गुवाहाटी: भले ही कोई एजेंसी किसी बेहद गंभीर मामले की ही जांच क्यों न कर रही हो, किसी के मकान पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान किसी भी आपराधिक कानून में नहीं है. गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने एक केस की सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की है. इस केस पर अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी. 


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मुख्य न्यायाधीश कर रहे थे सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर एम छाया ने असम के नगांव जिले में आगजनी की एक घटना के आरोपी के मकान को गिराए जाने के संबंध में उच्च न्यायालय के स्वत: संज्ञान वाले मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. 


6 मकानों पर चला था बुलडोजर
स्थानीय मछली व्यापारी 39 साल के सफीकुल इस्लाम की कथित रूप से हिरासत में मौत के बाद भीड़ ने 21 मई को बटाद्रवा थाने में आग लगा दी थी. सफीकुल इस्लाम को एक रात पहले ही पुलिस लेकर गई थी. घटना के एक दिन बाद जिला प्राधिकारियों ने इस्लाम सहित कम से कम छह लोगों के मकानों को उनके नीचे कथित तौर पर छिपाए गए हथियारों और नशीले पदार्थों की तलाश के लिए ध्वस्त कर दिया था. इन मकानों को गिराने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया था. 


क्या कहा जज ने
न्यायमूर्ति छाया ने कहा, ‘‘एजेंसी भले ही किसी गंभीर मामले की जांच क्यों न कर रही हो, किसी मकान पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान किसी आपराधिक कानून में नहीं है.’’ किसी के घर की तलाशी लेने के लिए भी अनुमति की आवश्यकता है.कल अगर आपको कुछ चाहिए होगा, तो आप मेरे अदालत कक्ष को ही खोद देंगे.’’


तो कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर जांच के नाम पर किसी के घर को गिराने की अनुमति दे दी जाती है तो कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा. उन्होंने कहा, ‘‘हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहते हैं.’’ न्यायमूर्ति छाया ने कहा कि मकानों पर इस तरह से बुलडोजर चलाने की घटनाएं फिल्मों में होती हैं और उनमें भी, इससे पहले तलाशी वारंट दिखाया जाता है. 

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