नई दिल्ली: Women In Bollywood: हिंदी सिनेमा में शुरुआत से ही पुरुष किरदार को अधिक महत्व दिया गया है. सिनेमा को हीरोवादी सिनेमा कहना भी गलत नहीं होगा. फिल्म में महिला का किरदार केवल मां, बहन या फिर प्रेमिका के रूप में दिखाया गया है और दिखाया जा रहा है. महिलाओं का किरदार केवल फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाने के लिए रखा जाता है. 50 से 60 के दशक में भारतीय सिनेमा में हीरो ताकतवर और महान होता था उसके किरदार के आगे किसी भी किरदार की जरूरत नहीं पड़ती थी, अकेले वह ही सब कुछ कर सकता है. 80 दशक आते-आते यह मिथक टूटने लगा


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हिंदी सिनेमा में पुलिस, डॉक्टर, वकील जैसे किरदार में पुरुष की कहानी दिखाई जा रही थी. उस समय पुलिस के दमदार किरदार में महिला को देखना एक कल्पना ही थी. रानी मुखर्जी ने इस मिथक को तोड़ा उनकी फिल्म मर्दानी सुपरिहट रही है. जिस मिथक को रानी मुखर्जी ने तोड़ा है उसकी नीव कही न कही रेखा और हेमा मालिनी ने रखी है. फूल बने अंगारे और अंधा कानून फिल्म में रेखा और हेमा मालिनी पहली बार लेडी पुलिस के किरदार में नजर आईं. आइए इस लेख में जानते हैं बॉलीवुड सिनेमा में महिला वकील, पुलिस और प्रॉस्टिट्यूट के किरदार को कैसे दिखाया गया है. 


महिला पुलिस किरदार 



बॉलीवुड फिल्मों में महिलाओं को दूसरा दर्जा दिया जाता है. फिल्म में महिला का किरदार हीरो के इर्द गिर्द ही बुना जाता है. महिला का किरदार रोमांस, आइटम सॉन्ग और हीरो को हमदर्दी देने के लिए किया जाता है. ऐसा नहीं है कि  महिलाओं के मुद्दों पर फिल्म नहीं बनती है. ऐसी फिल्मों को आर्ट फिल्म या फिर लीक से हटकर बनने वाली फिल्म का ठप्पा लग जाता है. लेकिन अब यह चलन बदल गया है. महिलाएं पर्दे पर पुरुषों की तरह दमदार एक्शन सीन में पुलिस के किरदार में नजर आ रही हैं. जब महिला ने पर्दे पर वर्दी पहनी तो दर्शकों ने भी इसे काफी पसंद किया है. 


प्रॉस्टिट्यूट किरदार 



पर्दे पर वेश्या का किरदार दिखाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. एक्ट्रेस ने पर्दे पर वेश्या की लाइफ की कड़वी हकीकत को शानदार अंदाज में दिखाया है. वहीदा रहमान ने पहली बार पर्दे पर प्रॉस्टिट्यू का किरदार निभाया था. हिंदी सिनेमा प्रॉस्टिट्यूट के माध्यम से पर्दे पर हजारों और लाखों महिलाओं के दर्द को दिखाया है जिन्हें जबरन वेश्यावृति में धकेला गया. लव सोनिया से लेकर चांदनी बार जैसी फिल्में इसका काफी अच्छा उदाहरण है. 


महिला वकील किरदार 



वकील के किरदार में अधिकतर मेल करेक्टर ही राज करते आए हैं. लेकिन जब महिलाओं ने पर्दे पर वकील का किरदार निभाया हर कोई उनकी एक्टिंग के कायल हो गए थे. ऋचा चड्ढा से लेकर रानी मुखर्जी ने वकील के किरदार में अपना दम दिखाकर कही न कही मेल करेक्टर के वर्चस्व को खत्म किया है.  


हाउस वाइफ 



हिंदी फिल्मों में महिलाओं को केवल हाउस वाइफ के किरदार में दिखाया गया. वह पर्दे पर आंसू बहाती हुईं नजर आई हैं. लेकिन फिल्म मदर इंडिया से लेकर इंग्लिश विंग्लिस में हाइस वाइफ के किरदार को जरा हटके दिखाया गया है. फिल्म के माध्यम से लोगों को बताने की कोशिश की गई है कि हाउस वाइफ की जिंदगी में कितनी चुनौतियां होती हैं. 


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