नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ ने बाबरी विध्वंस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, बृजभूषण शरण सिंह समेत सभी 32 आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई की.


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सुनवाई की अगली तारीख 1 अगस्त


इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने याचिका को आपराधिक याचिका में बदलने का आदेश दिया सुनवाई की अगली तारीख 1 अगस्त तय की. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने दिया.


हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने आदेश में कहा कि सभी 32 आरोपियों को बरी करने के खिलाफ दायर पुनरीक्षण याचिका सुनवाई योग्य नहीं थी, इसलिए उन्होंने अपने कार्यालय को संशोधन कर याचिका को आपराधिक अपील के रूप में बदलने का निर्देश दिया.


पहले 11 जुलाई को होनी थी सुनवाई


इस याचिका पर सुनवाई पहले 11 जुलाई को होनी थी, लेकिन वकीलों ने स्थगन का अनुरोध किया था. पीठ ने अनुरोध स्वीकार करते हुए इसे सोमवार के लिए सूचीबद्ध किया, साथ ही आगाह किया था कि वह सुनवाई दोबारा स्थगित नहीं करेगी.


पीठ अयोध्या के दो निवासियों हाजी महमूद अहमद और सैयद अखलाक अहमद की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करेगी. याचिका में कहा गया है कि दोनों याची इस मामले में न सिर्फ गवाह थे, बल्कि घटना के पीड़ित भी हैं.


कारसेवकों ने 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था. सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में 30 सितंबर 2020 को आरोपी के रुप पर नामजद सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया था.


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