कोलकाता: बंगाल में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. पश्चिम बंगाल की धरती पर जारी सियासत का जुबानी युद्ध बहुत जल्द वोट की जंग भी देखने को मिलेगा. वैसे तो हर चुनाव में ढेरों मुद्दे होते हैं, West Bengal Election में भी होंगे.
बंगाल चुनाव के 10 बड़े मुद्दे
आपको उन 10 बड़े मुद्दों को समझना चाहिए जिसपर TMC और BJP के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है. जिसे इस बार के चुनाव में दोनों ही पार्टियां सबसे बड़े मुद्दे के तौर पर आंक रही है.
1. जय श्री राम
एक नारा 'जय श्रीराम' बंगाल में बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा बन चुका है. ममता बनर्जी की नजर में जय श्रीराम बीजेपी का सियासी नारा है. जय श्रीराम के उद्घोष से ममता दीदी आग बबूला हो जाती है, जिसका कई उदाहरण देखे गए हैं.
West Bengal Assembly Election 2021: राम हैं बीजेपी की एनर्जी, ममता को एलर्जी!
23 जनवरी को पराक्रम दिवस के मौके पर जब ममता दीदी मंच पर पहुंची तो जय श्रीराम के नारे लगने लगे और वो खिसिया गईं. उनका गुस्सा इतना परवान चढ़ गया था कि उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करने से भी मना कर दिया था.
BJP ने दीदी की इस कमजोरी को समझ लिया है और वो जय श्रीराम के नारे को चुनावी मुद्दे की तरह इस्तेमाल कर रही है. BJP के नेता रैलियों में दीदी को यही कहकर कोस रहे हैं कि उन्हें श्रीराम से बैर है.
2. मुसलमान
बंगाल की सियासत में मुसलमानों को लेकर ऐसे मुकाम पर आ चुकी है कि मुस्लिम वोटों पर बड़ी खींचतान शुरू हो गई है. इस बार के चुनाव में मुस्लिम वोटबैंक काफी अहम किरदार साबित होगा. इस बार मुसलमान दीदी पर आंख बंद करके भरोसा नहीं कर पाएगा. इसकी दो बड़ी वजह है.
पहली वजह फुरफुरा शरीफ का पीरजादा अब्बास सिद्दीकी है. जिसने ममता बनर्जी का साथ छोड़कर नई पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट बनाई है.
दूसरी बड़ी वजह असदुद्दीन ओवैसी हैं, जिन्होंने बंगाल की सियासत में कदम रखकर ममता बनर्जी की टेंशन काफी बढ़ा दी है
पीरजादा का पार्टी बनाना और ओवैसी की बंगाल में एंट्री से ये समझ आता है कि बंगाल में असली खेला मुसलमानों को लेकर ही है. इस बार के चुनाव में मुसलमानों का मुद्दा हर बार से काफी जुदा रहने वाला है.
3. किसान
कृषि कानूनों पर छिड़े संग्राम के बाद बंगाल चुनाव में किसान एक बहुत बड़ा मुद्दा है. ममता दीदी ने भी तीनों कानूनों का खुलकर विरोध किया है, लेकिन भाजपा बंगाल में इसे फायदे के रूप में देख रही है. भाजपा बार बार किसानों के लिए दी जाने वाली योजनाओं पर TMC और दीदी को कोस रही है.
हाल ही में पीएम मोदी ने एक रैली में कहा था कि केंद्र सरकार किसानों और गरीबों के हक का पैसा सीधे उनके बैंक खाते में जमा करती है, जबकि बंगाल सरकार की योजनाओं का पैसा TMC के तोलाबाजों की सहमति के बिना गरीब तक पहुंच ही नहीं पाता.
बंगाल के लाखों किसान परिवारों को पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा इसी मानसिकता के कारण नहीं मिल पाया है. उनके हक को यहां की सरकार में बैठे हुए लोगों ने छीन लिया है. पश्चिम बंगाल के किसानों का झुकाव किस ओर रहता है, ये चुनावी नतीजे समझा देंगे.
किसानों के झूठे हमदर्द राहुल, ममता, केजरीवाल!
भाजपा ने अपने इस चुनावी मुद्दे में ये तक ऐलान कर दिया है कि उनकी सरकार आएगी तो किसानों को उनके हक की सभी बकाया किश्ते देंगे.
4. घुसपैठिये
बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा बंगाल में काफी पुराना है. फर्क सिर्फ इतना है कि 10 साल पहले इसका खुद ममता बनर्जी इसके विरोध में आंसू बहाती थीं, लेकिन आज वो घुसपैठियों को संरक्षण देने की बातें करती हैं. जब ममता बनर्जी सांसद हुआ करती थी तब उन्होंने लोकसभा में रोते हुए स्पीकर से खूब बहस की थी.
ममता का गुस्सा उस वक्त इतना बेकाबू हो गया था कि उन्होंने संसद के वेल में जाकर सभापति के उपर कागज के पन्ने फेंक दिए.
घुसपैठिये के मुद्दे पर भाजपा का स्टैंड क्लियर है. बीजेपी ने ये साफ कर दिया है कि हम सत्ता में आएंगे तो घुसपैठियों को भगाएंगे. भाजपा रोहिंग्या के खिलाफ कार्रवाई करने के मूड में है. अब देखना होगा कि घुसपैठिये का मुद्दा भाजपा को फायदा पहुंचाता है या फिर टीएमसी को वापसी करता है.
5. CAA
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ ममता बनर्जी समेत सभी विपक्षी पार्टियों ने देश में जमकर बवाल काटा था. पश्चिम बंगाल में CAA का मुद्दा काफी अहम है. वहां कई ऐसे प्रवासी हैं, जो CAA के दायरे में आते हैं.
ममता दीदी शुरू से ही CAA का विरोध कर रही हैं, तो वहीं केंद्र सरकार इस मुद्दे पर भी अडिग है. अमित शाह ने कई रैलियों से ये ऐलान किया है कि बंगाल में CAA लागू होकर रहेगा. मतुआ समाज को सीएए के जरिए भाजपा फायदा देना चाह रही है, जिससे मतुआ समाज का झुकाव भाजपा की तरफ देखा जा रहा है. CAA पर बंगाल की जनता किसका साथ देगी?
6. हिंसा
बंगाल में आए दिन राजनीतिक हिंसा की खबरें सामने आती हैं. कभी भाजपा कार्यकर्ताओं से मारपीट, तो तभी भाजपा अध्यक्ष के काफिले पर पथराव और हमला, भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या सारी हिंसा चुनाव में बड़ा मुद्दा बना हुआ है.
भाजपा ये दावा कर रही है उसके 100 से ज्यादा कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई है. आए दिन मार-पीट गुंडागर्दी की घटनाएं सामने आती हैं. भाजपा की परिवर्तन रैली पर हमला होता है, इतना ही नहीं अब तो बीजेपी के परिवर्तन रथ पर भी को अटैक हो गया. चुनाव में हिंसा के मुद्दे को भाजपा जमकर भुनाने में जुटी हुई है.
7. तोलाबाजी
भाजपा ने ममता दीदी की सरकार को तोलाबाजों की सरकार करार दिया है. तोलाबाजी बंगाल में बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा है. जिसे इस तरह समझा जा सकता है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा तोलाबाजी के मुद्दे को खूब हवा दे रहे हैं.
हुगली से PM Modi की हुंकार, कहा- ऐसा बंगाल, जो तोलाबाजी से मुक्त होगा
पीएम मोदी ने तो ये तक कह दिया कि 'ऐसा बंगाल, जो तोलाबाजी से मुक्त होगा, रोजगार और स्वरोजगार युक्त होगा.'
भाजपा ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार किसानों और गरीबों के हक का पैसा सीधे उनके बैंक खाते में जमा करती है. जबकि बंगाल केंद्र सरकार की योजनाओं का पैसा TMC के तोलाबाज़ों की सहमति के बिना गरीब तक पहुंच ही नहीं पाता.
8. महंगाई
चुनाव में मंहगाई एक खास मुद्दा होता है. बंगाल में भी ऐसा ही देखा जा रहा है. ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) महंगाई को लेकर केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर हैं. कांग्रेस और लेफ्ट भी महंगाई पर मोदी सरकार को कोस रही है.
ममता बनर्जी पेट्रोल डीजल को लेकर मोदी सरकार पर तीखा प्रहार कर रही हैं. उन्होंने स्कूटी चलाई और महंगे पट्रोल-डीजल पर केंद्र के खिलाफ संदेश देने की कोशिश की.
9. बाहरी
ममता बनर्जी ने बंगाल विधानसभा चुनाव में बंगाली Vs बाहरी के मुद्दे को उठाया तो सियासत में उबाल आ गया. दीदी ने ये तक कह दिया कि गुजरात से आकर बंगाल में कोई जीत नहीं सकता है. ममता ने सीधे तौर पर बीजेपी को बाहरी करार दिया.
West Bengal में Mamata दीदी का ‘बाहरी’ कार्ड क्या होगा कामयाब? जानिये यहां
भाजपा ने दीदी के 'बंगाली Vs बाहरी' के मुद्दे को उल्टे उन्हीं के खिलाफ इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. भाजपा ने दीदी के इस आरोप के जवाब में कहा कि बंगाल में भाजपा का सीएम बंगाली ही होगा. अमित शाह ने तो ये तक पूछ दिया कि क्या दीदी को दिलीप घोष, शुवेंदु अधिकारी और सभी बंगाली नेता बाहरी क्यों लगते हैं?
10. महापुरुष
बंगाल में इस बार महापुरुषों का मुद्दा बहुत बड़ा है. इस मुद्दे की अहमियत भाजपा और दीदी की टीएमसी अच्छे से समझती है. तभी तो भाजपा के सभी दिग्गज नेता बंगाल के महापुरुषों को नायकों के प्रति खासा झुकाव दिखा रही है.
भाजपा ने आरोप लगाया है कि बंगाल के महापुरुषों की लिगैसी को ममता सरकार बचा नहीं पाई है. भाजपा ने सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिवस पर पराक्रम दिवस मनाया. तो वहीं, टीएमसी और कांग्रेस ने अमित शाह पर आरोप लगाया था कि वो गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर की कुर्सी पर बैठ गए थे. जिसके बाद शाह ने कांग्रेस की सियासत को बेनकाब कर दिया था.
बंकिम चंद्र चटर्जी हो, ईश्वरचंद्र विद्यासागर या राजाराम मोहन रॉय.. इस बार का चुनाव ऐसे सभी महापुरुषों के इर्द गिर्द घूम रहा है.
इसे भी पढ़ें- Bengal Election 2021: चुनाव आयोग ने मतदाताओं के लिए किया ये बड़ा बदलाव
ये 10 मुद्दे बंगाल चुनाव में सबसे तड़कते-भड़कते मुद्दे हैं. इन मुद्दों पर ही इस बार पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव हो रहा है. वैसे तो और भी कई सियासी मुद्दे हैं, लेकिन इन 10 मुद्दों ने बंगाल की सियासत की सरगर्मी काफी बढ़ा दी है.
इसे भी पढ़ें- Bengal Election: 'चुनावी खेला' की तारीखों का हुआ ऐलान, जानिए कब कहां होगा मतदान?
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.