नई दिल्ली: सुशांत सिंह राजपूत (Sushant singh Rajput) की मौत के बाद के घटनाक्रम से बॉलीवुड (Bollywood) के चेहरे पर चढ़ा चमकता नकाब उतर गया. जिसके नीचे से निकली नशे में डूबी, तमाम स्याह कारनामों में लिप्त गंदी सूरत. बॉलीवुड के ड्रग्स कनेक्शन (Bollywood drugs case) और बड़े-बड़े नामचीन सितारों की करतूतें उजागर हो गईं. 


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ऐसे निराशा भरे माहौल में मैथिली ठाकुर (Maithili Thakur) के मुस्कुराते हुए मासूम, लेकिन साहसी चेहरे ने उम्मीद की किरण जगाई है. कोई भी माता पिता ये नहीं चाहेंगे कि उनकी बेटी दीपिका पादुकोण या सनी लियोनी बने. लेकिन वही अभिभावक यह चाहेंगे कि उनकी बेटी मैथिली ठाकुर जैसी जरुर बने. 


मैथिली का साहस सराहनीय
बॉलीवुड का ऑफर ठुकरा कर मैथिली ठाकुर ने बड़ा काम किया है. फिल्म इंडस्ट्री की घटिया हरकतें सामने आने के  बाद मनोरंजन इंडस्ट्री (Entertainment Industry) को फॉलो करने वाली और उनसे प्रेरणा हासिल करने वाले युवा ठगा सा महसूस करने लगे.   जिन सितारों के हेयर स्टाइल,  कपड़े,  बोलने और चलने के तरीकों की नकल करना युवाओं को अपने जीवन का उद्देश्य लगता था. उन युवाओं के आदर्श ध्वस्त होने लगे थे. 


ऐसे में मैथिली ठाकुर जैसी महज 20 साल की बच्ची सामने आती है. जो कि गर्ल नेक्स्ट डोर (Girl next door) जैसी छवि रखती है. यानी हमारे आस पास रहने वाली एक भोली भाली बच्ची. 

लेकिन मैथिली ठाकुर सामान्य नहीं है. उसने अपनी  गायन प्रतिभा से संगीत के दिग्गजों के बीच अपना स्थान बनाया है. मैथिली की उम्र महज 20 साल है. 


लेकिन समझदारी इतनी कि इसी उम्र में उसे मायावी बॉलीवुड से ऑफर आता है और वह उसे ठुकरा देती है. करोड़ों रुपए की अंधाधुंध कमाई और  मुंबई की आलीशान जिंदगी जैसे लालच उसको भटका नहीं पाते हैं. 


मैथिली ने कड़ा संघर्ष किया
मैथिली ठाकुर ने पहली बार वर्ष 2011 में लिटिल चैंप्स (Little champs) का ऑडिशन दिया. लेकिन वह रिजेक्ट हो गईं. जिसके बाद उन्होंने और भी कई म्यूजिक शो के लिए ऑडिशन दिए. लेकिन टॉप 20 तक आकर रिजेक्ट हो जाती थी. यहां तक कि मैथिली को 6 बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. 


-आखिरकार साल 2015 में उन्हें  'आई जीनियस यंग सिंगिंग स्टार सीजन 2' में शिरकत का मौका मिला. जहां उन्होंने खिताब जीतने में कामयाबी  हासिल की. 


- इसके बाद इन्होने इंडियन आइडल (Indian Idol) जूनियर 2 में भी टॉप 20 में जगह बनाई. 


- साल  2017 में मैथिली ने राइजिंग स्टार नामक रियलिटी सिंगिंग शो में चयन हुआ था. जहां अपनी शानदार प्रस्तुति के लिए मैथिली को 94 प्रतिशत रिकॉर्ड स्कोर प्राप्त हुए. 


-  मैथिली ठाकुर 5 बार की दिल्ली राज्य की शास्त्रीय संगीत प्रतियोगिता की विजेता रह चुकी हैं. मैथिली ठाकुर ने 2016 में 11वीं की पढ़ाई के साथ 'थारपा' नामक एलबम से अपने संगीत करियर की शुरुआत की. 


मैथिली का परिवार
मैथिली एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से आती हैं. उनका जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी जिले में स्थित बेनीपट्टी नामक एक छोटे से शहर में हुआ था.  



मैथिली के पिता रमेश ठाकुर अपने क्षेत्र के लोकप्रिय संगीतकार हैं जबकि माता भारती ठाकुर पूरा परिवार संभालती हैं.  उसका नाम उसकी मां के नाम पर रखा गया था.  उसके दो छोटे भाई हैं, जिनका नाम रिषव और अयाची है.  जो अपनी बड़ी बहन यानी मैथिली की संगीत यात्रा में तबला और हारमोनियम जैसे वाद्य बजाने का साथ गायन में भी सहयोग करते हैं. 



शुरुआत में मैथिली ने अपने अपने पिता से ही संगीत सीखा.  अपनी बेटी की गायन प्रतिभा का एहसास होने के बाद उनके पिता ने मैथिली पर विशेष ध्यान देना शुरु किया. 


मैथिली को अधिक अवसर प्रदान करने के लिए उनके पिता रमेश ठाकुर ने दिल्ली के द्वारका में अपना ठिकाना  बनाया. यहीं पर मैथिली और उनके दो भाइयों की शिक्षा बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल में हुई है. 


स्कूली पढ़ाई के दौरान रमेश ठाकुर ने अपने तीनो बच्चों को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, हारमोनियम और रिषव को विशेष तौर पर तबला बजाने का प्रशिक्षण दिया. 


मैथिली के बलिदान को कम मत आंकिए 
बॉलीवुड मैथिली ठाकुर को भौतिक संपदा के रूप में बहुत कुछ दे सकता था.  लेकिन शायद वह अपने परिवार से दूर जाकर और स्वाभिमान को दरकिनार करके बॉलीवुड की चकाचौंध में गुम नहीं होना चाहती. 


भारत के युवाओं के सामने यह अनोखा उदाहरण है.  मैथिली ठाकुर द्वारा करोड़ों की इंडस्ट्री को ठुकरा कर लोक-गायन के वास्तविक स्वरूप को प्रस्तुत करने का संकल्प सचमुच अचंभित करने वाला है. 


ऐसे में भारतीय कला के प्रशंसकों और राष्ट्र तथा संस्कृति से प्रेम करने वालों का यह कर्तव्य नहीं बनता है कि वो मैथिली को सिर आंखों पर बिठाएं?  उन्हें वह सम्मान और प्रसिद्धि प्रदान करें जिस पर बॉलीवुड के भांड अपना एकाधिकार समझते हैं. 



 वास्तव में मैथिली ने हमें राह दिखाई है. जिस तरह 20 साल की एक बच्ची इतना साहसिक फैसला ले सकती है तो मनोरंजन के दीवाने हम भारतीय  मैथिली जैसे साहसी बच्चों का प्रोत्साहन जरुर कर सकते हैं. मैथिली की आंखों में उम्मीद की जो चमक है, वह देश के हर बच्चे की आंखों में उतरनी चाहिए.  


यह है भारत की नई यूथ आइकन मैथिली ठाकुर. 



सपोर्ट मैथिली ठाकुर (Support Maithili Thakur)


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