Women In Bollywood: रूढ़िवादी विचारों को तोड़ते हुए इन महिलाओं ने बदल दी हिंदी सिनेमा की तस्वीर

First women in Hindi cinema: आज हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में महिलाएं लगभग हर क्षेत्र में काम कर रही हैं. सभी महिलाएं कहीं न कहीं इन साहसी महिलाओं की कर्जदार हैं. इन महिलाओं ने देशभर की महिलाओं के लिए भारतीय सिनेमा का दरवाजा खोला है.   

Written by - Shilpa | Last Updated : Dec 18, 2022, 12:14 PM IST
  • वो महिलाएं जिन्होंने तोड़ दी समाज की बंदिशे
  • इन महिलाओं ने बदली हिंदी सिनेमा की तस्वीर
Women In Bollywood: रूढ़िवादी विचारों को तोड़ते हुए इन महिलाओं ने बदल दी हिंदी सिनेमा की तस्वीर

नई दिल्ली: First women in Hindi cinema: भारतीय सिनेमा का इतिहास कई मायनों में खास रहा है. समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए फिल्मों का अहम योगदान रहा है. लेकिन हिंदी सिनेमा में एक समय था जब फिल्मों में महिलाओं का काम करना या फिर पर्दे पर दिखना अच्छा नहीं माना जाता था. पहले के समय में पुरुष ही फिल्मों में महिलाओं का किरदार निभाते थे. वहीं आज के समय में एक्ट्रेस के बिना फिल्म की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. आज के समय में न केवल महिलाएं फिल्मों में लीड रोल में ही नहीं बल्कि फिल्मों का डायरेक्शन भी करती हैं. 

आज के सिनेमा में महिलाओं की भागीदारी काफी बढ़ गई है. लेकिन एक समय था जब फिल्मों में महिलाओं का काम करना चुनौतीपूर्ण रहा है. आज भी महिलाओं को पुरुषों के समान वेतन नहीं दिया जाता है. आज हम इस लेख में पहली महिला एक्ट्रेस और डायरेक्टर की बात करेंगे जिन्होंने सिनेमा के बंद दरवाजे को भारतीय महिलाओं के लिए खोला है. 

फात्मा बेगम और दुर्गाबाई कामत ने रूढ़िवादी विचारों को तोड़कर  फिल्म इंडस्ट्री को नया आयाम देने का काम किया है. इनके लिए फिल्म इंडस्ट्री में काम करना आसान नहीं था. इन्हें समाज ने बेदखल कर दिया था. आइए जानते हैं पहली वुमन इन बॉलीवुड की कहानी. 

इंडियन सिनेमा की पहली एक्ट्रेस 


दुर्गाबाई कामत भारतीय सिनेमा की पहली एक्ट्रेस थी. उन्होंने दादा साहेब फाल्के की दूसरी फिल्म मोहिनी भस्मासुर में मुख्य भूमिका निभाई थी. दुर्गाबाई ने दकियानूसी सोच को पीछे छोड़ते हुए इंडियन सिनेमा में अपनी पहचान बनाई है. उस समय फिल्मों में काम करना किसी संघर्ष से कम नहीं था. भले ही आज के समाज में महिलाओं को समान अधिकार और हक की बात की जाती है. लेकिन सदियों पहले महिलाओं पर हर तरह की पाबंदियां थी. उस समय महिलाओं को चारदीवारी में रहना होता था. दुर्गाबाई ने उन चुनौतियों को तोड़ते हुए चारदीवारी से बाहर निकल पर्दे पर काम करने की हिम्मत दिखाई थी. उन्होंने तमाम मिथकों और समाज की बेड़ियों को तोड़ा था. 

समाज ने किया बहिष्कार 
दुर्गाबाई कामत के द्वारा फिल्मों काम करने के बाद कई महिलाओं ने इंडस्ट्री में काम करने की हिम्मत जुटाई थी. इससे पहले फिल्मों में महिलाओं का काम करना सम्मानजनक नहीं माना जा था. जो महिलाएं फिल्मों में काम करती थी उन्हें समाज से बहिष्कार कर दिया जाता था. कुछ ऐसा दुर्गाबाई के साथ भी हुआ था. 

भारतीय सिनेमा की पहली महिला डायरेक्टर 


आज के समय में एकता कपूर और मेघना गुलजार जैसी सफल डायरेक्टर हैं. पुरुष दबदबे वाले इस प्रोफाइल में अपनी पहचान बनाना महिलाओं के लिए आसान काम नहीं था. फात्मा बेगम ने फिल्म इंडस्ट्री की बेड़ियों को तोड़ते हुए पहली महिला डायरेक्टर बनी थीं. फात्मा पहले स्टेज एक्ट्रेस थी. इसके बाद उन्होंने कई नाटक में एक्टिंग और डायरेक्शन दोनों का काम किया था.

साल 1962 में उन्होंने बुलबुल-ए-परिस्तान की कहानी लिखी थी बाद में इस फिल्म का डायरेक्शन किया था. इसी के साथ वह पहली महिला डायरेक्टर बनीं. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. फिल्म इंडस्ट्री के स्टीरियोटाइप को तोड़ते हुए अपना प्रोडक्शन हाउस की शुरुआत की थी. 

पहली भारतीय म्यूजिक डायरेक्टर 


जद्दन बाई भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की पहली महिला म्यूजिक डायरेक्टर बनीं. उन्होंने 1935 में तलाश-ए-हक और मैडम फैशन 1936 के लिए म्यूजिक कंपोज किया था. बता दें कि वह इंडियन सिनेमा की पॉपुलर एक्ट्रेस नरगिस की मां थी. 

पहली महिला सिनेमेटोग्राफर 


बी.आर विजय लक्ष्मी न केवल भारत बल्कि एशिया की पहली महिला थी जिन्होंने फिल्म में कैमरा और लाइट क्रू का काम किया था. साल 1980 में उन्होंने डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी काम किया था जब फिल्म प्रोडक्शन का तकनीकी काम केवल पुरुष ही करते थे. 

पहली महिला स्टंट वुमन 


फिल्मों में एक्शन सीन केवल एक्टर नहीं बल्कि एक्ट्रेस भी करती हैं. जिस समय में महिलाओं को पर्दे पर काम करने की वजह से समाज बहिष्कार कर देते थे उस समय फीयरलेस नाडिया ने बड़े पर्दे पर स्टंट सीन किया था. पर्दे पर नाडिया अपने स्टंट सीन खुद ही करती थी इसी वजह से उन्हें पहली भारतीय स्टंट वुमन कहा जाता था. 

पहली भारतीय कॉमेडियन 


उमा देवी खत्री हिंदी सिनेमा की पहली कॉमेडियन थी. जिस जमाने में भारतीय महिलाएं चार लोगों के सामने खुलकर हंस नहीं सकती थी उस वक्त उमादेवी ने बड़े पर्दे पर अपनी कॉमेडी से लोगों को हंसाया. 

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