नई दिल्ली. भारत में कुछ ऐसी संवैधानिक संस्थाएं जिनके प्रमुखों पर पूरे देश की निगाह रहती है. इनमें से एक देश का चुनाव आयोग भी है. दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते और हर साल चुनावों के मद्देनजर देश में मुख्य चुनाव आयुक्त पर मीडिया से लेकर आम लोगों तक की निगाह होती है. इस वक्त देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार हैं जिन्होंने शनिवार को आगामी लोकसभा चुनाव के डिटेल कार्यक्रम की घोषणा की है. भारत में अब तक 25 मुख्य चुनाव आयुक्त हो चुके हैं लेकिन केवल एक बार ऐसा हुआ है जब एक महिला ने इस पद को सुशोभित किया. वी.एस. रमादेवी देश की इकलौती महिला चुनाव आयुक्त रही हैं. 


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एक नहीं, रमा देवी के नाम पर कई ख्याति
रमा देवी के नाम पर केवल इतनी ही ख्याति नहीं है कि वह इकलौती मुख्य चुनाव आयुक्त हैं.आजाद भारत के इतिहास में वह इकलौती महिला हैं जो राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल पद करीब 4 वर्षों तक रहीं. एक जुलाई 1993 से 25 सितंबर 1997 तक वह इस पद रहीं. उनके नाम एक और ख्याति यह भी है कि वह कर्नाटक की पहली महिला गवर्नर बनी थीं. रमा देवी 2 दिसंबर 1999 को कर्नाटक की गवर्नर बनी थीं और 20 अगस्त 2002 तक वह इस पद पर रहीं. 


आंध्र प्रदेश में हुआ था जन्म, पेशे से वकील
आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले में  1934 में जन्मीं रमादेवी पेशे से वकील और फिर नेता बनी थीं. उनकी शिक्षा दीक्षा एलुरू जिले में हुई. एमए, एलएलबी की पढ़ाई के बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में वकील के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन कराया था. वकालत के पेशे के साथ ही रमादेवी ने राजनीति में हाथ आजमाने की सोची थी. 


1990 में मिली थी ऐतिहासिक कामयाबी
1990 में उन्हें ऐसी कामयाबी ऐतिहासिक कामयाबी मिली जहां तक अब भी देश की कोई महिला नहीं पहुंच पाई है. उन्हें 26 नवंबर 1990 को देश का मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया गया था. लेकिन उनके कार्यकाल में एक भी बार चुनाव नहीं हुआ. इसका कारण ये था कि वो इस पद पर महज 16 दिनों तक ही रहीं. उनके बाद इस पद पर आईएएस अधिकारी रहे टीएन शेषन आए जिन्हें निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए आज भी याद किया जाता है. 


2013 में हार्ट अटैक से हुई थी मौत
पहली मुख्य चुनाव आयुक्त रहने के बाद रमादेवी ने राज्यसभा में अहद पद संभाला. फिर वो 1997 से 1999 तक हिमाचल प्रदेश की गवर्नर रहीं और फिर 1999 से  2002 तक कर्नाटक की. साल 2013 में 79 वर्ष की उम्र में उनकी हार्ट अटैक से मृत्य हुई थी. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रमादेवी को कोई गंभीर बीमारी नहीं थी और वो आखिरी दिन तक एक्टिव थीं. 


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