`हरिवंश पुराण` से हरिवंश राय बच्चन का गहरा नाता, जानें जन्म से जुड़ा दिलचस्प किस्सा
Harivansh Rai Bachchan death anniversary: हिंदी के मशहूर कवि-लेखक हरिवंश राय बच्चन ने 18 जनवरी 2003 को दुनिया को अलविदा कह दिया था. उनकी कविताएं और सरलता को आज भी लोग याद करते हैं.
नई दिल्ली: Harivansh Rai Bachchan death anniversary: अमिताभ बच्चन के पिता और मशहूर कवि डॉक्टर हरिवंश राय बच्चन का नाम जेहन में आते ही उनकी रचना मधुशाला की याद आ जाती है. उके कविता कहते ही मंचों पर लोग सुध-बुध खो बैठते थे. हिंदी के मशहूर कवि-लेखक हरिवंश राय बच्चन ने 18 जनवरी 2003 को मुंबई में अंतिम सांस ली थी. इनकी कविताओं में सरलता और संवेदनशीलता हर किसी को बहुत पसंद आती है.
पिता को बेटे की चाहत
हिंदी साहित्य के महाकवि हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद के प्रतापगढ़ जिले के गांव पट्टी में हुआ था. इनके जन्म के लिए पिता लाला प्रताप नारायण श्रीवास्तव और मां सुरसती देवी को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था.
लाला प्रताप नारायण श्रीवास्तव की 2 संतानों का पहले ही निधन हो चुका था. वहीं उन्हें वंश को आगे बढ़ाने के लिए बेटे की ख्वाइश थी.
पंडित ने दिखाया रास्ता
पंडित ने सुरसती देवी और लाला प्रताप को 3 बर्तन दिए और कहा कि इस बर्तन को लेकर अपने घर से दक्षिण दिशा की ओर जाओ. जहां शाम हो जाए, वहीं रुक जाना. फिर वहीं घर बनवाकर हरिवंश पुराण सुनना तो संतान सुख मिलेगा. दोनों बर्तन लेकर गांव से पैदल चले और शाम तक करीब 54 किलोमीटर दूर इलाहाबाद के चक जीरो रोड पहुंचे और रुक गए.
वहीं घर बनवाया और वहां परिवार आगे बढ़ाया. कुछ 6 भाई बहन थे हरिवंश राय बच्चन. इसी दौरान इनका नाम हरिवंश पुराण पर आधारित हरिवंश राय रखा गया.
आज भी मौजूद है उनका कमरा
साल 1984-85 में हरिवंश राय बच्चन ने अपने इस पैतृक आवास को मात्र 30,000 में भांजे रामचंद्र को बेच दिया था, लेकिन आज भी उनके बेटे अमिताभ और परिवार के सदस्य इस घर को देखने जाते हैं. रामचंद्र के 4 बेटों में बंटवारे के बाद मकान का तो जैसे अस्तित्व नहीं के बराबर रह गया है, लेकिन डॉ. हरिवंश राय बच्चन के भांजे के बेटे अनूप रामचंदर ने उनके कमरे को आज भी उनकी यादगार चीजों के साथ वैसे ही संभाल कर रखा है, जैसे वह रखते थे.
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