Mamata Banerjee के खिलाफ बागियों को चक्रव्यूह, अब दीदी का क्या होगा?
पश्चिम बंगाल (West Bengal) चुनाव से पहले दीदी के कुनबे TMC में भगदड़ मच गई है. ऐसा लग रहा है कि ममता सरकार (Mamata Government) से पीछा छुड़ाने के लिए बंगाल बेचैन हो रहा है..
कोलकाता: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में चुनाव अभी दूर है लेकिन चुनावी बिसात पूरी तरह से बिछ चुकी है. बीजेपी (BJP) और टीएमसी (TMC) एक दूसरे पर ताबड़तोड़ हमले कर रहे हैं, लेकिन बड़ा झटका ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को लग रहा है. पिछले 24 घंटे में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के 3 पुराने साथी उनका साथ छोड़ चुके हैं.
24 घंटे में 3.. और कितने?
शुवेंदु अधिकारी: विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा
दीप्तांशु चौधरी: TMC से इस्तीफा
जितेंद्र तिवारी: आसनसोल नगर निगम के अध्यक्ष पद से इस्तीफा
सबसे पहले बुधवार शाम शुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया. गुरुवार को सुबह सुबह से दीप्तांशु चौधरी (Deeptanshu Chaudhry) के इस्तीफे की ख़बर आई. उन्होंने पार्टी छोड़ दी, इसके बाद गुरुवार की शाम आसनसोल नगर निगम के अध्यक्ष जितेंद्र तिवारी (Jitendra Tiwari) ने भी इस्तीफा दे दिया. सवाल ये कि क्या ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) बागियों के चक्रव्यूह में फंस गई हैं.
ममता की शामत आई?
ना तृणमूल कांग्रेस का झंडा, ना ही TMC के नेताओं की मौजूदगी.. विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद पूर्वी मिदनापुर में शुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) जब पहली बार सार्वजनिक कार्यक्रम में पहुंचे तो उनकी जुबान पर वंदे मातरम का नारा था और तेवर बेहद बगावती थे. माइक थामते ही उन्होंने साफ कर दिया कि अब तक भले ही वो ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की सत्ता में भागीदार रहे हों, लेकिन अब उन्होंने सत्ता के ख़िलाफ संघर्ष का रास्ता चुना है. जिससे ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की मुश्किलें बढ़ती तय हैं. सवाल ये है कि जिस तरह से शुवेंदु अधिकारी ने ममता का साथ छोड़ा है.
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क्या TMC के कुछ और नेता और सांसद बागी हो सकते हैं? क्या ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) बागियों के चक्रव्यूह में फंस गई हैं? इन दोनों सवाल के जवाब समझने के लिए ये समझिये कि कल इस्तीफा देने के बाद शुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) ने सबसे पहले क्या किया.
TMC से नेताओं की बैर!
दरअसल, कल विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद शुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) ने आगे की रणनीति तय करने के लिए सबसे पहले TMC के पुराने साथियों का मन जानने की कोशिश की. कल इस्तीफा के बाद शुवेंदु सबसे पहले पूर्वी वर्दमान के सांसद सुनील मंडल के घर पहुंचे. जहां पहले से ही आसनसोल नगर निगम के प्रमुख सुनील तिवारी और दिप्तांशु चौधरी मौजूद थे. सुनील तिवारी (Sunil Tiwari) पिछले कुछ दिनों से ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) सरकार पर हमला कर रहे हैं. करीब एक घंटे तक तीनों नेताओं की शुवेंदु अधिकारी से मुलाकात चली. बैठक खत्म होने के बाद सुनील मंडल ने कहा कि ममता बनर्जी पुराने नेताओं की बात नहीं सुन रही हैं. इसकी वजह से इस्तीफे हो रहे हैं.
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सवाल ये है कि शुवेंदु अधिकारी ने बगावत का जो झंडा उठाया है, उसमें उनके साथ कितने बागी हैं. सूत्रों से दावा किया जा रहा शनिवार को अमित शाह की मौजूदगी में शुवेंदु अधिकारी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में शुवेंदु अधिकारी की कोशिश है कि तृणमूल कांग्रेस के ज्यादा से ज्यादा बागी उनके साथ बीजेपी में शामिल हो जाएं. जिससे बीजेपी उन्हें ज्यादा महत्व दे. हांलाकि बीजेपी कह रही है अभी कितने TMC नेता बीजेपी में शामिल होंगे ये तय नहीं है.
बागियों ने बिगाड़ा खेल
अब ये समझिये कि कितने बागी ममता का साथ छोड़ सकते हैं और इससे ममता को कितना नुकसान होगा. सबसे पहला नाम शुवेंदु अधिकारी का.. शुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) के TMC छोड़ने से 50 सीटों पर नुकसान की आशंका है. इसके बाद नाम आता वर्दमान के सांसद सुनील मंडल (Sunil Mandal) का.. सुनील मंडल वर्दमान की 6 विधानसभा क्षेत्रों में अपनी पकड़ रखते हैं. जहां TMC को नुकसान हो सकता है. इसके बाद नंबर आता है जितेंद्र तिवारी (Jitendra Tiwari) का. जितेंद्र तिवारी आसनसोल में TMC का चेहरा हैं. ममता से नाराजगी के बाद उन्होंने आसनसोल नगर निमग के प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया. हालांकि अभी वो पांडेश्वर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने हुए हैं.
उनके TMC छोड़ने से आसनसोल समेत हिंदी भाषी इलाकों में ममता को बड़ा झटका लग सकता है. दिप्तांशु चौधरी आसनसोल में TMC की कमान संभालते हैं. इन्होंने पार्टी से इस्तीफा भी दे दिया, जो ममता बनर्जी को नुकसान पहुंचना वाला है. सवाल ये है कि क्या इन नेताओं के TMC छोड़ने से पार्टी परेशान नहीं है. आखिर ममता बनर्जी की अगली रणनीति क्या है? ममता बनर्जी क्या सोच रही है?
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जिस तरह ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के ख़िलाफ उनके पार्टी में बगावत हो रही है इतना तो तय है कि कल जब अमित शाह 19-20 दिसंबर को पश्चिम बंगाल के दौरे पर होंगे तो ममता बनर्जी की मुश्किलें और बढ़ेंगी. TMC के बागियों के तेवर और कड़े हो सकते हैं, जिससे ममता बनर्जी को नुकसान तय है.
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