67 दिन का कार्यकाल, जानिए नालसा के 31 वें कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ को
राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी मिलने के बाद शुक्रवार देर रात जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ की नियुक्ति का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. केन्द्र सरकार द्वारा यह प्रस्ताव भेजा गया था.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जज जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नालसा के 31 वें कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं. केन्द्र सरकार द्वारा भेजे गये प्रस्ताव को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी मिलने के बाद शुक्रवार देर रात जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ की नियुक्ति का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है.
9 नवंबर तक का कार्यकाल
नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में जस्टिस चन्द्रचूड़ का कार्यकाल 9 नवंबर 2022 तक रहेगा. जस्टिस चन्द्रचूड़ 9 नवंबर को वर्तमान सीजेआई जस्टिस ललित के सेवानिवृत होने पर देश के 50 वे मुख्य न्यायाधीश की शपथ लेंगे. इस तरह वे नालसा के इतिहास में सबसे छोटे कार्यकाल यानी 67 दिन के लिए कार्यकारी अध्यक्ष होंगे. जस्टिस एस एच कपाड़िया ने 4 माह का कार्यकाल होने के चलते कार्यकारी अध्यक्ष का पदभार ग्रहण नहीं किया था.
ई कमेटी चैयरमेन के रूप में किए हैं नवाचार
जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट ई कमेटी के चैयरमेन रहते हुए कोविड के दौरान उन्होने देश की सर्वोच्च अदालत के साथ साथ देशभर की अदालतों में तकनीक के बेहतर प्रयोग के कई नवाचार किए हैं. इनके कार्यकाल में ही देश में सर्वाधिक वर्चुअल कोर्ट और वर्चुअल तरीकों से पेशी सहित अदालतों को प्रोत्साहन मिला है. सर्वाधिक बजट भी इस दौरान ही प्रस्तावित किया गया.ई कमेटी चेयरमैन के साथ साथ वे शुरू से ही विधिक सेवा को भी प्रोत्साहित करते रहे हैं. यही कारण है कि 2 माह 8 दिन दिन का कार्यकाल होने के बावजूद जस्टिस चन्द्रचूड़ ने इस पद के लिए अपनी सहमति दी.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को वर्तमान सुप्रीम कोर्ट में सबसे ज्यादा हाईटेक जज के रूप में भी जाना जाता है. जस्टिस चन्द्रचूड़ की स्कूली शिक्ष सेंट कोलंबा दिल्ली से होने के बाद उन्होंने सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली से गणित और अर्थशास्त्र में ऑनर्स के साथ ग्रेजुएशन किया.
हावर्ड सेएलएलएम और डाक्टरेट
दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री एलएलबी करने के बाद एलएलएम के लिए हावर्ड चले गए. हावर्ड से ही उन्होंने एलएलएम करने के बाद ज्यूरिडिकल साइंस में डॉक्टरेट की. जस्टिस चन्द्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रेक्टिस शुरू की.
जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ को बॉम्बे हाईकोर्ट से अपनी प्रेक्टिस के दौरान ही मार्च 1998 में केन्द्र सरकार के लिए एडिशनल सॉलिस्टर जनरल नियुक्त किया गया. जून 1998 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट के लिए सीनियर एडवोकेट भी नामित कर दिया गया.
बॉम्बे हाईकोर्ट में बने थे स्थायी जज
सीनियर एडवोकेट रहते हुए 29 मार्च 2000 को उन्हे बॉम्बे हाईकोर्ट का स्थायी जज नियुक्त किया गया. 13 साल तक बॉम्बे हाईकोर्ट के जज रहने के बाद उन्हें 31 अक्टूबर 2013 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जिम्मेदारी दी गयी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद पर करीब ढाई साल के बाद उन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया. 12 मई 2016 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में शपथ ली. सुप्रीम कोर्ट में उन्हें एक सख्त जज के रूप में जाना जाता है जो कानून की सीमाओं में रहने के लिए बाध्य करते हैं.
देश के अगले मुख्य न्यायाधीश
जस्टिस चन्द्रचूड़ वर्तमान सीजेआई जस्टिस यूयू ललित की सेवानिवृति के बाद देश के अगले मुख्य न्यायाधीश बनेंगे. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 9 नवंबर 2022 से 10 नवंबर 2024 तक पूरे दो साल देश के मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहेंगे. मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस चन्द्रचूड़ देश के 50 वें मुख्य न्यायाधीश होंगे.
पिता रहे हैं सबसे ज्यादा समय तक सीजेआई
जस्टिस चंद्रचूड़ देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ के बेटे हैं.जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के नाम सबसे लंबे समय तक देश का मुख्य न्यायाधीश रहने का रिकॉर्ड दर्ज है. वह 7 साल 4 महीने तक देश के मुख्य न्यायाधीश रहे थे. उनके फैसलों के चलते उन्हें आयरन हैंड्स के नाम से भी जाना जाता है. अपने कार्यकाल में उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले दिए. पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी को जेल भेजने और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को नजरअंदाज करते हुए मुस्लिम महिलाओं को पति से गुजारा भत्ता लेने का हक देने सहित कई महत्वपूर्ण मामलों के लिए उन्हे याद किया जाता है.
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