जब इंदिरा गांधी पर फेंका पत्थर, PM की नाक टूटी... आयरन लेडी फिर भी करती रहीं चुनावी सभा
Indira Gandhi Nose Broke: साल 1967 के लोकसभा चुनाव में तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सभा में पथराव हो गया था. एक ईंट उनके नाक पर लगी और खून बहने लगा. फिर भी इंदिरा गांधी चुनावी सभाएं करती रहीं.
नई दिल्ली: Indira Gandhi Nose Broke: देश में लोकसभा चुनाव के पहले सियासी माहौल बनना शुरू हो गया है. पार्टियों के दिग्गज नेताओं ने ताबड़तोड़ दौरे करने शुरू कर दिए हैं. रैलियों में हुजूम को संबोधित कर रहे हैं. इसी बीच 1967 का लोकसभा चुनाव चर्चा में है, जब तत्कालीन PM इंदिरा गांधी को भरी सभा में एक ईंट मारी गई थी.
जब सभा में हुआ पथराव
साल 1967 की फरवरी में लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार जोरों पर था. इंदिरा गांधी देश में घूम-घूम कर चुनाव प्रचार कर रही थीं. उन्हें देश का PM बने बमुश्किल एक ही साल हुआ था. इंदिरा के विरोधियों ने उन्हें एक अक्षम PM के तौर पर प्रजेंट करना शुरू कर दिया था. इसी बीच वे चुनाव प्रचार के लिए उड़ीसा (अब ओडिशा) गई थीं. तभी सभा में कुछ उपद्रवी घुस आए और उन्होंने पथराव शुरू कर दिया. आयोजकों ने स्थिति संभालनी चाही. लेकिन उपद्रवियों को काबू नहीं कर पाए.
खून से लथपथ हुई इंदिरा की नाक
पूरी सभा में गहमागहमी का माहौल हो गया. तभी एक ईंट का टुकड़ा इंदिरा गांधी के नाक पर आकर लगा. उनके नाक से खून बहने लगा. गार्ड्स इंदिरा को मंच से दूर ले जाना चाहता थे. लेकिन इंदिरा नहीं मानी. पार्टी नेताओं ने भी इंदिरा से जाने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने एक न सुनी. वे खून से लथपथ नाक को रूमाल से बांधा और मंच पर खड़ी हो गईं.
उपद्रवियों से क्या बोलीं इंदिरा?
इंदिरा गांधी ने क्रोध में आते हुए उपद्रवियों से कहा कि यह मेरा नहीं बल्कि पूरे देश का अपमान है, क्योंकि प्रधानमंत्री होने के नाते मैं देश का प्रतिनिधित्व करती हूं. इसके बाद गार्ड्स ने उनसे आग्रह किया कि वे दिल्ली लौट जाएं. लेकिन इंदिरा नहीं मानी. वे नाक पर पट्टी लगाए हुए ही कलकत्ता में रैली करने चली गईं.
'डॉक्टर नाक सुंदर नहीं बना पाए'
इसके बाद इंदिरा गांधी दिल्ली लौटीं. उनकी नाक का ऑपरेशन हुआ. इसके बाद वे मजाकिया अंदाज में कहती थीं कि मुझे तो लग रहा था कि डॉक्टर प्लास्टिक सर्जरी कर मेरी नाक सुंदर बना सकते हैं. लेकिन इन्होंने ऐसा नहीं किया. ये मौका भी हाथ से निकल गया.
जीत गईं चुनाव
1967 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी का शानदार प्रदर्शन रहा. उन्होंने पार्टी के ओल्ड गार्ड को किनारे कर भी 283 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. तब स्वतंत्र पार्टी को 44 सीटें मिली और जनसंघ को 35 सीटों पर संतुष्टि करनी पड़ी.
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