आज मैं बहुत मायूस हूं, क्योंकि मुझे पागल साबित करने की कोशिश हो रही है. इस खूबसूरत दुनिया में रहने वाले कुछ गंदे लोगों ने इसकी पूरी प्लानिंग की है, जिसके जरिए मुझे पागल साबित करने की बाकायदा साजिशें भी रची गई हैं. अब भला मैं क्या करूं? कैसे बताऊं? कैसे समझाऊं? मैं खुद ही नहीं समझ पा रहा हूं कि आखिर मेरे खिलाफ इतनी गिरी हुई हरकत कौन कर रहा है और क्यों कर रहा है. लेकिन हां, मैं सबकुछ देख रहा हूं.


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सपने देखना गलत नहीं है. लेकिन सपनों को हकीकत में बदलने में जो सुकून मिलता है वो शायद दुनिया की किसी दूसरी खुशी से नहीं मिल पाता. मैं भी ढेर सारे सपने देखे और उसे हकीकत में बदलने का जज़्बा भी रखता था. खैर, आज मैं इस खत में अपने उन गुनहगारों को बेपर्दा करने जा रहा हूं, जो मुझे पागल साबित करने में जुटे हुए हैं.


मैं इस दुनिया में बहुत खुश था, हर सपनों को बेबाकी और तूफान की रफ्तार से हकीकत में बदल भी रहा था, लेकिन मुझे किसी ने मार डाला. मेरे मरने के साथ ही कुछ लोग मेरी मौत को आत्महत्या बताने लगे. लेकिन सबसे ज्यादा तकलीफ देने वाली बात तो ये है कि मेरी मौत को आत्महत्या साबित करने के लिए मुंबई पुलिस, कुछ मीडिया, अस्पताल और नेता मुझे पागल साबित करना चाहते हैं. अब हर कोई यही सोच रहा होगा कि मुझे कैसे पागल साबित किया जा रहा है?


इस वीडियो को देखकर आपको माजरा समझ आ जाएगा..



मैंने अपने कई सारे इंटरव्यू में साफ-साफ कहा है कि मेरी हाइट 183cm है, लेकिन मुंबई पुलिस न जाने मेरी मौत के किस रहस्य को छिपाना चाहती है. जो मेरी हाइट को 5 सेमी. कम कर दिया गया. मुझे हैरानी तो तब हुआ जब गूगल करने पर मेरी असली हाइट 183 सेमी. नहीं बल्कि 178 सेमी. बताई जा रही है. कुछ मीडिया संस्थान भी इस झूठे तथ्य को धड़ल्ले से फैलाना शुरू कर दिया. देश के बड़े-बड़े संस्थानों ने मेरी हाइट 178 सेमी. बतानी शुरू कर दी.


मैंने बार-बार कई जगहों पर अपनी हाइट का जिक्र करते हुए 183 सेमी. बताया था, लेकिन इन फरेबियों की करतूत देखकर मेरी आत्मा भी तड़प रही है. मुझे मारने वालों को सज़ा ढूंढकर सजा देने के बजाय मुंबई पुलिस गलत तथ्यों में उलझकर मुझे ही पागल साबित करने की कोशिश कर रही है.



क्या ऐसा भी हो सकता है कि मैं जबतक जिंदा था तबतक मेरी हाइट 183 सेमी. थी और मरने के बाद ही इसमें 5 सेमी. की कमी आ गई और मेरी हाइट 178 सेमी. हो गई? मैं मुंबई पुलिस और कुछ मीडिया से ये पूछना चाहता हूं कि क्या आप इन झूठे तथ्यों को पेश करके मुझे पागल साबित करने की कोशिश कर रहे हैं?


मेरे मरने के तुरंत बाद से ही मुझे पागल साबित करने के लिए कूपर अस्पताल, मुंबई पुलिस, मीडिया और इस बेरहम दुनिया वालों ने तरह-तरह के हथकंडे अपनाए. पहले तो मेरे मरने के तुरंत बाद ये फैला दिया गया कि मैं डिप्रेशन का शिकार था, फिर मेरी मौत को खुदकुशी साबित करने के लिए डॉक्टरों ने ये खुलासा कर दिया कि मुझे एक अजीब सी बीमारी थी.


पुलिस सूत्रों के हवाले से मेरी बीमारी का नाम भी लीक हो गया और मीडिया वालों ने मेरी बीमारी बाइपोलर डिसऑर्डर पर मुहर लगा दिया. लेकिन मैं इस दुनिया से ये पूछना चाहता हूं कि मुझे दुनिया से बेदखल करने के बाद मुझे पागल साबित करने की कोशिश क्यों हो रही है? जहां तक मैं जानता हूं तो बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित लोग चिड़चिड़े हो जाते हैं. लेकिन क्या इस दुनिया में रहकर मैंने कभी भी ऐसी हरकत की थी, जिससे लोग ये कह सकते है कि मैं चिड़चिड़ा था?



कहां तक ये दुनिया एकजुट होकर मुझे मारने वालों को ढूंढने की कोशिश करते, बल्कि इस बेरहम दुनिया के लोगों ने मुझे पागल साबित करने का षड्यंत्र रच डाला. मुंबई पुलिस से लेकर मीडिया वालों ने झूठ और सिर्फ झूठ को आधार बनाया. मैं मुंबई पुलिस से अपील करता हूं कि प्लीज़ इस केस के सभी तथ्यों को बार-बार खंगालने की कोशिश करें. क्योंकि मैं वो सुशांत सिंह राजपूत नहीं था जो थक कर हार मान जाता है. मैं तो हर सुबह एक नई जोश के साथ अपनी उड़ान को और रफ्तार देता था. मुझे जिंदगी जीने में मजा मिलता था, हार कर Give Up करने वालों में से मैं नहीं था.


चाहने वालों को सुशांत का शुक्रिया


मैं अपने चाहने वालों का वाकई शुक्रगुजार हूं, क्योंकि जब कुछ लोग मुझे पागल साबित करने की कोशिश में जुटे हुए हैं.. तो उस वक्त मुझे प्यार करने वाले लोग इस झूठ पर रत्ती भर का भी भरोसा करने के लिए तैयार नहीं हैं कि मैं खुद से खुद को मारने के बारे में सोच भी सकता था. लेकिन मुझे मारने वालों को बचाने की कोशिश करने वाले एड़ी-चोटी का जोर लगाकर मुझे पागल साबित कर देना चाहते हैं, ताकि मेरी रहस्यमयी मौत को आत्महत्या करार दे दिया जाए. हालांकि मुझे यकीन है कि मेरे अपने और उनकी चाहत के आगे इस झूठ को भी सच के आगे घुटने टेकना ही पड़ेगा.


ना ही मैंने खुद को खुद से मारा है और ना ही मैं बुज़्दिल था. मैंने सपने देखे थे, उन्हें पूरा करने के लिए लगातार आगे बढ़ रहा था और मुझे किसी ने मार डाला. मुझे मारने के बाद मेरी मौत की गुत्थी उलझाने और इसे सुसाइड में तब्दील करने के लिए मुझे पागल साबित करने की भरपूर कोशिश हो रही है. मैं चीख-चीखकर कहना चाहता हूं कि मैं पागल नहीं था और ना ही मैंने सुसाइड किया. "मैं सुशांत सिंह राजपूत, मुझे पागल साबित करने की कोशश हो रही..!"


यह अभी तक मिले सबूतों के आधार पर आयुष सिन्हा की कलम से लिखा गया है..


मैं सुशांत सिंह राजपूत, मैं आत्महत्या कर ही नहीं सकता..!


मैं सुशांत सिंह राजपूत, मेरी मौत को आत्महत्या बताने की जल्दबाजी क्यों?


मैं सुशांत सिंह राजपूत, मैं खुद से फांसी लगा ही नहीं सकता..!