के पास पार्टी का वोट बैंक होने के अलावा, खुद का निजी वोट बैंक भी था. लेकिन हर्ष छिकारा के पास पार्टी या पारंपरिक वोट नहीं था. उनका निजी वोट बैंक भी बहुत कम था, ज्यादातर युवाओं ने ही उन्हें वोट दिया. बुजुर्ग मतदाता पार्टियों के वफादार रहे.
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