चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक नाबालिग मुस्लिम लड़की की कस्टडी उसके पति को सौंपने का निर्देश दिया है. यह देखते हुए कि किसी मुस्लिम लड़की की शादी मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत होती है, ये आदेश दिया गया. 


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आशियाना होम में कैद पत्नी की रिहाई का केस
न्यायमूर्ति विकास बहल की पीठ पंचकूला में आशियाना होम में कैद पत्नी की रिहाई के लिए पति द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी. पीठ को बताया गया कि याचिकाकर्ता और बंदी दोनों मुस्लिम धर्म से हैं. सरकारी वकील ने याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि बंदी नाबालिग है, क्योंकि उसकी जन्मतिथि 15 मार्च 2006 है.


क्या कहा जज ने
न्यायमूर्ति बहल ने कहा कि पंचकूला में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के समक्ष 28 जुलाई को दर्ज किए गए जवाब और एक बयान के अनुसार बंदी लड़की अपनी इच्छा से याचिकाकर्ता के साथ अपने घर से भाग गई थी. उसके परिवार ने जबरन उसके मामा के साथ उसकी सगाई कर दी, लेकिन उसने याचिकाकर्ता के साथ 'निकाह' किया और अपने परिवार के साथ नहीं रहना चाहती थी. दरअसल, उसकी शादी याचिकाकर्ता से हुई थी और वह उसके साथ रहना चाहती थी.


न्यायमूर्ति ने कहा, "सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद कोर्ट की समन्वय पीठ ने आगे कहा था कि यदि लड़की प्रतिवादी के साथ जाना चाहती है, तो वह इसकी हकदार होगी. प्रतिवादी एक ऐसा व्यक्ति है, जिसने 18 वर्ष से कम, यानी 15 वर्ष की मुस्लिम लड़की से शादी की थी. फैसले में, निर्धारित कानून मामले के तथ्यों पर लागू होगा."

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