नई दिल्ली: 29 अप्रैल 2020, यह वह तारीख है जिसे शायद ही कोई भूल पाए. इसी दिन अभिनेता इरफान खान (Irrfan Khan) ने हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. मनमौजी, बेबाक और एक खुशमिजाज कलाकार जाते-जाते हर किसी की आंखें नम कर गया. अपनी आंखों में कई ख्वाहिशें रखने वाले इरफान जब पर्दे पर आते थे तो हर एक संवाद का एहसास उनकी आंखों से भी झलकता था.


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आज उनके निधन को एक साल बीत गया है, लेकिन दिल आज भी है इस बात को मानने से इंकार कर देता है कि इरफान अब नहीं हैं. अपनी जादुई अदाकारी के जरिए वह हमेशा अपने चाहने के साथ रहेंगे.


शुद्ध शाकाहारी थे इरफान



जयपुर के एक छोटे से गांव टोंक के मुस्लिम पठान परिवार में सहाबजादे इरफान अली खान का जन्म हुआ था. बेहद हैरानी का बात थी कि पठान परिवार से होने के बावजूद वह बचपन से ही शुद्ध शाकाहारी थे. इस कारण कई बार उनके पिता उनका मजाक भी उड़ाया करते थे और कहते थे कि पठान परिवार में ब्राह्मण पैदा हो गया.


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इंडस्ट्री में आने के बाद इरफान ने अपने नाम के पीछे से खान भी हटा दिया था, वह कहते थे कि उनका कोई मजहब नहीं है. एक बार उन्होंने अपने इंटरव्यू में कहा था, "मैं इरफान हूं सिर्फ इरफान. मैं अपने धर्म, सरनेम या ऐसी किसी भी चीज से पहचान हासिल नहीं करना चाहता. मैं अपने पूर्वजों के किए कामों की वजह से भी पहचान नहीं बनाना चाहता."


उतार-चढ़ाव भरी रही जिंदगी



इरफान की शुरुआती जिंदगी में बहुत उतार-चढ़ाव रहे हैं. इंडस्ट्री में सफलता पाने के लिए भी उन्हें लंबे वक्त तक ऐसा कड़ा संघर्ष करना पड़ा जिसके आगे दूसरा कोई भी आम शख्स शायद अपने घुटने टेक देता. इरफान ने जिस समय नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NCD) में एडमिशन लिया तभी उनके पिता का निधन हो गया और घर से पैसे मिलने भी बंद हो गए. इसके बाद उन्होंने NSD में फेलेशिप से अपनी कोर्स पूरा किया.


पूरी रात खूब रोए इरफान खान


इरफान ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1988 में रिलीज हुई मीरा नायर की फिल्म 'सलाम बॉम्बे' से की थी. इस फिल्म में इरफान को पहले काफी अच्छा किरदार मिला था, लेकिन बाद में उनके सभी सीन्स को काटकर केवल एक छोटा सा रोल ही फिल्म में रखा गया. इस बात की खबर जैसे ही इरफान को लगी वह अंदर से बिल्कुल टूट गए. उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि इस कारण वह पूरी रात खूब रोए थे.


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हालांकि, फिल्म में उनके छोटे से किरदार ने भी दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा. इसके बाद इरफान ने कभी पीछे पलटकर नहीं देखा. एक्टिंग के लिए इरफान का जुनून उनके हर किरदार, उनके डायलॉग्स और आंखों में साफ दिखाई दिया. जब भी वह पर्दे पर आए कभी ऐसा नहीं लगा कि वह किसी तरह का किरदार निभा रहे हैं. बल्कि, हर बार उन्होंने दर्शकों को अपने साथ बांधे रखा.


खूब फहराया अपना परचम



इरफान ने अपने लंबे फिल्मी करियर में 'पिता', 'कसूर', 'हासिल', 'मकबूल', 'लाइफ इन अ मेट्रो', 'स्लमडॉग मिलेनियर', 'पान सिंह तोमर', 'लाइफ ऑफ पाई', 'द लंचबॉक्स', 'मदारी', 'हिन्दी मीडियम', 'द नेमसेक' और 'मुंबई मेरी जान' जैसी अनगिनत ऐसी फिल्में दी हैं जिनमें इरफान के अभिनय में कोई कमी नहीं दिखी. वर्ष 2011 में उन्हें भारत सरकार की ओर पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित  किया गया.


टॉम हैंक्स भी कर चुके हैं इरफान की तारीफ


हिन्दी सिनेमा के अलावा इरफान ने अपने अभिनय का परचम हॉलीवुड में खूब फहराया. वह 'जुरासिक वर्ल्ड', 'स्पाइडर मैन' और 'इन्फर्नो' जैसी तमाम हॉलीवुड फिल्मों का हिस्सा रहे हैं. ऐसे में हॉलीवुड की बड़ी-बड़ी हस्तियां भी उनकी मुरीद हो गई हैं. एक बार एक्टर टॉम हैंक्स ने इरफान की सराहना करते हुए कहा था कि इरफान की आंखें भी एक्टिंग करती हैं. बता दें कि 2013 में फिल्म 'पान सिंह तोमर' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.


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