नई दिल्ली. सैफ और करीना को तैमूर नाम पसंद आया जो ऐतिहासिक हत्यारे और लाखों लोगों के कातिल लुटेरे तैमूर लंग से मिलता-जुलता नाम है. अपनी संविधानगत स्वतंत्रता का इस्तेमाल करते हुए सैफ अली खां और करीना ने अपने फूल से बेटे का नाम तैमूर रखा था जिसे उसके जन्म से लेकर आज तक प्रति दिन भारत की मीडिया का प्रेम और स्नेह प्राप्त हो रहा है. अब करीना फिर गर्भवती हो गई हैं तो इस बार होने वाले उनके बेटे का नाम क्या होगा -इस पर लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं. लोगों को डर है कि सैफ और करीना को अपने दूसरे राजदुलारे के लिए इस बार भी कहीं इन तीनों में से कोई एक नाम पसंद न आ जाए:
ये पहला नाम भी न रखना- चंगेज खान
तैमूर लंग की तरह चंगेज खान भी एक कुख्यात नाम है. लाखों हत्याओं का जिम्मेदार चंगेज खान एक मंगोल आक्रांता था जिसका नाम बारहवीं सदी के इतिहास में डर-डर कर लिया जाता है. लुटेरे और हत्यारे की पहचान वाले चंगेज खान ने अपनी तलवार की धार से खितई, काकेशस और ख्वारज़्मियान, पश्चिमी ज़िया और जीन राजवंशों के खिलाफ फतेह हासिल कर अधिकांश यूरेशिया में मंगोल साम्राज्य को फैलाया था. चीन, कोरिया, काकेशस, मध्य एशिया, और पूर्वी यूरोप और दक्षिण पश्चिम एशिया के महत्वपूर्ण हिस्से में विजय प्राप्त करने के दौरान वह बड़े पैमाने पर स्थानीय आबादी के लोगों की हत्याएं करवाता था. कमाल की बात ये भी है कि चंगेज खान का मूल नाम तेमुजिन है जो तैमूर से मिलता-जुलता भी है. बड़े शौक से चंगेज खान की जीवनी का अध्ययन करने वाले शाहरुख़ खान चंगेज खान से बहुत प्रभावित हैं.
ये दूसरा नाम भी न रखना - नादिरशाह
नादिरशाह का पूरा नाम नादिरशाह अफ़्शार था जो फारस का रहने वाला था. एशिया में ईरानी साम्राज्य को फैलाने और रूस तक ले जाने के लिए नादिरशाह को जाना जाता है. 1739 में जब वह भारत विजय के अभियान पर निकला और उसने दिल्ली की सत्ता पर काबिज मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह आलम को हराया तब उस दौरान उसने जम कर दिल्ली में लूटमार की और हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया. दिल्ली विजय के दौरान उसने दिल्ली से अपार सम्पत्ति लूटी जिसमें कोहिनूर हीरा भी शामिल था. इसके बाद अपनी मौत तक वह पूरी तरह से निरंकुश और अत्याचारी शासक की शैतान शक्ल में नजर आया. 1739 में उसकी भारत विजय के बाद अंग्रेज़ों को मुग़लों की कमज़ोरी का पता चला और उन्होंने भारत में साम्राज्य विस्तार को एक मौका समझ कर दमखम लगाकर कोशिश की और कामयाब भी रहे. अगर नादिर शाह भारत पर हमला न करता तो अंग्रेज भारत में अधिकार करने के बारे में शायद सोच भी नहीं पाते.
ये तीसरा नाम भी न रखना - औरंगजेब
इस मुगल शासक के नाम से सभी अच्छी तरह परिचित हैं. सत्रहवीं सदी के भारत में यह छठा मुगल शासक था जिसका पूरा नाम अबुल मुज़फ़्फ़र मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर था. तात्कालीन भारत के पंद्रह करोड़ लोगों पर हुकूमत करने वाले औरंगजेब ने पूरे साम्राज्य पर फ़तवा-ए-आलमगीरी (शरियत / इस्लामी क़ानून) लागू कर दिया था और उसके शासन काल में इस देश के ग़ैर-मुस्लिमों को गैर-मुस्लिम होने की सजा के तौर पर अतिरिक्त कर भी देना पड़ता था. 1669 में औरंगज़ेब ने अपने पिता शाहजहां को ताजमहल में बन्दी बना लिया और स्वयं को शासक घोषित किया. इतना ही नहीं औरंगजेब ने अपने भाई दाराशिकोह को भी फांसी पर चढ़ा दिया. औरंगज़ेब ने देश भर में मंदिर तुड़वाये और हिन्दुओं पर जज़िया कर शुरू करवाया और कश्मीरी ब्राह्मणों को इस्लाम क़बूल करने पर मजबूर किया. कश्मीरी ब्राह्मणों द्वारा सिक्खों के नौवें गुरु तेग़ बहादुर से मदद मांगने पर गुरु तेग़बहादुर ने औरंगजेब से लड़ाई लड़ी जिसके परिणामस्वरुप उसने दिल्ली के चांदनी चौक में गुरु तेगबहादुर की गर्दन कटवा दी. इसी औरंगज़ेब ने गुरु गोविन्द सिंह के दोनों बच्चों जोरावर सिंह और फतेह सिंह को भी ज़िंदा दीवाल में चुनवा दिया था.
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