क्या सचमुच ममता बनर्जी अपना आपा खो चुकी हैं? हिंदू-मुस्लिम करके वोट वाली राजनीति समझिए
पश्चिम बंगाल की चुनावी जंग में शनिवार को चौथे चरण की वोटिंग होनी है, इस बीच हिंदू-मुस्लिम कार्ड को हथियार बनाने की खूब कोशिश हो रही है, लेकिन ममता दीदी को चुनाव आयोग ने नोटिस देकर समझाने की कोशिश की तो वो भड़क गईं. वहीं अब अमित शाह ने भी दीदी को जमकर कोसा है. आपको हिन्दू-मुस्लिम करके वोट वाली राजनीति समझाते हैं.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में चौथे चरण का चुनावी घमासान जबरदस्त मोड़ पर है. लेकिन बंगाल के चुनाव में सबसे ज्यादा तड़कता भड़कता मुद्दा है हिन्दू-मुस्लिम का.. ममता बनर्जी ने इस मुद्दे को अपना चुनावी हथियार बनाने की कोशिश की तो इलेक्शन कमीशन ने उन्हें जमकर फटकार लगा दी, दीदी को इस बात का काफी बुरा लगा. लेकिन भाजपा ने इसके एवज में ममता को खूब खरी खोटी सुनाई और खुद अमित शाह उन्हें घेरने में जुट गए.
भवानीपुर में किया डोर टू डोर कैंपेन
गृहमंत्री अमित शाह ने ममता बनर्जी के गढ़ भवानीपुर में डोर टू डोर कैंपेन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी भवानीपुर हार रही हैं. शाह को जवाब देते हुए ममता दीदी ने कहा कि अमित शाह बंगाल में बैठकर गुंडागर्दी करे रहे हैं.
ममता से अल्पसंख्यक वोट खिसक रहे
कोलकाता में गृहमंत्री अमित शाह ने प्रेंस कॉन्फ्रेंस कर ममता बनर्जी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कहा सुरक्षा बलों पर दीदी का सवाल उठाना गलत है. शाह ने कहा ममता बनर्जी अपना आपा खो चुकी है. लगता है ममता से अल्पसंख्यक वोट खिसक रहे हैं.
उन्होंने ये भी कहा कि 'जिस प्रकार से दीदी ने अल्पसंख्यक वोटरों से एकजुट होने की अपील की है, ये बताता है कि दीदी को ये डर सता रहा है कि शायद अल्पसंख्यक वोट भी धीरे-धीरे उनसे खिसक रहे हैं और उनके वोट भी कहीं और जा रहे हैं. अब हताशा में ऐसे काम करने से बेहतर होगा दीदी अपनी हार के कारणों का विश्लेष्ण करे.'
बंगाल के चुनावी घमासान एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप तो जारी है. इसके लिए मतदाताओं को लुभाने के लिए कई ऐसी अपीलें भी की जा रही हैं जिसे चुनावा आयोग आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन मानता है.
इस बार ममता बजर्नी पर चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगा है. ममता बनर्जी ने 3 अप्रैल को दिए अपने भाषण में मुसलमानों से वोट की अपील की थी. ममता की इस अपील पर प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने भी सवाल खड़े किए थे. फिलहाल चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी के इस भाषण को आचार संहिता को उल्लंघन मानते हुए नोटिस भेजा है, जिसका जवाब ममता बनर्जी को 48 घंटे में देना था.
ममता बनर्जी ने मुस्लिम वोटरों से एकजुट होने की अपील की थी, तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बंगाल में अपनी रैली के दौरान ममता बनर्जी की इस अपील पर सवाल खड़े किए थे. प्रधानमंत्री ने ये भी कहा था अगर वो ऐसी कोई अपील करते तो उनको चुनाव आयोग का नोटिस मिल जाता.
चलिए अब आपको बताते हैं आखिरकार क्यों बंगाल में मुस्लिम वोटों पर घमासान मचा हुआ है और क्यों ममता बनर्जी ने मुस्लिम वोटों के एकजुट होने की अपील की. इसके लिए आपको बंगाल के धार्मिक समीकरण को समझना होगा.
बंगाल का धार्मिक समीकरण
- हिंदू70.54%
- मुसलमान27.01%
- ईसाई0.72%
- बौद्ध0.31%
- जैन0.07%
- सिख0.07%
- अन्य1.03%
- कोई धर्म नहीं 0.25%
(स्रोत- जनगणना 2011)
बीजेपी कार्यकर्ता के घर शाह का लंच
भवानीपुर में शाह ने बीजेपी कार्यकर्ता के घर लंच किया. बीजेपी के संस्थापक सदस्य समरेंद्र के घर खाना खाया. समरेंद्र प्रसाद बिश्वास के घर पर शाह ने भोजन किया. खाने में बैंगन भाजा, कद्दू की भुजिया, रोटी और जीरा राइस. तरबूज का जूस और आम का पना भी था.
अमित शाह ने कहा बंगाल में बेरोजगारी चरम सीमा पर है. महिला सुरक्षा में बंगाल का हाल बेहद बुरा है. वहीं ओवैसी के तंज पर शाह ने पलटवार किया. उन्होंने कहा कि ओवैसी भी किसी हिन्दू के साथ फोटो खिंचवा लें.
'सोनार बांग्ला अभियान कोलकाता से शुरू होगा'
शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये भी कहा कि 'लेफ्ट जिस हाल में कोलकाता को छोडकर गई, दीदी 10 वर्षों में कोलकाता को उससे भी पीछे ले गई हैं. हमारा सोनार बांग्ला अभियान कोलकाता से शुरू होगा. यह 'City of Joy’ तो बना ही रहेगा, हम इसे 'City of Future’ में भी बदलने का काम करेंगे. हम ₹22,000 करोड़ से कोलकाता डेवलपमेंट फंड बनाएंगे.'
उन्होंने कहा कि 'बंगाल में भाजपा के कार्यकर्ताओं पर लगातार हमले हो रहे हैं, हमारे प्रदेश अध्यक्ष श्री दिलीप घोष पर विगत दो-तीन दिनों में हमला हुआ. हमले की इन घटनाओं की TMC के एक भी नेता ने खंडन या निंदा नहीं की. ये दर्शाता है कि तृणमूल कांग्रेस हिंसा को बढ़ावा देने का एक मौन इशारा कर रही है.'
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गृहमंत्री ने बोला कि 'ममता दीदी कह रही हैं कि सुरक्षाबलों का घेराव करलो. दीदी लोगों को अराजकता की ओर क्यों ले जा रही हैं, क्या शांति से चुनाव समाप्त न हो ये उनका उद्देश्य है? मैं दीदी को बताना चाहता हूँ कि CAPF जब चुनाव ड्यूटी पर होती हैं तो उनपर गृह मंत्रालय का नहीं चुनाव आयोग का कंट्रोल होता है.'
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