जानें कैसे पड़ा अवॉर्ड का नाम Oscar, कब हुई शुरुआत, बेहद दिलचस्प इसका इतिहास
oscar award history: कुछ ही घंटो बाद दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड्स में से एक ऑस्कर अवॉर्ड का आयोजन होने वाला है. हर किसी को इस पल का बेहद बेसब्री से इंतजार रहता है. लेकिन क्या आप इस अवॉर्ड की हिस्ट्री जानते हैं? नहीं तो चलिए हम बताते हैं.
नई दिल्ली:oscar award history: ऑस्कर अवॉर्ड 2024 का आयोजन इस बार कैलिफॉर्निया के डॉल्बी थिएटर में जाने वाला है. 10 मार्च की रात को अमेरिका में 96वें अकादमी अवॉर्ड विनर्स की घोषणा की जाएगी. ऐसे में अब हर किसी को बस इस पल का इंतजार है. चलिए जानते हैं कि अकादमी पुरस्कारों की ट्रॉफी को ऑस्कर नाम क्यों दिया गया है.
क्या है ऑस्कर का इतिहास?
साल 1927 में एमजीएम स्टूडियो के हेड लुइस बी मेयर और अन्य लोगों ने मिलकर फिल्म इंडस्ट्री को लेकर योजना बनाई. इंडस्ट्री को फायदा पहुंचाने के लिए एक संगठन बनाने का सोचा. जिसके बाद जनवरी 1927 में लॉस एंजिल्स के एंबेसेडर होटल में एक डिनर पार्टी रखी गई. इस डिनर पार्टी में कुल 36 लोगों शामिल हुए थे, जिनके साथ संगठन बनाने के प्रस्ताव पर राय मांगी गई और बातचीत की गई.
लोगों का मिला समर्थन
डिनर पार्टी में शामिल सभी लोगों ने इस प्रस्ताव का अपना समर्थन दिया. इसके बाद मार्च में डगलस फेयरबैंक्स संगठन के पदाधिकारी चुने गए. वहीं मई में इस अकादमी को राज्य ने एक एनजीओ के तौर पर अनुमति मिली. इस संगठन में सबसे पहले एक्टर, डायरेक्टर, राइटर और टेक्नीशियन्स की ब्रांच स्थापित की गई थी.
ऑस्कर की ट्रॉफी का इतिहास
साल 1927 में अकादमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आर्ट्स एंड साइंसेज ने ऑस्कर अवॉर्ड ट्रॉफी के लिए कई कलाकारों से अपने-अपने डिजाइन्स दिखाने को कहा था, जिसके बाद मूर्तिकार जॉर्ज स्टैनली की बनाई हुई डिजाइन को सबसे ज्यादा पसंद किया गया था. बता दें कि यह ट्रॉफी धातु की होती है, जिस पर गोल्ड की लेयर रहती है. ऑस्कर ट्रॉफी 13.5 इंच लंबी और इसका वजन 8.5 पाउंड यानी 3.85 किलो होता है.
ऐसे पड़ा ऑस्कर नाम
भले ही दुनियाभर में लोग इस अवॉर्ड को ऑस्कर के नाम से जानते हैं, लेकिन इसका असली नाम ‘अकादमी अवॉर्ड ऑफ मेरिट’ है. ये अवॉर्ड शो सबसे पहले 16 मई, 1929 में आयोजित किया गया था. ऑस्कर के पहला समारोह अमेरिका के एक होटल में हुआ था, जो सिर्फ 15 मिनट तक ही चला था. इसका नाम ऑस्कर अकादमी लाइब्रेरियन मार्गरेट हेरिक ने रखा था. क्योंकि उन्हें इसकी ट्रॉफी उनके अंकल ऑस्कर जैसी लगी थी.
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