West Bengal Assembly Election 2021: राम हैं बीजेपी की एनर्जी, ममता को एलर्जी!
पश्चिम बंगाल में सियासी जंग में `जय श्रीराम` का नारा तड़का लगाने का काम कर रहा है. ये नारा भाजपा के लिए एनर्जी, तो दीदी के लिए एलर्जी बन चुका है.
श्रीराम का नाम.. बंग की जंग में आम हो चला है. ममता बनर्जी की नजर में जय श्रीराम बीजेपी का सियासी नारा है और बीजेपी के लिए श्रीराम का नाम एक सियासी हथियार है. जिसकी मार का असर कितना बड़ा हो सकता है ये कोई नहीं जानता है. तभी तो भाजपा ने बंगाल में भगवान श्रीराम के नारे की गूंज इस कदर बुलंद की है कि दीदी की TMC सेना पूरी तरह बौखला गई है.
जय श्रीराम से परेशानी क्यों?
ममता दीदी और उनके TMC के नेताओं को भगवान जय श्रीराम के नारे से आखिर क्या परेशानी है? आखिर प्रभु श्रीराम के नाम से ममता बनर्जी के परहेज क्यों है? ये सवाल इसलिए उठता है, क्योंकि ऐसा कई बार हो चुका है कि वो जय श्रीराम का नारा सुनते ही चिढ़ जाती हैं. तभी तो भाजपा भी दीदी के खिलाफ इसे हथियार की तरह इस्तेमाल करने में गुरेज नहीं कर रही है.
स्मृति ईरानी ने इसी हथियार का इस्तेमाल रविवार को हावड़ा की रैली में किया था. बीजेपी (BJP) सांसद स्मृति ईरानी ने कहा था कि, "उस राजनितिक पार्टी का जनता कभी समर्थन नहीं कर सकती जो अपने मतलब के लिए काम करे, जनता उसका समर्थन नहीं कर सकती जो जय श्री राम के नाम से चिढ़ता हो."
दीदी का गुस्सा उन्हें डुबो न दे!
ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) पर मुस्लिम तुष्टिकरण के इल्जाम लगते रहे हैं, लेकिन उन्होंने भी इसे सियासी हथियार बनाया और करीब 30 फीसदी मुस्लिम वोट बैंक पर भरोसा करते हुए सत्ता की कमान हासिल की लेकिन जिस तरह से श्री राम के नाम पर ममता चिढ़ जाती हैं. वो बीजेपी को हिन्दुत्व की सियासत करने और हिन्दू वोटर्स के मन में गुस्सा भरने का मौका देता है. इसीलिए बीजेपी बार-बार सियासी मंचों से श्रीराम का नाम लेती है.
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रविवार को स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने एक बार 2 बार अपने भाषण में राम का जिक्र किया था और अपने भाषण के अंत में जय श्रीराम का उद्घोष भी किया था. उन्होंने कहा था कि, "दीदी से कहना चाहती हूं.. आपने भले ही प्रभु राम के नाम को त्याग दिया हो, एक तरफ अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, दूसरी तरफ बंगाल में राम राज्य दस्तक दे रहा है."
स्मृति ईरानी ने ममता बनर्जी को आखिर क्यों चिढ़ाया था ये सवाल भी वाकई बड़ा है, इसे समझने के लिए आपको 23 जनवरी के कार्यक्रम को याद करना होगा, जब ममता बनर्जी के मंच पर चढ़ते ही जय श्रीराम के नारे लगे और वो भड़क गई थी. उन्होंने ये तक कह दिया था कि ये कोई पॉलिटिकल पार्टी का प्रोग्राम नहीं है. ममता दीदी को ये क्यों नहीं समझ आता है कि भगवान श्रीराम पॉलिटिकल नहीं हैं, खैर..
दीदी को गुस्सा क्यों आता है?
23 जनवरी को जिस तरह से ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने श्री राम के उद्घोष पर प्रतिक्रिया दी. जिस तरह से ममता की पार्टी के नेता अलग-अलग मोर्चों पर लगातार श्री राम और माता सीता को लेकर विवादित बोल बोल रहे हैं. उनके लिए चुनाव में मुश्किलें बढ़ सकती हैं. क्योंकि टीएमसी छोड़कर बीजेपी में आए शुवेंदु अधिकारी भी अब श्री राम के नारे को लेकर ममता को घेरने लगे हैं. उन्होंने कई बार ये कहा कि, "पहले ये लोग तिरपाल चोर थे, अब ये नारा भी चुराने लगे हैं, हरे कृष्ण हरे राम और जब कोई ममता बनर्जी के सामने श्रीराम का नाम लेता है तो ममता दीदी गुस्सा हो जाती हैं."
पश्चिम बंगाल में जहां करीब 70 फीसदी हिन्दू आबादी है. श्री राम से बैर का तमगा लगने से ममता को काफी नुकसान हो सकता है और बीजेपी के जाल में फंसी ममता अलग-अलग मंचों पर अब श्री राम का नाम लेकर, संस्कृत पाठ कर के साबित करने की कोशिश में हैं कि उन्हें श्री राम के नाम से नहीं बल्कि उसके राजनीतिक इस्तेमाल से ऐतराज है.
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