नई दिल्ली. भारतीय ज्योतिष के अनुसार ग्रहण और उसका काल अर्थात उस दौरान का समय कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण होता है. ज्योतिष के मानने वालों और न मानने वालों दोनों पर ही ग्रहण का सामान रूप से प्रभाव पड़ता है. गुरूवार को पड़ने वाला यह सूर्य ग्रहण अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लगभग तीन सौ वर्षों बाद पड़ रहा है.   


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क्या होता है सूतक 


एक विशेष समय की जानकारी के लिए उपयोग में लाया गया शब्द सूतक होता है. हिन्दू मान्यता के अनुसार जन्म और मरण और ग्रहण के समय सूतक को माना जाता है. हमारे धर्म में कहा जाता है कि सूतक वह समय होता है जब कोई शुभ काम करने की मनाही होती है. सूतक काल सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण दोनों ग्रहणों के दौरान लगता है. 


एक दिन पूर्व ही लग रहा है इस बार सूतक 


सूर्य ग्रहण पड़ रहा है गुरूवार 26 दिसंबर को जबकि इस बार सूर्यगहण पर लगने वाला सूतक एक दिन पहले ही लग जायेगा याने सूतक की सावधानियों का पालन आज 25 दिसंबर से ही करना होगा. इस बार सूर्यग्रहण की यह सबसे ख़ास बात है कि इस बार ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाएगा. यानि बुधवार दिसंबर की शाम से ही सूतक काल प्रभावी हो जाएगा, जोकि गुरूवार शाम तक  चलेगा. 



ग्रहण का समय और उसकी तिथि 


ज्योतिष की गणना के अनुसार बुधवार की रात सवा आठ बजे से सूतक लग जायेगा और वह ग्रहण के समापन पर गुरूवार की शाम को समाप्त होगा. इस ग्रहण के बाद अगले साल 2020 के शुरू में जनवरी में चंद्र ग्रहण पड़ेगा. 


बंद रहेंगे मंदिर 


गुरूवार के इस सूर्य ग्रहण के अवसर पर मान्यता के अनुसार मंदिरों के कपाट बंद रखे जाएंगे और  ग्रहण के समापन के उपरांत ही मंदिरों के कपाट खुलेंगे और फिर से पूजा अर्चना प्रारम्भ होगी. इसलिए आमजनों से भी इस दौरान पूजा-पाठ के कार्यक्रमों को न करने की अपेक्षा रखी जाती है. 


क्यों विशेष है यह सूर्यग्रहण 


यह सूर्यग्रहण इस बार इसलिए विशेष है क्योंकि यह 296 वर्ष बाद पड़ने वाला है. यह अंगूठी सूर्यग्रहण भी कहा जाता है क्योंकि यह अंगूठी जैसा सूर्य ग्रहण होगा जिसमें सूर्य एक आग की अंगूठी की तरह दिखाई देगा.


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