आशीष मिश्रा को कब तक हिरासत में रखा जा सकता है? जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्यों पूछा ऐसा
देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि लखीमपुर खीरी हिंसा के आरोपी आशीष मिश्रा को हम कब तक हिरासत में रख सकते हैं?
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे व लखीमपुर हिंसा के आरोपी आशीष मिश्रा को कब तक हिरासत में रखा जा सकता है? न्यायालय ने सत्र अदालत के न्यायाधीश से लखीमपुर खीरी में अक्टूबर 2021 में प्रदर्शनकारी किसानों को कुचलने के मामले में कथित हत्या और संबंधित अपराधों के मुकदमे की सुनवाई पूरी करने के लिए संभावित समय-सारिणी स्पष्ट करने के लिए कहा.
आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध
शीर्ष अदालत ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए अपराध को 'गंभीर' करार देने वाली उत्तर प्रदेश सरकार से यह भी कहा कि वह एसयूवी (स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल) में सवार तीन लोगों की हत्या के सिलसिले में दायर दूसरे मामले में स्थिति को लेकर एक हलफनामा दायर करे. इसी एसयूवी से कथित तौर पर किसानों को कुचल दिया गया था.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि आरोपी, पीड़ितों और समाज सहित सभी पक्षों के हितों में संतुलन साधने की जरूरत है. पीठ ने कहा, 'सवाल यह है कि हम उसको (आशीष मिश्रा को) कब तक हिरासत में रख सकते हैं. हमें यह देखना होगा कि जो आरोपी एक साल से अधिक समय से जेल के अंदर है, उसके भी अधिकार हैं. अब आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है और आरोप तय किए जा चुके हैं. पीड़ितों और गवाहों के भी अपने अधिकार हैं. यहां तक कि समाज की भी मामले में रुचि है. अब, हमें मामले में सभी के अधिकारों को संतुलित करना होगा.'
एक साल से अधिक समय से जेल में बंद है आरोपी
पीठ ने कार सवार लोगों की हत्या के दूसरे मामले की सुनवाई कर रहे अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश से भी कहा कि वह आरोप तय करने की वांछनीयता पर विचार करें. शीर्ष अदालत के पंजीयक (न्यायिक) से अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, लखीमपुर खीरी को लिखने के लिए कहा, ताकि अन्य लंबित मामलों और पहले से ही प्राथमिकता वाले मामलों को ध्यान में रखते हुए मामले में मुकदमे के समापन के लिए वह समय सारिणी का संकेत दे सकें.
पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश हुईं अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद को बताया, 'वह हमारे आदेश पर जेल के अंदर है. हम उसे अनिश्चितकाल के लिए नहीं रख सकते, लेकिन सवाल यह है कि हम किस चरण में उनकी जमानत पर विचार करें.'
16 दिसंबर से शुरू होनी है अदालत की सुनवाई
प्रसाद ने कहा कि उसके (आरोपी के) खिलाफ आरोप 'काफी गंभीर' हैं और विस्तृत जांच के बाद शीर्ष अदालत द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने आरोप पत्र दाखिल किया था. इस पर पीठ ने कहा कि चूंकि 212 गवाह हैं, इसलिए मुकदमे में समय लगेगा. प्रसाद ने कहा कि मिश्रा की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है, सत्र अदालत ने आरोप तय कर दिए हैं और सुनवाई 16 दिसंबर से शुरू होनी है.
उन्होंने कहा, 'हमने मामले के सभी प्रमुख गवाहों को सुरक्षा प्रदान की है.' पीठ ने कहा कि यह एक अच्छा कदम है और मुकदमे के दौरान कोई संवेदनशील गवाह सामने आता है, तो राज्य को उसको भी सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए. इसके साथ ही पीठ ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 11 जनवरी तय की.
इन धाराओं में तय किए गये थे आरोप
इससे पहले छह दिसंबर को निचली अदालत ने आशीष मिश्रा और 12 अन्य आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश और अन्य संबंधित धाराओं में आरोप तय किए गये थे. इसके साथ ही मुकदमे की सुनवाई शुरू होने का रास्ता साफ हो गया था.
कुल 13 आरोपियों पर भारतीय दंड विधान की धारा 147 (बलवा), 148 (धारदार हथियार लेकर बलवा करना), 149 (गैरकानूनी जमावड़े में शामिल किसी सदस्य द्वारा अपराध किया जाना), 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 326 (खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छापूर्वक नुकसान पहुंचाना), 427 (आर्थिक नुकसान पहुंचाना) और 120 (ख) (साजिश रचना) और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 177 के तहत आरोप तय किए गए थे.
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