नई दिल्ली:Kailash Kher Birthday: फेमस सिंगर कैलाश खेर का सूफियाना अंदाज हर किसी को पसंद आता है. कैलाश खेर भले ही आज जाना माना नाम बन चुके हो, लेकिन शुरुआती दिनों में उन्हें भी बाकी लोगों की तरह काफी संघर्ष करना पड़ा था. उनका संघर्ष दूसरों से काफी अलग था, क्योंकि उनके जीवन में जो मुश्किलें आईं थी उसके बाद उन्होंने सुसाइड तक करने का फैसला ले लिया था. कैलाश पर मी टू मूमेंट के दौरान महिला पत्रकार ने सिंगर पर यौन उत्पीड़न का आरोप भी लगाया था. हालांकि आरोप साबित नहीं हुए थे.


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कैलाश खेर का परिवार


7 जुलाई 1973 को दिल्ली में कैलाश खेर का जन्म एक कश्मीरी हिंदू परिवार में हुआ था. कैलाश खेर का घर दिल्ली के मयूर विहार में है. इनके पिता महर सिंह खेर एक ट्रेडिशनल सिंगर थे और कैलाश ने अपने पिता से ही संगीत सिखा है. स्कूल के दिनों में वो अपने पिता के प्रोग्राम में उनके साथ जाते थे. स्कूल के प्रोग्राम्स में भी कैलाश खूब ट्रेडिशन गीत गाते थे.


ये सिंगर्स थे प्रेरणा


कैलाश खेर बचपन से ही पंडित गोकुलोत्सव जी महाराज, पंडित कुमार गंधर्व, पंडित भीमसेन जोशी, नुसरत फतेह अली खान और लता मंगेशकर जैसे गायकों के दीवाने हैं. संगीत सीखने के लिए वह 14 की उम्र में घर से निकल गए थे. उनका संघर्ष यहीं से शुरू हुआ और फिर धीरे-धीरे चीजें आगे बढ़ती रहीं.


सुसाइड करने की कोशिश की?


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कैलाश खेर ने एक इंटरव्यू में अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बड़ा खुलासा किया था. कैलाश खेर ने कहा था कि 20-21 की उम्र में उन्होंने दिल्ली में एक्सपोर्ट का बिजनेस शुरू किया था, इस बिजनेस में उन्हें असफलता मिली. इसके बाद सबकुछ छोड़कर वह ऋषिकेश गए, जहां गाने के पैसे तो उन्हें मिल जाते थे, लेकिन वो इतने कम होते थे कि ठीक से दिन नहीं कट पाते थे. सिंगर बताया था कि वो दूसरों से बहुत अलग थे, इसलिए लोगों के साथ ज्यादा बन नहीं पाती थी. कुछ टाइम बाद वह इतना निराश हो गए कि गंगा नदी में कूद कर सुसाइड करने की कोशिश की थी.


जिंगल गाकर चमकी किस्मत


साल 2001 में कैलाश खेर माया नगरी आए. ऋषिकेश में रहने के दौरान उनके कुछ दोस्त ऐसे बने थे, जो फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े थे. उनमें से एक दोस्त ने कैलाश खेर को म्यूजिशियन राम समपथ से मिलवाया, जो विज्ञापनों के जिंगल्स बनाते थे. कैलाश खेर ने पहला जिंगल नक्षत्र डायमंड्स के लिए गाया था. इसके बाद 'कोका कोला', 'सिटिबैंक', 'पैप्सी', 'हीरो हॉन्डा' और फिर आईपीएल के लिए जिंगल्स गाया. 


2004 में मिला था पहला गाना


नदीम-श्रवण ने उन्हें साल 2004 में आई फिल्म अंदाज में पहला गाना गाने का मौका दिया. उस गाने का नाम 'रब्बा इश्क ना होवे' था और उसके बाद कैलाश खेर की किस्मत चमक गई थी. इस गाने के बाद उन्होंने 'ओ सिकंदर', 'या रब्बा', 'कैसी है ये उदासी', 'तुझे मैं प्यार करूं', 'दौलत-शोहरत', 'सईयां', 'जय जयकारा', 'बगड़बम बम', 'दामाद जी अंगना हैं', 'मेरे निशां', 'तेरी दीवानी', 'अल्लाह के बंदे' जैसे सुपरहिट गाने गाए हैं. 


1 घंटे के लेते है लाखों रुपए


कैलाश खेर ने ने इस बात का खुलासा खुद किया था. सिंगर ने बताया था कि करियर के शुरुआती दिनों में वह ऋषिकेश में घाट के पास गाने गाते थे. उस दौरान उन्हें एक गाने के 50 रुपये मिला करते थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कैलाश खेर आज के समय में एक गाने का 15 से 20 लाख रुपये चार्ज करते हैं.


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