Anupamaa 17 July Episode Spoiler: 'अनुपमा' के बुधवार के एपिसोज की शुरुआत मंदिर के सीन से होगी. अनुपमा को मंदिर में किसी के बांसुरी बजाने की आवाज सुनाई देगी और वह उस ओर बढ़ती जाएगी, वह बांसुरी बजाने वाले शख्स का चेहरा देखने ही वाली होगी कि तभी उसे आश्रम के लोग बुला लेंगे और ये बांसुरी बजाने वाला शख्स कोई और नहीं, बल्कि अनुज होगा. हालांकि, अनुपमा का ध्यान फिर से उसी शख्स पर जाएगा वह फिर मंदिर जाकर उसे देखने की कोशिश करेगी, लेकिन तब तक अनुज वहां से जा चुका होगा. अनुपमा को बार-बार एहसास होगा कि ये शख्स अनुज ही था.


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किंजल लेने लगी है अनुपमा की जगह


17 जुलाई की कहानी में आगे दिखाया जाएगा कि वनराज के घर में किंजल अकेले बच्चों को संभालते हुए परेशान हो जाएगी. बच्चे अब बड़े होने गए हैं और वह किंजल का कहना नहीं मान रहे हैं. किंजल झुझलाते हुए जाएगी, तभी उसका बैलेंस बिगड़ेगा वह सड़क पर गिर पड़ेगी. इस दौरान अनुपमा आकर उसे संभालेगी और समझाते हुए कहेगी कि बेशक उसे दूसरी अनुपमा कहा जाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वो खुद को अनुपमा ही साबित करे.


किंजल को समझाएगी अनुपमा


अनुपमा कहेगी कि सबकुछ संभालने वाली औरत का ताज बहुत भारी होता है और इसके बदले समाज से हमें कुछ नहीं मिलता. ऐसे में किंजल कहेगी कि उसे मजबूरी में ये सब करना पड़ रहा है, क्योंकि कोई है ही नहीं संभालने वाला. इसी दौरान आश्रम में जब एक लड़का बच्चों को सिखा रहा होगा कि हमें अपनी मां को परेशान नहीं करना चाहिए, तो ऐसे में अंश उसका हाथ काटकर वहां से भाग जाएगा और सड़क पर गिर पड़ेगा.


तोषू करेगा बदतमीजी


तभी तोषू आकर आश्रम के उस लड़के से लड़ाई करने लगेगा. ऐसे में अनुपमा उन दोनों के बीच आएगी और तोषू को फटकारेगी. अनुपमा जब तोषू को डांट रही होगी, तभी वनराज शाह आएगा और अनुपमा के पुराने जख्मों को ताजा कर देगा. ऐसे में अनुपमा गुस्से में वहां से चली जाएगी. 


आश्रम के लोग ढूंढेंगे रास्ता


दूसरी ओर आश्रम के लोग अपनी आर्थिक स्थिति को सही करने के लिए कोई रास्ते ढूंढने की कोशिश करेंगे. हालांकि, इसके बावजूद वह चीजों को ठीक नहीं कर पाएंगे. इसके चलते बापूजी और उनका आश्रम का दोस्त बाला शेट्टी गार्ड की नौकरी करने का फैसला करेंगे. वहीं, इंदिरा भी कोई छोटे-मोटे काम देखकर आश्रम का बजट संभालने की मदद करने की कोशिश करेगी. इस मुश्किल के बावजूद अनुपमा के आश्रम में सभी खुश होंगे.


बा के लिए हर दिन मुश्किल


वहां, वनराज के घर में लीला बा के लिए हर एक दिन बहुत मुश्किल से गुजर रहा है. लगभग हर दिन घर के बच्चे बा को बुरा-भला सुनाकर चले जाते हैं. कभी पाखी तो कभी तोषू, बा के साथ बदतमीजी करने लगते हैं. इन सबके बावजूद बा को इसी घर में और इसी माहौल में एडजेस्ट करके रहना पड़ रहा है.


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