नई दिल्ली. 6 अगस्त यानी आज देश के नए उपराष्ट्रपति के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा. आज सुबह 10 बजे से ससंद भवन में उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए वोटिंग प्रक्रिया शुरू हो गई है. शाम 5 बजे तक वोट डाले जाएंगे. जिसके बाद निर्वाचन अधिकारी द्वारा देश के नए उपराष्ट्रपति के नाम का ऐलान किया जाएगा. बता दें कि, उपराष्ट्रपति के लिए जहां बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए ने जगदीप धनखड़ को अपना उम्मीदवार बनाया है, तो वहीं विपक्षी यूपीए की तरफ से मार्गरेट अल्वा मैदान में हैं. इन सब के बीच आज हम आपको उपराष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया और उपराष्ट्रपति के अधिकार, शक्तियों और सैलरी आदि के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं. 


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क्या कहता है संविधान


भारत के उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा उच्चतम संवैधानिक पद है. उनका कार्यकाल पांच वर्ष की अवधि का होता है. जिस किसी ऐसी अवधि के दौरान उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है या राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन करता है, उस अवधि के दौरान वह राज्य सभा के सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन नहीं करता है और वह राज्य सभा के सभापति को संदेय किसी वेतन या भत्ते का हकदार नहीं होता. 


-अनुच्छेद 63 यह उपबंध करता है कि भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा. 


-अनुच्छेद 64 और 89 के मुताबिक भारत का उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होगा और अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं करेगा.


उपराष्ट्रपति का निर्वाचन


भारत के संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचन मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है. संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, कार्यालय की समाप्ति के कारण हुई रिक्ति को भरने के लिये चुनाव, निवर्तमान उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने से पहले पूरा किया जाना आवश्यक है. निर्वाचन मंडल में राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य, राज्यसभा के मनोनीत सदस्य और लोकसभा के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं. 


उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचकगण द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होता है. बता दें कि, उपराष्ट्रपति के चुनाव में सांसद ही मतदान करते हैं. इसमें राज्यसभा के मनोनीत सांसद भी शामिल हैं. 


योग्यता


-भारत का नागरिक होना चाहिए


-35 वर्ष की आयु पूरी होनी चाहिये


-राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुनाव के लिये योग्य होना चाहिये


- केंद्र या राज्य सरकार में किसी लाभ के पद पर ना हो


20 सांसद प्रस्तावक और 20 समर्थक


उपराष्ट्रपति के तौर पर निर्वाचित होने के लिए खड़े होने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम 20 संसद सदस्यों द्वारा प्रस्तावक के रूप में और कम से कम 20 संसद सदस्यों द्वारा समर्थक के रूप में नामित किया जाता है. उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचन चाहने वाले अभ्यर्थी को 15,000 रू. की जमानत राशि जमा करनी होती है.


काउंटिंग का तरीका


प्रत्येक अभ्यर्थी द्वारा प्राप्त किए गए प्रथम वरीयता वाले मतों की संख्या का पता लगाया जाता है. इस प्रकार पता लगाई गई संख्याओं को जोड़ा जाता है  योग को दो से विभाजित किया जाता है और किसी भी शेषफल पर ध्यान न देते हुए भागफल में एक जोड़ा जाता है. परिणामी संख्या ऐसा कोटा होती है जो कि निर्वाचन में अपनी वापसी सुनिश्चित करने के लिए किसी अभ्यर्थी के लिए पर्याप्त है. यदि प्रथम या किसी परवर्ती गणना के अंत में, किसी अभ्यर्थी के जमा वोटों की कुल संख्या कोटे के बराबर या इससे अधिक हो, तो उस अभ्यर्थी को निर्वाचित घोषित किया जाता है. 


अधिकार और सैलरी


उपराष्ट्रपति भारत का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक कार्यालय है. साथ ही वे राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं. राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति ही उनके दायित्वों का निर्वहन करते हैं. उप-राष्ट्रपति पद से जुड़े किसी भी मामले की सुनवाई केवल सुप्रीम कोर्ट ही करता है. 


देश में उपराष्ट्रपति की सैलरी संसद अधिकारी के वेतन और भत्ते अधिनियम 1953 के तहत तय होती है. उपराष्ट्रपति की वैसे अलग से कोई सैलरी नहीं होती है. यानी उपराष्ट्रपति पद के लिए सैलरी का कोई प्रावधान नहीं है. लेकिन उन्हें राज्यसभा के सभापति के तौर पर सैलरी और अन्य सुविधाएं दी जाती हैं. फिलहाल उपराष्ट्रपति को हर महीने 4 लाख रुपये सैलरी दी जाती है. 


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