नई दिल्ली:  आजकल वजन कम करने के लिए कई लोग कीटो डाइट फॉलो कर रहे हैं. इस डाइट को फॉलो करने के लिए कार्बोहाइड्रेट को हर दिन अपनी डाइट से 50g कम करना होता है. 'द सन' में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में अमेरिका की एक रिसर्च में पाया गया है कि कीटो डाइट न सिर्फ हमारी कैलोरी बर्न करता है बल्कि यह हमें ब्रेन डिसऑर्डर से भी बचाने में मदद कर सकता है. 


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मेंटल हेल्थ में आता है सुधार 
रिसर्च में शामिल अमेरिका के 'स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी' की डॉक्टर शिबानी सेठी के मुताबिक आप आसानी से कीटो डाइट के जरिए अपनी मेंटल हेल्थ पर कंट्रोल पा सकते हैं. रिसर्च में हिस्सा लेने वाले लोगों ने इस डाइट को फॉलो करने के बाद अपनी नींद, एनर्जी, मूड और लाइफस्टाइल में काफी इंप्रूवमेंट देखा. ये लोग ज्यादा बेहतर और हेल्दी फील कर रहे थे. बता दें कि कीटो डाइट में आप आलू और व्हाइट ब्रेड जैसे हाई कार्ब वाले फूड को छोड़कर मछली, अंडा और एवोकाडो जैसी हाई फैट वाली चीजों का सेवन करते हैं. इससे शरीर में कीटोसिस नाम की प्रक्रिया होती है, जिसमें हमारा शरीर कार्बोहाइड्रेट के बदले फैट को बर्न करती है, जिससे हमारा वजन कम होता है. 


मिर्गी के दौरे में मदद करता है कीटो डाइट 
'साइकैटरी रिसर्च' में पब्लिश इस रिसर्च में जांचा गया कि आखिर कीटो डाइट एंटीसाइकोटिक ड्रग्स के कारण होने वाली परेशानियों को ठीक करने में मदद कर सकता है या नहीं और अगर हां तो इसका हमारी मेंटल हेल्थ पर क्या असर पड़ सकता है. डॉक्टर सेठी के मुताबिक कीटोजेनिक डाइट मिर्गी के दौरे के ट्रीटमेंट के लिए काफी असरदार है, क्योंकि यह ब्रेन में न्यूरॉन्स की उत्तेजना को कम करता है. डॉक्टर सेठी का मानना है कि यह डाइट मनोरोग स्थितियों से लड़ने में काफी मदद कर सकता है. 


रिसर्च में हुआ ये खुलासा 
रिसर्च को लेकर शोधकर्ताओं ने एंटीसाइकोटिक ड्रग्स ले रहे सिजोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित 21 मरीजों के बढ़ते वजन को ट्रैक किया. इसके लिए सभी को कीटो डाइट को फॉलो करने के लिए कहा गया, जिसमें उनसे कैलोरी के हिसाब से10 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 30 प्रतिशत प्रोटीन और बाकी फैट से भरपूर डाइट लेने के लिए कहा गया. रिसर्च में पाया गया कि इस डाइट को फॉलो करने के बाद सभी ने अपने शरीर का वजन औसतन 10 प्रतिशत तक कम किया और उनके कमर का साइज भी 11प्रतिशत कम हो गया. इसके अलावा उनमें बीपी, BMI, ट्राइग्लिसराइड और ब्लड शुगर लेवल भी काफी कम देखा गया. वहीं मनोचिकित्सक की मानसिक बीमारियों की रेटिंग में उन्होंने 31 प्रतिशत तक सुधार किया. रिसर्च में यह भी सामने आया कि ये लोग ज्यादा खुश थे और उन्हें नींद भी अच्छी आई.   


Disclaimer: यहां दी गई जानकारी रिसर्च  पर आधारित है, लेकिन Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


 


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