भोपाल.  मध्यप्रदेश में 'कांग्रेस-से-मुक्ति-आंदोलन' ने जोर पकड़ लिया है. अभी विधायक कांग्रेस से आज़ाद हो रहे हैं और उसके बाद प्रदेश भी कांग्रेस से आज़ाद हो जाएगा. कांग्रेस के 22 विधायकों के त्यागपत्र के उपरान्त प्रदेश विधानसभा के स्पीकर ने कहा कि अब आगे यथाविधि कार्रवाई होगी. 


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हुई भाजपा की गहन बैठक सम्पन्न 


प्रदेश में सरकार निर्माण को ले कर होने वाली कार्रवाई को व्यवस्थित रूप देने के लिए होने वाली भाजपा की बैठक कल रात्रि सम्पन्न हो गई . भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के साथ-साथ कल 10 मार्च को पार्टी के नेताओं की बैठक में मध्य प्रदेश की राजनीतिक स्थिति पर भी चर्चा हुई. 


कल दिन की अहम गतिविधियां 


कल 10 मार्च मध्यप्रदेश की बदलती राजनीतिक तस्वीर का पहला पन्ना था. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिल्ली में पीएम मोदी और अमित शाह से भेंट की और उसके बाद बाकायदा त्यागपत्र दे कर कांग्रेस को तिलांजलि दे दी. कांग्रेस पार्टी के बाहर वालों के लिए यह एक सुखद आश्चर्य हो सकता है किन्तु खुद कांग्रेस के भीतर इसकी आशंका कम से कम पिछले एक साल से बनी हुई थी. 



 


सिंधिया अप्रसन्न थे कमलनाथ से 


सिंधिया राजपरिवार के निष्कलंक छवि वाले उत्तराधिकारी और वर्तमान में कांग्रेस के बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जितना झटका अपनी पार्टी को नहीं दिया उससे कहीं अधिक पार्टी के लिए मध्य्प्रदेश में संकट खड़ा कर दिया है. कल 10 मार्च को मुख्यमंत्री कमलनाथ से अप्रसन्न सिंधिया ने ट्वीट करके अपने त्यागपत्र को सार्वजनिक किया. यद्यपि एक वर्ष से अधिक समय से ज्योतिरादित्य पार्टी हाइकमान की उपेक्षा के शिकार थे. दिग्विजय सिंह तो उनके साथ सदा से ही पारिवारिक शत्रुता का निर्वाह करते आ रहे थे. और इन सब दुर्दशाओं के मध्य कदाचित यही सही समय भी था जब वे कांग्रेस का मोह त्याग कर राष्ट्रवाद की तरफ बढ़ते अपनी दादी विजयाराजे सिन्धिया की तरह. यदि वे ऐसा न करते तो स्थितियां निकट भविष्य में अधिक विषम हो सकती थीं, न केवल उनके सम्मान को लेकर बल्कि उनके अस्तित्व को लेकर भी.


सिंधिया के बाद विधायकों ने मुक्ति पाई 


महाजनो येन गतः स पन्थः की तर्ज पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का अनुसरण करते हुए कांग्रेस के 22  विधायकों ने भी अपने त्यागपत्र सौंप दिए. उन्ही में एक बिसाहू लाल सिंह ने तो विधायक पद से त्यागपत्र दे कर कांग्रेस पार्टी से भी मुक्ति पा ली और राष्ट्रवादी विकल्प चुनते हुए बीजेपी में शामिल हुए. इन तमाम विधायकों के त्यागपत्र के उपरान्त सभी भाजपा नेताओं ने साथ जाकर मध्य्प्रदेश विधानसभा स्पीकर से भेंट की.



 


विधानसभाध्यक्ष को सौंपे त्यागपत्र


इन सभी पूर्व कांग्रेसी विधायकों ने भाजपा के प्रतिनिधिमंडल के माध्यम से अपने त्यागपत्रों की मूल प्रति  विधानसभाध्यक्ष एन.पी. प्रजापति को सौंपी. प्रदेश के वरिष्ठ भाजपा नेता भूपेंद्र सिंह अपने साथ कांग्रेस के 19 विधायकों के त्यागपत्र की मूल प्रतियां लेकर भोपाल पहुंचे थे. कांग्रेस के इन 22 त्यागियों में से 6 तो प्रदेश मंत्रिमंडल में भी थे. अब ये सभी कांग्रेस-मुक्त विधायक और मंत्री कर्नाटक में हैं और वहीं से तस्वीर के माध्यम से इन्होने अपने आपको प्रतिनिधित्व दिया है. 


भाजपा खेमे को भारी समर्थन 


यह पार्टी की छवि के साथ ही पार्टी के नेताओं की छवि का भी प्रताप है कि कांग्रेस के विधायक तो त्यागपत्र दे कर इनके साथ आ ही गये, साथ ही मध्यप्रदेश के सपा-बसपा विधायकों ने भी भाजपा को समर्थन प्रदान कर दिया है. बसपा के विधायक प्रतिनिधि संजीव कुशवाहा और सपा के भी प्रदेश में विधायक प्रतिनिधि राजेश शुक्ला कल शाम शिवराज सिंह चौहान से मिलने उनके निवास पर भी पहुंचे.


दर्द भरे सुर कांग्रेस के


जैसी उम्मीद थी कांग्रेस की प्रतिक्रिया में पीड़ा अधिक थी, तर्क और विषयवस्तु बहुत कम. कांग्रेस नेताओं ने ज्योतिरादित्य के त्यागपत्र से हिली धरती पर कस कर पांव जमाने का प्रयास किया और त्यागपत्र देने वाले अपने बहुत बड़े नेता को गद्दार कह कर सुकून पाने की कोशिश की. लेकिन गिरा मनोबल और आसन्न पराजय का राग फाग के मौसम में अधीर रंजन चौधरी के मुंह से निकल ही गया - हमारी सरकार तो गई..


''कांग्रेस सुरक्षित है''


हालात और अधीर रंजन चौधरी की बात - दोनों को जानने और समझने के बाद भी प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया ने कमलनाथ से गले मिल कर उनको दिलासा दिलाई. इसके बाद कमलनाथ की प्रतिक्रिया भी सामने आई - आल इज़ वेल. कांग्रेस सेफ है !! कमलनाथ ने भूरिया के सुर में सुर मिला कर मीडिया को बताया कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार मजबूत है और चलती रहेगी. हमारे पास पर्याप्त संख्या बल है.


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