नई दिल्लीः Uttarakhand Election: उत्तराखंड चुनाव से पहले कांग्रेस में खींचतान बढ़ती जा रही है. राज्य के पूर्व सीएम और कांग्रेस चुनाव प्रचार अभियान के प्रमुख हरीश रावत पार्टी आलाकमान के सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने के फैसले पर सवाल उठाने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं. वह उत्तराखंड चुनाव से पहले पार्टी का चेहरा घोषित करने के हिमायती हैं, जबकि कांग्रेस हाईकमान साफ कर चुका है कि पार्टी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी. 


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कांग्रेस के प्रचार अभियान के प्रमुख हैं हरीश रावत
हरीश रावत उत्तराखंड में कांग्रेस के प्रचार अभियान की कमान संभाल रहे हैं और पार्टी को सत्ता में लाने के लिए जुटे हुए हैं. लेकिन, उनकी टीस गाहे-बगाहे निकल रही है. वह चाहते हैं कि कांग्रेस चुनाव में पार्टी का चेहरा घोषित करे. 


गुटबाजी से बचना चाह रहा आलाकमान
इसके पीछे उनकी रणनीति यह है कि चूंकि राज्य में वह पार्टी के सबसे बड़े चेहरे हैं और पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं तो पार्टी अगर चेहरे का ऐलान करेगी तो उन्हें तरजीह मिलना लाजिमी है और पार्टी की मजबूरी भी. लेकिन, इससे अलग-अलग धड़ों में बंटी उत्तराखंड कांग्रेस की खाई और गहरी हो जाएगी. 


चुनाव में सबको साथ लेने की कोशिश
चुनाव से पहले गुटबाजी चरम पर पहुंचे, यह जोखिम कांग्रेस बिल्कुल नहीं उठाना चाहती है. वह पार्टी के अंदर एंटी हरीश रावत कैंप को भी साथ लेकर चल रही है, क्योंकि पार्टी की अंतर्कलह दोबारा उभरी तो इसका सीधा नुकसान चुनाव में उठाना पड़ेगा. इसीलिए आलाकमान साफ कर चुकी है कि चुनाव सामूहिक नेतृत्व में लड़ा जाएगा.


सोशल मीडिया पर सरेआम उठाए सवाल
हरीश रावत चुनाव से पहले चेहरा घोषित करने के पक्ष में लगातार अपने तर्क दे रहे हैं. अब उन्होंने एक चुनावी सर्वे का हवाला देते हुए पार्टी के निर्णय पर सवाल उठाए. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, 'एक पोर्टल पर चुनावी सर्वेक्षण पढ़ने के बाद, मेरे मन में बड़ी हलचल है. एक तिहाई से ज्यादा लोगों की मुख्यमंत्री के रूप में पसंद बनना एक बड़ी सौगात है और ये सौगात उस समय और प्रखर हो जाती है, जब इसपर पार्टी की शक्ति लगी हुई नहीं होती है. जिसके नेतृत्व को लेकर पार्टी में ही असमंजस हो, उसको इतना आशीर्वाद मिलना जनता जनार्दन की कृपा है. लोग हरीश रावत को पसंद नहीं करते, लोग उत्तराखंडियत के साथ हैं.


हरीश रावत के सोशल मीडिया पर लिखे इस पोस्ट को प्रदेश में कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अविनाश पांडेय के उस बयान का जवाब भी माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य में राहुल के नाम व सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा. 


बता दें कि इससे पहले भी कई मौकों पर हरीश रावत कांग्रेस हाईकमान के निर्णय के खिलाफ खुलेआम बोल चुके हैं.


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