मैं सुशांत सिंह राजपूत.. अचानक मेरी आंखों के सामने काला घना अंधेरा छा गया, मुझे कुछ पता नहीं चला कि क्या हुआ? किसने किया? जबतक मैं कुछ भी समझ पाता..... मेरी सांसे थम चुकी थी, न जाने कौन था वो जिसने मेरे सारे सपनों और खुशियों को चंद पल में चकनाचूर कर दिया. लेकिन अब मुझे ये समझ में आने लगा है कि मेरी खुशहाल जिंदगी को मौत के अंधेरे में ढकेलकर, इसपर आत्महत्या की परत चढ़ाने की कोशिश की जा रही है.
मुझे तो सिर्फ ये मालूम है कि मैं इतना कमजोर या बुज़्दिल नहीं था, जो खुद से अपनी जिंदगी को खत्म करके आसानी से हार मान ले. आप सभी से कुछ सवाल पूछना चाहता हूं, क्या मेरी मौत का फायदा उठाने की होड़ मची हुई है? क्या मेरी मौत की मार्केटिंग की जा रही है? मैं चीख-चीखकर हर किसी तक ये बात पहुंचाना चाहता हूं कि मैंने आत्महत्या नहीं की है, लेकिन इस दुनिया की हरकतों को देखकर मुझे ये समझ नहीं आ रहा है कि मेरी मौत के रहस्य से पर्दा उठाने के बजाय कुछ लोगों को मेरी मौत पर सुसाइड का ठप्पा लगाने की इतनी जल्दबाजी भला क्यों है?
Factually बातें करने वाला सुशांत कभी भी सुसाइड कर ही नहीं सकता..#SusanthSinghRajput #CBIEnquiryForSSR #सुशांत_सिंह_राजपूत pic.twitter.com/81azzvOtZ1
— आयुष पत्रकार (@ayush_sinha7) July 13, 2020
दुनिया से मुझे बेदखल करने की साजिश!
मुझे इस दुनिया से बेदखल कर दिया गया, लेकिन मैं जहां भी हूं बहुत उलझा हुआ हूं.. मैं इस दुनिया को देख और समझ पा रहा हूं कि कुछ लोगों को इस बात की जल्दबाजी है कि मेरी रहस्यमयी मौत को जल्द से जल्द और जबरदस्ती आत्महत्या साबित कर दिया जाए. मुझे तो दुनिया ने बेदखल कर दिया है, लेकिन क्या भला आपको दुनिया में रहकर भी सारी प्लानिंग समझ नहीं आ रही है कि कैसे मेरी मौत को सुसाइड बताने और बनाने में जल्दबाजी की जा रही है? आप सभी को खुद मैं समझाता हूं..
मेरी रहस्यमयी मौत हो चुकी थी, लोग कहते हैं मेरी डेड बॉडी पंखे से लटकी मिली, हालांकि मुझे ज़रा भी याद नहीं है और ना ही यकीन है कि मैं खुद से ऐसा कर भी सकता था. जब मेरी बॉडी पंखे से लटकी हुई थी तो उसे उतारा किसने? मैं अपनी मौत से जुड़ी सारी सच्चाई दुनिया को बताना हूं. क्या कोई ये बात बता सकता है कि बांद्रा में मेरी रहस्यमयी मौत हुई, मुंबई के बांद्रा में कई मशहूर अस्पताल हैं, तो मुझे कूपर अस्पताल क्यों ले जाया गया? जबकि बांद्रा से कूपर अस्पताल की दूरी 7 किलोमीटर से अधिक है. लेकिन आखिर ऐसी क्या वजह थी जिसके चलते पुलिस ने मेरी बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए बांद्रा से अंधेरी ले जाना पड़ा? वो भी कूपर अस्पताल, जो पहले से ही काफी विवादों में रहा है.
कई बॉलीवुड हस्तियों की रहस्यमयी मौत को आत्महत्या करार देने को लेकर विवादों में रहने वाले कूपर अस्पताल का कोई जवाब नहीं है. मेरे साथ भी कुछ ऐसी ही कहानी दोहराने की साजिश की जा रही है. चाहें पोस्टमार्टम हो, तहकीकात हो या फिर कुछ नेताजी लोग.. हर कोई मेरी मौत को आत्महत्या साबित करने में जल्दबाजी दिखाने की कोशिश में जुटा हुआ है.
मैं जानना चाहता हूं कि आखिर कूपर अस्पताल को मेरी बॉडी पर चोट के निशान क्यों नहीं नजर आए? इस अस्पताल को भला ऐसी क्या जल्दबाजी थी जो मेरी इस रहस्यमयी मौत के कुछ ही घंटों बाद ही पोस्टमार्टम में आत्महत्या की बात कही जाने लगी? मेरी मौत से जुड़ी सभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कई सारी बातें छिपाई जाने की बात सामने आई. उन्हें मेरे गले के निशान से ये समझ नहीं आया कि ये मार्क इतने नीचे क्यों है? बाये हाथ की उंगली के निशान, जबकि मैं राइटी था.
ज़रा एक बात इत्मिनान से सोचिएगा कि कोई इंसान जब आत्महत्या करने के लिए फांसी लगाता है तो गले में फंदा लगाने के लिए स्टूल या कुर्सी का इस्तेमाल करता है या फिर वो खड़े-खड़े पैर उठाकर लटककर सुसाइड करता है? लेकिन, पुलिस को इतनी जल्दबाजी है कि इस पहलू पर थोड़ा भी गौर नहीं किया जा रहा है. पुलिस की तहकीकात में मेरी मौत से जुड़े कई अहम सबूतों और आधारों को नजरअंदाज किया जाता रहा और मैं सबकुछ देखता रहा.. क्या करूं? मैं कुछ कर भी तो नहीं सकता, मुझे न जाने क्यों और किसने मार दिया? मैं सचमुच बहुत खुश था, मैं मरना नहीं चाहता था.
सुशांत थकने और हारने वालों में से नहीं.. वो तो हर जंग को जी जान से जीतने का जज़्बा रखता था.. वो बहुत खुश था।।#SushantSinghRajput #CBIEnquiryForSSR #सुशांत_सिंह_राजपूत pic.twitter.com/Oz1pnt5OLL
— आयुष पत्रकार (@ayush_sinha7) July 14, 2020
मैं इस दुनिया का सारा तमाशा सिर्फ देख रहा हूं
लोगों को इस बात की जल्दबाजी हो रही है कि मेरी मौत को सुसाइड करार दे दिया जाए. मेरी मौत को सुसाइड साबित करने की जल्दबाजी सिर्फ अस्पताल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस की तहकीकात तक सीमित नहीं है. बल्कि सियासत में भी कुछ दिग्गजों ने मेरी मौत को आत्महत्या बताने की जल्दबाजी दिखाने लगी. मैं कुछ कर तो नहीं सकता, लेकिन मैं सारा तमाशा सिर्फ देख रहा हूं. हाल ही में शिवसेना के मुखपत्र "सामना" ने जांच पर सवाल उठाते हुए मुझे मारने वालों को बचाने की कोशिश की और जल्द आत्महत्या घोषित करने की सलाह दी थी.
इतना ही नहीं एक नेता ने तो मेरी मौत की मार्केटिंग होने की भी बात कही थी. शायद वो नहीं चाहते कि मेरी मौत की गुत्थी सुलझे, तभी तो उन्होंने मेरे बारे में बेहद ही शर्मनाक बातें लिख दी. मुझे ऐसे विचारों के देखकर काफी तकलीफ हुई, क्योंकि मैंने सचमुच सुसाइड नहीं किया. नेताजी ने तो मेरे बारे में साफ-साफ ये लिख दिया कि "सुशांत के कम से कम 10 अभिनेत्रियों के साथ संबधों का खुलासा हुआ. कई लड़कियों से उसका ब्रेक अप भी हुआ था. जिसके बाद नाकामी से निराश होकर वो सुसाइड कर लेता है."
शिवसेना को लगता है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत की मार्केटिंग हो रही है
मैं सचमुच बहुत निराश हूं, मुझे इस दुनिया की हरकतों पर शर्म आने लगी है. मेरी रूह भटक रही है, मुझे बार-बार ये जानने की चेष्ठा हो रही है कि मेरी मौत का सच क्या है? मुझे तो सिर्फ इतना ही मालूम है कि मैंने आत्महत्या नहीं की. मैं कायर, कमजोर और बुज़्दिल नहीं हूं. हां, मुझे भी जल्दबाजी थी.. लेकिन मरने की नहीं बल्कि अपने हर एक सपनों को साकार करने की. मैं अपने सपनों के तरफ हर दिन तेज रफ्तार से बढ़ भी रहा था. मुझसे नफरत करने वालों से भी मैं तो सिर्फ प्यार ही करता था. क्योंकि मैं सुशांत सिंह राजपूत हर किसी को जीने का अंदाज सिखाना चाहता था. मगर अफसोस कि किसी ने मुझे मार दिया और ये दुनिया वाले मेरी मौत को सुसाइड साबित करने के लिए तरह-तरह की पैंतरेबाजी करने लगे.
एक बात तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं, मुझे थोड़ा भी जानने वाले इस बात पर कभी नहीं यकीन कर पाएंगे कि मैं ऐसे खुदकुशी कर ली. क्योंकि उन्हें मालूम है कि मैं हारने वालों में से नहीं था, मैं तो जीत पर भरोसा करता था. मेरी जिंदगी के सफर पर एक नजर डालिए और मुझे थोड़ा समझिए.. मैं वादा करता हूं मेरी मौत की गुत्थी सुलझ जाएगी. कम से कम दुनिया को ये पता चल जाएगा कि मैंने आत्महत्या नहीं की.
हां, मुझे इतना जरूर यकीन है कि मेरे चाहने वाले और मुझे जानने वाले इस झूठ पर कभी यकीन नहीं कर पाएंगे कि मैंने खुद से खुद को मौत के मुंह में ढकेल दिया. मुझे पूरा भरोसा है कि मेरे अपनों की चाहत के दम पर ही ऐसे लोगों को करारा जवाब मिल जाएगा, जिन्हें मेरी मौत को सुसाइड बताने की जल्दबाजी है.
मैं आप सभी से एक बार फिर से यही बात कहना चाहूंगा कि मैंने आत्महत्या नहीं की है और ना ही मुझे ठीक से ये याद है कि मुझे किसने मारा और क्यों मारा है? अब मैं सिर्फ औक सिर्फ इतना चाहता हूं कि मेरी मौत के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए एक उच्च स्तरीय जांच की जाए, क्योंकि मैंने खुद को नहीं मारा. "मैं सुशांत सिंह राजपूत, मेरी मौत को आत्महत्या बताने की जल्दाबाजी क्यों?"
यह आलेख अभी तक मिले सबूतों के आधार पर आयुष सिन्हा की कलम से लिखा गया है.