FIFA Ban AIFF: सुप्रीम कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक फैसला, क्या अब हट जायेगा फुटबॉल से बैन
Supreme Court on FIFA Ban AIFF: अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल की सबसे बड़ी संस्था फीफा की ओर से भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) पर बैन लगाये जाने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से भारतीय ओलंपिक संघ का कार्यभार सीओए को सौंपने के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है.
Supreme Court on FIFA Ban AIFF: अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल की सबसे बड़ी संस्था फीफा की ओर से भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) पर बैन लगाये जाने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से भारतीय ओलंपिक संघ का कार्यभार सीओए को सौंपने के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है.
लागू नहीं होगा दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला
इसका मतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने जो 3 सदस्यीय प्रशासकों की समिति को कार्यभार संभालने का आदेश दिया था वो लागू नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से न सिर्फ भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को राहत मिली है बल्कि अक्टूबर में भारत की मेजबानी में खेले जाने वाले अंडर 17 महिला विश्वकप की मेजबानी पर मंडरा रहा संकट भी टलता नजर आ रहा है. उल्लेखनीय है कि फीफा ने हाल ही में भारतीय फुटबॉल संघ में तीसरे पक्ष का हवाला देते हुए एआईएफएफ पर बैन लगा दिया था और मेजबानी अधिकार रद्द करने की भी बात कही थी.
फीफा ने साफ किया था कि भारतीय फुटबॉल संघ को तब तक बहाल नहीं किया जायेगा जबतक कामकाज की कमान सीओए से लेकर महासंघ को नहीं सौंपा जाता है. इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को भी सुनवाई हुई जिसमें सर्वोच्च न्यायलय ने केंद्र सरकार को फीफा से बात कर बैन हटाने के समाधान पर पहुंचने की बात कही थी. वहीं जब गुरुवार को आईओए भी सीओए गठित करने के मामले पर सुनवाई के लिये पहुंचा तो सुप्रीम कोर्ट तुरंत ही सुनवाई के लिये तैयार हो गया. पहले यह मामला 22 अगस्त को सुनवाई के लिये सूचिबद्ध था.
एआईएफएफ बैन का हवाला देकर पलटा फैसला
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) भारतीय संघ को निलंबित कर सकती है जैसा कि हाल में अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के मामले में हुआ था. मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और आईओए की तरफ से उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इस दलील पर गौर किया कि विश्व खेल संस्थाएं सीओए जैसे निकाय को मान्यता नहीं देती और इसके परिणाम स्वरूप भारत को अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने से रोका जा सकता है.
सर्वोच्च अदालत ने विधि अधिकारी की इस दलील पर भी गौर किया कि इस आदेश का देश पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. इन दलीलों पर गौर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए यथास्थिति बरकरार रखने का दिया और कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से नियुक्त प्रशासकों की समिति आईओए का कामकाज नहीं संभालेगी.
अब सीओए को नहीं मिलेगी कमान
गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से बनाई गई इस 3 सदस्यीय प्रशासकों की समिति में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिल आर दवे, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी और विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव विकास स्वरूप को शामिल किया गया था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद फीफा अपने फैसले पर फिर से विचार कर एआईएफएफ का निलंबन हटा सकता है. फीफा के 85 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब भारतीय फुटबॉल महासंघ पर बैन लगा हो.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 16 अगस्त को आईओए के कार्यो के संचालन के लिए तीन सदस्यीय सीओए के गठन का आदेश दिया था. उच्च न्यायालय ने कहा था कि आईओए खेल संहिता का पालन करने के प्रति लगातार अनिच्छा दिखा रहा है जिससे कि उसके कामकाज को सीओए को सौंपना अनिवार्य हो गया है.
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