बंगाल में बीजेपी के साथ खेला होगा या टीएमसी के साथ फेला होगा? इस सवाल का जवाब तलाशना है, तो बंगाल की सियासी सरगर्मी का तापमान मापना होगा. माना जा रहा है कि इस बार का बंगाल विधानसभा चुनाव दो पार्टियों के इर्द-गिर्द ही है. एक तो सत्ताधारी पार्टी TMC और दूसरी BJP


बंगाल चुनाव में स्लोगन वार


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इस बार के चुनाव में गजब का माहौल देखने को मिल रहा है. ममता बनर्जी का खेमा एक नया स्लोगन प्रमोशन करने में जुटा है. 'खेला होबे' यानी खेल होगा. आश्चर्य की बात तो ये है कि इस स्लोगन पर गाना भी बन गया है.


इस गाने में शानदार धुन के साथ दमदार म्यूजिक का इस्तेमाल किया गया है. तृणमूल कांग्रेस  के कई बड़े-बड़े नेता इस गाने और स्लोगन का जमकर प्रमोशन भी कर रहे हैं. खुद ममता बनर्जी इस स्लोगन का जोरो शोरों से प्रचार प्रसार कर रही हैं.


'खेला होबे' को जरा समझिए


खेला होबे सिर्फ एक स्लोगन या फिर गीत नहीं है, बल्कि ये एक तीखा तंज है. इस तंज को TMC ब्रिगेड BJP को चिढ़ाने के लिए मौजूदा विधानसभा चुनाव के आगाज से पहले ही कर दिया था. 2019 के लोकसभा चुनाव की सफलता को विधानसभा में भी भुनाने की कोशिश कर रही भाजपा के राजनीति खेल को बिगाड़ने की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पुरजोर कोशिश कर रही है.


दीदी और उनकी पार्टी इस नारे के जरिए बताना चाहती है कि इस बार बंगाल में BJP के साथ बड़ा खेल होने वाला है, क्योंकि बीते लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा की उम्मीदें बढ़ गई हैं. भाजपा ने तो 200+ का टारगेट भी सेट कर लिया है. ऐसे में TMC ये कहना चाहती है कि कुछ खेल तो होगा.


कहीं भारी ना पड़ जाए अति आत्मविश्वास


TMC बड़े दावे के साथ कह रही है कि बंगाल में इस बार खेल होगा. ये खेल क्या है इसे शायद दीदी ही बेहतर समझती होंगी. लेकिन कहीं उनका ओवर कॉन्फिडेंस उनपर उल्टा ना पड़ जाए.


खेल कहीं उल्टे TMC के साथ न हो जाए. क्योंकि खेल तो तब होता है, जब कोई बहुत बड़ा बदलाव होता है. एक-एक करके टीएमसी के कई सहयोगी उनका साथ छोड़ रहे हैं. जैस शुवेंदु अधिकारी, वैशाली डालमिया.. ऐसे सैकड़ों नेता और कार्यकर्ताओं ने दीदी का साथ छोड़ दिया. अमित शाह तो ये तक ह चुके हैं कि चुनाव खत्म होते-होते दीदी और उनके भतीजे अकेले रह जाएंगे.


दीदी एंड कंपनी बार-बार ये कह रही है कि 'खेला होबे'.. वो किस खेल की बात कर रहे हैं, TMC सभी 294 सीटों पर कब्जा जमाने का ख्वाब तो नहीं देख रही है? खैर.. ये पब्लिक है ये सब जानती है. बंगाल में खेला किसके साथ होता है और कौन खेला करता है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.


जय श्रीराम और मुस्लिम तुष्टिकरण के बीच की दरार बढ़ती जा रही है, ऐसे में मुस्लिम मतों का विभाजन और ओवैसी की बंगाल में एंट्री ममता के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही हैं. फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दकी गिरगिट की तरह लगातार रंग बदल रहे हैं. अपनी पार्टी बनाने से लेकर कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन के साथ आने तक कई तरह की अटकलें एकसाथ चल रही हैं.


अगर मुस्लिम वोटबैंक का विभाजन रोकने में ममता दीदी कामयाब नहीं होती हैं तो खेला उन्हीं के साथ हो सकता है.


मतुआ वोटबैंक पर हो सकता है खेला


लोकसभा चुनाव 2019 में मतुआ समाज का भाजपा का दामन थामना ममता दीदी की TMC के लिए परेशानी का सबब साबित हुआ था. वहीं भाजपा ने बंगाल में जबरदस्त धौंस जमाई थी. अगर विधानसभा चुनाव में भी मुस्लिम वोटबैंक के विभाजन के साथ मतुआ समाज का करीब 2 करोड़ वोटबैंक भाजपा की झोली में आ जाता है तो निश्चित तौर पर 10 साल से सत्ता पर काबित ममता दीदी के साथ बड़ा खेला हो सकता है.


अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भाजपा ने डोर टू डोर कैंपेन किया और दीदी तो जय श्रीराम के नारे से भी चिढ़ जाती हैं. ऐसे में भाजपा यदि राम के नाम पर हिन्दू वोटबैंक को एकजुट करने में कामयाब हो जाता है तो असली खेला उल्टे TMC की ममता बनर्जी के साथ हो सकता है.


TMC बार-बार कह रही है 'खेला होबे'


अभिषेक बनर्जी से लेकर नुसरत जहां तक, ममता बनर्जी से लेकर अनुब्रत मंडल तक सभी टीएमसी नेता यही कहते दिख रहे हैं कि इस बार के चुनाव में भाजपा के साथ बड़ा खेल होने वाला है.


पश्चिम बंगाल की सियासत में हर तरफ एक ही गूंज है- खेला होबे यानी खेल होगा.. नुसरत जहां ने भी कहा कि हाल ही में कहा था कि इस बार चुनाव में खेल होगा. सिर्फ नुसरत ही क्यों, खुद ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी मंच से ये हुंकार भर रहे हैं कि खेला होबे.



बीते 24 फरवरी को ही ममता दीदी ने कहा था कि 'खेल तो होगा इसी खेल को दिखाकर बीजेपी को ठीक करेंगे और उससे अगले दिन देखेंगे कि बीजेपी देश में रुकेगी या नहीं रुकेगीऔर बंगाल में कैसा खेल है. अगर बंगाल से बीजेपी हार गई तो पूरे देश से विदाई ले लेगी. खेला होबे खेल के देखो.'



भाजपा ने भी बंगाल में बड़ा खेल करने के लिए पूरा जोर लगा दिया है, जिसका असर धीरे-धीरे नजर आने लगा है. जब दीदी के सिपाहियों ने खेला होबे को बीजेपी के खिलाफ हथियार बनाने का फैसला किया तो भाजपा ने भी टीएमसी का तीर उसी के खिलाफ इस्तेमाल करने का मन बना लिया.


भाजपा नेता, कार्यकर्ता और सांसदों ने खेला होबे को उल्टे टीएमसी के खिलाफ इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. हाल ही में अमित शाह की मौजूदगी में बंगाल में भाजपा की साइकिल रैली की शुरुआत हुई, तो इस मौके पर कई भाजपा कार्यकर्ताओं ने खेला होबे का स्लोगन को दोहराते हुए TMC पर तंज कसा.


टीएमसी नेताओं का कहना है कि बंगाल में बहुत बड़ा खेला होगा. बाहरियों को बंगाल स्वीकार नहीं करेगा. बंगाल में बीजेपी की हवा नहीं है. इस खेला का मतलब क्या ही समझा जाए, क्योंकि जिस बात को ममता दीदी के नेता बार-बार कह रहे हैं, वो सुनने में तो आसान लग रही है, लेकिन बंगाल में बीजेपी की हवा नहीं है ये थोड़ा अनपच जैसा कुछ है. खैर, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.


TMC का 'खेला होबे' Vs BJP का 'फेला होबे'


खेला होबे स्लोगन का तोड़ बीजेपी ने निकाल लिया है. भाजपा ने खेला होबे के खिलाफ 'अबकी TMC के फेला होबे' का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. एक जनसभा को संबोधित करते हुए भाजपा सांसद अर्जुन सिंह ने 'फेला होबे' के नारे को बुलंद किया था.



बीजेपी इस बार हर हाल में दीदी का किला भेदना चाहती है. उसे जनता का कैसा सपोर्ट मिल रहा है उसे इस बार के चुनावी नतीजे साफ कर देंगे, लेकिन दीदी भले ही खेला होबे-खेला होबे कर लें, लेकिन इतना तो उनको भी समझ आ गया है कि इस बार की राह आसान नहीं है.


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असल मुद्दा तो ये है कि कहीं दीदी का ये खेला उन्हीं पर भारी ना पड़ जाए. खेला होबे-खेला होबे करने वाली टीएमसी को पता होना चाहिए कि खेला तब होता है, जब कुछ अलग या फिर बदलाव होता है. खैर, ये तो समय ही बताएगा कि बंगाल में इस बार खेला होगा या फेला होगा. बस दीदी को अलर्ट जरूर रहना चाहिए, क्योंकि कहीं इस बार उनके साथ खेला न हो जाए.


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