नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक अदालत ने गुरुवार को शिक्षक भर्ती घोटाले के सिलसिले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व महासचिव पार्थ चटर्जी और छह अन्य की न्यायिक हिरासत 14 दिनों के लिए बढ़ा दी.


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सीबीआई की क्षमता पर किसने उठाया सवाल
सभी सातों आरोपियों को अगले साल 5 जनवरी को फिर से अदालत में पेश किया जाएगा. गुरुवार को, चटर्जी के वकील सेलिम रहमान ने अदालत में तीखी दलील दी, यहां तक कि इस मामले में ठोस सबूत पेश करने के संबंध में सीबीआई की क्षमता पर सवाल उठाया.


उन्होंने मामले में अपनी दलील पेश करते हुए 26/11 मुंबई नरसंहार के मुख्य आरोपी अजमल कसाब से संबंधित मामले का भी जिक्र किया. रहमान ने तर्क दिया- आखिरकार उसे फांसी दे दी गई, वह उचित जांच और न्यायिक प्रक्रिया से भी गुजरा. लेकिन इस मामले में जांच एजेंसी ठोस सबूत और दस्तावेज पेश नहीं कर रही है. मैंने जांच की ऐसी अभूतपूर्व शैली कभी नहीं देखी. जांच प्रक्रिया में तेजी लाएं.


जांच के दौरान रोजाना नए एंगल सामने आएंगे
जवाबी तर्क में, सीबीआई के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील द्वारा अक्षमता के आरोप लगाए गए हैं, यह तथ्य है कि सीबीआई की जांच अभियुक्तों के रैंक या स्थिति से प्रभावित नहीं होती है.


उन्होंने कहा- सीबीआई की क्षमता पर सवाल उठाए जा रहे हैं. लेकिन सीबीआई द्वारा जांच किए गए मामलों में ओम प्रकाश चौटाला और लालू यादव का हश्र शायद सभी को याद होगा. एजेंसी हमेशा अपनी जांच की प्रगति पर अदालत को अपडेट रखती है. स्वाभाविक है कि जांच के दौरान रोजाना नए एंगल सामने आएंगे.


आरोपियों पर गंभीर आरोप हैं, जिनमें से सभी अत्यधिक प्रभावशाली व्यक्ति हैं. इसलिए जांच की सुचारू प्रगति के लिए उन्हें हिरासत में रखने की जरूरत है. अंत में, दोनों पक्षों को सुनने के बाद, अदालत ने पार्थ चटर्जी और छह अन्य आरोपियों की न्यायिक हिरासत 14 दिनों के लिए और बढ़ा दी.
(इनपुट: आईएएनएस)


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