चंडीगढ़. पंजाब में पिछले नौ दिन में पराली जलाने की घटनाओं में करीब तीन गुना वृद्धि दर्ज की गयी है. इसके साथ ही अभी तक इस मौसम में ऐसे मामलों की कुल संख्या 2,625 हो गयी है. इस साल 15 सितंबर से 10 अक्टूबर तक राज्य में पराली जलाने की 718 घटनाएं सामने आई हैं.


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लुधियाना स्थित ‘पंजाब रिमोट सेंसिंग केंद्र’ के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में बुधवार को पराली जलाने की 436 घटनाएं दर्ज की गयी. पिछले दो वर्ष के मुकाबले इस साल पराली जलाने की घटनाएं कम देखी गयी हैं. राज्य में 2020 में 19 अक्टूबर तक पराली जलाने की 7,115 और 2021 में 2,942 घटनाएं दर्ज की गयी थीं.


सबसे ज्यादा घटनाएं तरन तारन जिले में
आंकड़ों के मुताबिक, बुधवार को पराली जलाने की सबसे अधिक घटनाएं तरन तारन (124) में दर्ज की गयी. इसके बाद अमृतसर में 82, गुरदासपुर में 64 और पटियाला में 27 घटनाएं दर्ज की गयी. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने लुधियाना में बुधवार को किसानों से धान के अवशेष जलाने से बचने का अनुरोध करते हुए कहा कि इससे वायु प्रदूषण के जरिए मानव जीवन को गंभीर खतरा पहुंचता है.


मुख्य सचिव बोले- जमीनी हकीकत का जायजा लें
इस बीच, पंजाब के मुख्य सचिव विजय कुमार जंजुआ ने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों से पराली जलाने की घटनाओं की जमीनी हकीकत का जायजा लेने के लिए सभी जिलों का नियमित दौरा करने को कहा है. जंजुआ ने एक बयान में कहा कि पराली जलाने की घटनाओं के कारण पंजाब को राष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है क्योंकि उच्चतम न्यायालय, राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता आयोग और राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने राज्य में पराली जलाने की घटनाओं को लेकर नाखुशी भी जतायी है.
 
पराली न जलाने वाले किसानों को दें पुरस्कार
मुख्य सचिव ने उपायुक्तों को निर्देश दिया कि पराली न जलाने वाले किसानों को जिला स्तर पर विशेष रूप से सम्मानित किया जाए ताकि अन्य किसान भी प्रेरित हो. गौरतलब है कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाया जाना अक्टूबर तथा नवंबर में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण के स्तर में चिंताजनक वृद्धि के प्रमुख कारणों में से एक है.


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