नई दिल्ली. चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी और कांग्रेस को धार्मिक और सांप्रदायिक मुद्दों पर बयानबाजी से दूर रहने की हिदायत दी है. इतना ही नहीं आयोग ने जातीय आधार पर, भाषाई आधार पर विद्वेष पनपाने वाले बयानों से भी दूरी बनाने की बात कही है. आयोग का कहना है कि चुनाव के दौरान भारत के सामाजिक ढांचे पर कोई धक्का नहीं लगना चाहिए. आयोग ने साफ तौर पर दोनों राष्ट्रीय पार्टियों की इसकी ताकीद की है. 


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दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राजस्थान के बांसवाड़ा में प्रधानमंत्री के एक विवादित भाषण के बाद चुनाव आयोग ने करीब एक महीने पहले बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को नोटिस जारी किया था. चुनाव आयोग ने नड्डा के तर्क को मानने से इनकार करते हुए उनकी पार्टी के स्टार प्रचारकों को धार्मिक और सांप्रदायिक आधार पर बयानबाजी से दूर रहने को कहा था. 


बीजेपी के स्टार प्रचारकों को निर्देश
चुनाव आयोग ने बीजेपी के प्रचारकों के ऐसे किसी भी बयान से दूर रहने को कहा था जिससे समाज में नफरत फैले या विवाद की स्थिति पैदा हो. वहीं कांग्रेस के मामले में भी चुनाव आयोग ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को नोटिस जारी किया था. यह नोटिस बीजेपी की उस शिकायत पर जारी किया था जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी के वक्तव्यों पर आपत्ति जताई गई थी. आयोग ने खड़गे से कहा कि कांग्रेस को जाति और समुदाय के आधार पर विभाजनकारी बयानों से बचना चाहिए. 


कांग्रेस को भी दिए निर्देश
आयोग ने खड़गे के तर्कों को मानने से इनकार कर दिया था और सेनाओं के राजनीतिकरण से बचने की सलाह दी थी. साथ ही ऐसे विभाजनकारी बयानों से बचने की सलाह दी थी जिससे सेनाओं में सामाजिक आर्थिक ढांचे पर कोई प्रभाव पड़े. इसके अलावा देश की सबसे पुरानी पार्टी को ऐसा 'मिथ्या प्रचार' करने से भी रोका गया था कि संविधान 'समाप्त' कर दिया जाएगा या 'बेच' दिया जाएगा.


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