कोविड नियमों का उल्लंघन करने पर पुलिस तुरंत लेगी एक्शन, कोर्ट ने दिये आदेश

अब कोविड नियमों को तोड़ने पर पुलिस के एक्शन का सामना करना पड़ेगा. दिल्ली हाईकोर्ट ने ने कोविड-19 संबंधी नियमों के उल्लंघन मामले में पुलिस से त्वरित कार्रवाई के लिए कहा है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 4, 2022, 08:39 PM IST
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कोविड नियमों का उल्लंघन करने पर पुलिस तुरंत लेगी एक्शन, कोर्ट ने दिये आदेश

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली पुलिस को लोगों द्वारा कोविड-19 नियमों के उल्लंघन से संबंधित मामलों में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए और संबंधित अदालतों में शिकायत दर्ज करानी चाहिए.

'बिना किसी देरी के करना चाहिए निपटारा'

उच्च न्यायालय (High Court) ने यह भी कहा कि संबंधित अदालतों को ऐसे मामलों का निपटारा बिना किसी देरी के करना चाहिए. न्यायमूर्ति आशा मेनन ने कहा कि इस तरह के मामलों को तेजी से निपटाने के बजाय महीनों तक घसीटने से जटिलताएं पैदा होती हैं और समय तथा मानव संसाधनों की भारी बर्बादी होती है.

जस्टिस मेनन ने कहा कि इस तरह के उल्लंघनों को संज्ञेय बनाया गया था, ताकि पुलिस आदेशों की अवहेलना करने वाले व्यक्ति के खिलाफ तत्काल कार्रवाई कर सके, साथ ही उल्लंघन करने वाले का अनावश्यक उत्पीड़न और उसके जीने के अधिकार का उल्लंघन न हो.

कानून के तहत आवश्यक शिकायतें दर्ज करें

अदालत ने कहा, 'पुलिस के लिए यह उचित होगा कि वह अदालत के समक्ष कानून के तहत आवश्यक शिकायतें दर्ज करके आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत पारित आदेशों के उल्लंघन से संबंधित सभी लंबित मामलों में त्वरित कार्रवाई करे और अदालतों को बिना किसी देरी के इन मामलों का निपटारा करना चाहिए.'

अदालत ने कहा कि 'मास्क पहनने या महामारी के दौरान निर्धारित कामकाजी घंटों से संबंधित मानदंडों का उल्लंघन करने वाले लोगों के 'अनगिनत मामले' हैं और इससे दृढ़ता से निपटने की आवश्यकता है, लेकिन यह प्रभावी भी होना चाहिए.'

अदालत का आदेश खेल के सामान के खुदरा विक्रेता द्वारा दायर एक याचिका पर पारित किया गया, जिसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा लागू आदेश की अवज्ञा) के तहत दर्ज 2021 की प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया गया है.

कोई राहत देने से कोर्ट ने कर दिया इनकार

घातक महामारी का प्रसार रोकने के लिए सार्वजनिक गतिविधियों को विनियमित करने के संबंध में जारी आदेश के तहत विक्रेता ने कथित तौर पर निर्धारित समय सीमा के भीतर अपनी दुकान बंद नहीं की थी. अदालत ने याचिकाकर्ता को कोई राहत देने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि सात महीने के बाद भी मामला 'बंद नहीं हुआ, जबकि इसके निपटारे में सात दिन भी नहीं लगने चाहिए थे.'

अदालत ने कहा कि 'खामी अपनाई गई प्रक्रिया में निहित है.' अदालत ने कहा कि पुलिस को लोक स्वास्थ्य और कानून-व्यवस्था के हित में जारी किए गए आदेशों को लागू करना है, लेकिन आईपीसी की धारा 188 संबंधी किसी भी अपराध को 'चोरी, शरारत, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, या शारीरिक नुकसान पहुंचाने, चोट पहुंचाने या गैर इरादतन हत्या का प्रयास करने जैसे मामलों की तरह नहीं समझा जा सकता है.'

अदालत ने प्राथमिकी रद्द करने से इनकार करते हुए संबंधित थाना प्रभारी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि शिकायत तुरंत संबंधित निचली अदालत को भेजी जाए और याचिकाकर्ता को मामले के निपटारे के लिए उसके समक्ष पेश होने की तारीख के बारे में सूचित किया जाए.

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