कौन हैं शोभन देव चट्टोपाध्याय? जिन्हें ममता दीदी ने अपनी भवानीपुर सीट दे दी
ममता बनर्जी ने इस बार नंदीग्राम से चुनावी जंग में ताल ठोकने का ऐलान कर दिया है, लेकिन ममता बनर्जी ने भवानीपुर सीट छोड़ दी. उन्होंने इस सीट पर अपने किस भरोसेमंद सिपाही को खड़ा किया है? जानिए
कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने अपने 291 उम्मीदवारों के नामों के ऐलान कर दिया है. दिलचस्प बात ये है कि उन्होंने इस बार नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. भवानीपुर सीट से उन्होंने अपने एक मंत्री को उम्मीदवार बनाया है.
शोभनदेव चट्टोपाध्याय पर दीदी का भरोसा
भवानीपुर विधानसभा सीट से इस बार ममता बनर्जी की जगह राज्य के बिजली मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय TMC के उम्मीदवार बनाए गए हैं. आपको बता दें, शोभनदेव यूनियन लीडर भी रहे हैं. शोभनदेव को टिकट देना ममता के भरोसे को दर्शाता है.
पहली बार वर्ष 1998 में शोभनदेव ने तृणमूल कांग्रेस TMC की टिकट पर रासबिहारी विधानसभा सीट से चुनाव में जीत हासिल की थी. वो अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की श्रमिक इकाई आइएनटीटीयूसी (INTTUC) के संस्थापक अध्यक्ष थे.
वर्ष 2011 में जब पहली बार बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनी थी, तो वह विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक थे.
2016 में बने ममता सरकार में मंत्री
वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में जब तृणमूल कांग्रेस (TMC) दोबारा सत्ता में आई, तो शोभनदेव चट्टोपाध्याय (Sobhandeb Chattopadhyay) को ममता कैबिनेट में बिजली मंत्री की जिम्मेदारी मिली. उन्होंने 27 मई 2016 को मंत्री पद की शपथ ली थी.
2016 के विधानसभा चुनाव में शोभनदेव ने रासबिहारी विधानसभा सीट से कांग्रेस के आशुतोष चटर्जी को 14 हजार 553 वोटों से मात दी थी. उन्होंने 60 हजार 857 वोट हासिल किए थे.
ऑटो रिक्शा ऑपरेटर्स यूनियन के अध्यक्ष
युवावस्था में शोभनदेव चट्टोपाध्याय बॉक्सर रहे और बंगाल के दिग्गज ट्रेड यूनियन लीडर में शुमार थे. उन्होंने विज्ञान और कानून की पढ़ाई की है, शोभनदेव कोलकाता ऑटो रिक्शा ऑपरेटर्स यूनियन के अध्यक्ष भी हैं.
शोभनदेव का सियासी करियर कांग्रेस नेता के तौर पर शुरू हुई थी. 1991 में उन्होंने कांग्रेस की टिकट से बारुईपुर विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी.
वर्ष 2001 और 2006 में भी उन्होंने TMC के टिकट से रासबिहारी विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी. 2011 में उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को 50 हजार से अधिक वोटों से हराया था. इस सीट पर उनका खासा दबदबा माना जाता है. रासबिहारी सीट से इस बार दीदी ने देवाशीष कुमार (Debasish Kumar) को टिकट दिया है.
ममता बनर्जी ने क्यों छोड़ा भवानीपुर सीट
ममता बनर्जी के खास रहे शुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था, जिसके बाद ममता दीदी ने नंदीग्राम सीट से शुवेंदु अधिकारी को हराने ओपन चैलेंज दिया था. इसी के चलते उन्होंने भवानीपुर विधानसभा सीट छोड़ दी.
2016 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने भवानीपुर सीट से 25 हजार 301 वोटों से जीत हासिल की थी. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की दीपा दासमुंशी को मात दी थी. दीदी ने 65 हजार 520 वोट हासिल किए थे, जबकि दीपा को 40 हजार 219 वोट मिले थे.
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ममता बनर्जी ने उनके लिए सुरक्षित कही जाने वाली भवानीपुर सीट के बदले नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान किया. अब देखना होगा कि इस बार के चुनाव में शोभनदेव चट्टोपाध्याय ममता दीदी की पुरानी सीट बचा पाते हैं या फिर इस सीट को भाजपा की आंधी में गंवा देते हैं.
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