CJI ललित के कार्यकाल के 30 दिन: कॉलेजियम की 4 बैठकें, 24 नियुक्तियां और 5 तबादलों की सिफारिशें
जस्टिस यूयू ललित के बीते 27 अगस्त को देश के मुख्य न्यायाधीश का पद संभालने के बाद से एक महीने के भीतर कॉलेजियम ने 4 बैठकें आयोजित कर 29 नामों की सिफारिश केंद्र सरकार को की है. इनमें कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट में रिक्त 5 पदों पर की गई सिफारिश में जस्टिस दीपांकर दत्ता के नाम की एकमात्र सिफारिश भी शामिल है.
नई दिल्ली: जस्टिस यूयू ललित के बीते 27 अगस्त को देश के मुख्य न्यायाधीश का पद संभालने के बाद से एक महीने के भीतर कॉलेजियम ने 4 बैठकें आयोजित कर 29 नामों की सिफारिश केंद्र सरकार को की है. इनमें कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट में रिक्त 5 पदों पर की गई सिफारिश में जस्टिस दीपांकर दत्ता के नाम की एकमात्र सिफारिश भी शामिल है.
केंद्र की तरफ से जस्टिस दीपांकर दत्ता के नाम को मंजूरी मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत जजों की संख्या 30 हो जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान में स्वीकृत जजों के 34 पदों पर मुख्य न्यायाधीश सहित 29 न्यायाधीश कार्यरत हैं. जस्टिस हेमंत गुप्ता दो सप्ताह बाद 16 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ललित भी 8 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. इसके बाद फिर से सुप्रीम कोर्ट में रिक्तियों की संख्या बढ़कर सात हो जाएगी.
4 बैठकें, 29 नामों की सिफारिशें
सीजेआई की अध्यक्षता में पिछले एक माह में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की 4 बैठकें हुईं. इन 4 बैठकों में लिए गए निर्णयों के आधार पर 8 स्टेटमेंट जारी करते हुए कुल 29 नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को की गई. इनके जरिए सुप्रीम कोर्ट में 1 जज की नियुक्ति, देश के अलग-अलग 3 हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति, दो मुख्य न्यायाधीशों और 3 हाई कोर्ट जजों के तबादले और 17 हाई कोर्ट जजों की नियुक्ति की सिफारिश की गई हैं. इसके साथ ही कर्नाटक हाई कोर्ट के 3 एडिशनल जजों को स्थायी जज के रूप में पदोन्नत करने की भी सिफारिश की गई है.
पहली बैठक
राष्ट्रीय लोक अदालतों के जरिए देश की अदालतों से करीब 1 करोड़ से अधिक लंबित मुकदमों को निस्तारित करने की उपलब्धि के साथ जस्टिस यूयू ललित एक महीने पूर्व 27 अगस्त को देश के 49वें सीजेआई बने थे. सीजेआई बनने के 10 दिन बाद ही उनकी अध्यक्षता में 7 सितंबर को कॉलेजियम की पहली बैठक हुई. इसमें जारी किए पहले स्टेटमेंट में बॉम्बे हाईकोर्ट में 6 नए जजों की नियुक्ति की सिफारिश की गयी. इसी बैठक के दूसरे स्टेटमेंट के जरिए कर्नाटक हाई कोर्ट के तीन एडिशनल जजों को स्थायी जज के रूप में पदोन्नति की सिफारिश भी की गई.
दूसरी बैठक
जस्टिस ललित की अध्यक्षता में कॉलेजियम की 12 सितंबर को दूसरी बैठक आयोजित की गई. इसके बाद जारी किए गए 2 स्टेटमेंट के जरिए हाई कोर्ट जज के लिए 11 नाम की सिफारिश की गई. इसमें पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के लिए 9 न्यायिक अधिकारियों और बॉम्बे हाई कोर्ट के लिए 2 अधिवक्ताओं को जज बनाने की सिफारिश की गई. सीजेआई ललित की अध्यक्षता में हुई कॉलेजियम बैठकों की महत्वपूर्ण बात ये भी है कि हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए अधिकतर न्यायिक अधिकारियों के नाम की सिफारिश की गई है.
तीसरी बैठक
पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने 26 सितंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपांकर दत्ता को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की थी. बॉम्बे हाई कोर्ट के जज जस्टिस दत्ता देश में हाई कोर्ट जजों में सबसे वरिष्ठ जज हैं. उन्हें अधिवक्ता कोटे से 22 जून 2006 को बॉम्बे हाई कोर्ट में स्थायी जज नियुक्त किया गया था. करीब 14 वर्ष हाई कोर्ट में जज के तौर पर सेवाओं के पश्चात 28 अप्रैल 2020 को उन्हे बॉम्बे हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था.
चौथी बैठक
सीजेआई की अध्यक्षता में 28 सितंबर को हुई कॉलेजियम की चौथी बैठक के बाद 3 स्टेटमेंट के जरिए कुल 8 नामों की सिफारिश की गई. सबसे महत्वपूर्ण सिफारिश देश की तीन हाई कोर्ट में नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की सिफारिश करने के साथ ही दो मुख्य न्यायाधीशों के तबादले की सिफारिश थी. कॉलेजियम ने तबादले के जरिए जम्मू कश्मीर के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पंकज मित्तल को राजस्थान हाई कोर्ट और ओडिशा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस मुरलीधर को मद्रास हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की.
गौरतलब है कि जस्टिस मित्तल, जस्टिस मुरलीधर और जस्टिस दीपाकंर दत्ता 2006 बैच के जज हैं.
पदोन्नति के जरिए सीजे
कॉलेजियम ने इसी बैठक के जरिए देश के तीन हाई कोर्ट के वरिष्ठ जजों को पदोन्नति देते हुए अलग-अलग हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की है. ओडिशा हाई कोर्ट के जस्टिस जसवंत सिंह 5 दिसंबर 2017 को ओडिशा हाई कोर्ट सीजे, बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस प्रसन्ना बी वराले 18 जुलाई 2008 को कर्नाटक सीजे और जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के जस्टिस अली मोहम्मद मागरे 8 मार्च 2013 को जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट सीजे नियुक्त करने की सिफारिश की. वरिष्ठता के मामले में पदोन्नति का इंतजार करने वालो में डॉ. जसवंत सिंह 2007 सबसे वरिष्ठ हाई कोर्ट जज हैं.
प्रतिनिधित्व के लिए वरिष्ठता को नजरअंदाज
जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट को प्रतिनिधित्व देने के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने देश के करीब एक दर्जन से अधिक हाई कोर्ट जजों की वरिष्ठता को नजरअंदाज किया है. जस्टिस मागरे बार कोटे से जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट में 8 मार्च 2013 को जज नियुक्त किए गए थे. वहीं देश में जस्टिस प्रसन्ना बी वराले- 2008, जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल- 2008, जस्टिस मनमोहन- 2008, जस्टिस ए जी मसीह- 2008, जस्टिस रंजन गुप्ता- 2008, जस्टिस इंदिरा प्रसन्ना मुखर्जी- 2009, जस्टिस चित्रा रंजन दास- 2009, जस्टिस सबीना- 2008, जस्टिस डी मुरूस्वागमी-2009, जस्टिस टी राजा- 2009, जस्टिस एम एम श्रीवास्तव- 2009, जस्टिस संजय कुमार मिश्रा- 2009, जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर- 2009, जस्टिस टी एस विसागननम 2009 पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं.
बैठक को लेकर संशय
दशहरा अवकाश पर जाने से पूर्व अंतिम कार्यदिवस पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कॉलेजियम की बैठक होने का इंतजार था, लेकिन कॉलेजियम में शामिल वरिष्ठ जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच द्वारा देर रात 9 बजे सुनवाई करने के चलते इस बैठक के नहीं होने की खबरें हैं. सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार लंच के दौरान और न्यायालय समय के पश्चात की प्रस्तावित बैठक में हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति पर निर्णय लिए जाने थे.
CJI यूयू ललित का मुख्य न्यायाधीश के तौर पर 8 नवंबर तक का कार्यकाल हैं. ऐसे में उनकी अध्यक्षता में कॉलेजियम के पास सिफारिशें करने के लिए 8 अक्टूबर तक का ही समय है. परंपरा के अनुसार, निवर्तमान CJI सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले अपने उत्तराधिकारी की सिफारिश करते हैं, जिसके बाद कॉलेजियम की बैठकें अगले CJI के कार्यभार संभालने तक रोक दी जाती हैं.
सुप्रीम कोर्ट में 9 अक्टूबर तक दशहरा अवकाश हैं. अवकाश के दिन कॉलेजियम की बैठक आयोजित होने की संभावना बेहद कम है. कॉलेजियम में मौजूद सभी जजों के एक साथ आने की स्थिति में 8 अक्टूबर तक बैठक हो सकती हैं, लेकिन कानूनविद इन संभावनाओं से इनकार करते हैं. उनके अनुसार 28 अगस्त को हुई कॉलेजियम की बैठक जस्टिस ललित के कार्यकाल की अंतिम कॉलेजियम बैठक हो सकती हैं.
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