नई दिल्ली: अहमदाबाद की एक अदालत ने शुक्रवार को गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष एवं विधायक जिग्नेश मेवाणी तथा 18 अन्य लोगों को दंगा भड़काने एवं गैरकानूनी तरीके से भीड़ एकत्र करने के 2016 के मामले में छह महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई.


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6 महीने की जेल और 600 रुपए का जुर्माना
कांग्रेस नेता जिग्नेश मेवाणी और 19 अन्य को 2016 में तोड़फोड़ के एक मामले में दोषी ठहराया और उन्हें छह महीने कैद की सजा सुनाई. मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने आईपीसी की तीन अलग-अलग धाराओं के तहत तीन अलग-अलग सजा सुनाई- एक के तहत छह महीने की जेल, दूसरे के तहत 500 रुपये का जुर्माना और तीसरे में 100 रुपये का जुर्माना.


यह मामला मेवाणी और उनके सहयोगियों द्वारा एक सड़क को अवरुद्ध करने से जुड़ा था. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पी. एन. गोस्वामी ने मेवाणी और अन्य पर जुर्माना भी लगाया, हालांकि उनकी सजा को 17 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया, ताकि वे अपील कर सकें. मेवाणी और अन्य सत्र न्यायालय के समक्ष आदेश के खिलाफ अपील कर सकते हैं.


इस मामले में जिग्नेश के खिलाफ हुई कार्रवाई
मेवाणी और 19 अन्य के खिलाफ 2016 में यहां विश्वविद्यालय थाने में एक मामला दर्ज किया गया था. यह मामला गुजरात विश्वविद्यालय के कानून विभाग के एक निर्माणाधीन भवन का नाम डॉ बी आर आंबेडकर के नाम पर रखने की मांग पर जोर देने के लिए सड़क जाम करने से संबंधित था. विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया और परिसर में तोड़फोड़ की गई. सभी प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया था.


भारतीय दंड संहिता की धारा 143 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र होना) और 147 (दंगा) के साथ-साथ गुजरात पुलिस कानून की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. मामले की सुनवाई के दौरान एक आरोपी की मौत हो गई. प्रमुख दलित नेता मेवाणी 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर विजयी हुए थे. बाद में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें अपनी गुजरात इकाई का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया.


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