नई दिल्ली: महाराष्ट्र के सियासी घमासान का मैदान अब गुजरात से असम शिफ्ट हो गया है. एकनाथ शिंदे के साथ 46 बागी विधायक स्पेशल फ्लाइट से सूरत से गुवाहाटी पहुंच गए. गुवाहाटी पहुंचे बागी विधायकों की सुरक्षा को लेकर कड़े इंतजाम किए गए हैं. सभी विधायकों ने एक साथ कहा कि वे एकनाथ शिंदे के साथ हैं.


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महाराष्ट्र का सियासी नंबर गेम समझिए


सबसे पहले आपको महाराष्ट्र विधानसभा में पार्टियों का नंबर गेम और गुणा गणित समझना चाहिए. कौन कितना मजबूत है? इस सवाल का असली जवाब तब मिलेगा, जब तस्वीरें पूरी क्लीयर हो जाएंगी.


महाराष्ट्र में सत्ता की समीकरण क्या कहता है. एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उद्धव सरकार पर संकट क्यों मंडरा रहा है. इन तमाम सवालों के जवाब जानने के लिए ये महाराष्ट्र विधानसभा के अंकगणित पर गौर करना जरूरी है.


एकनाथ शिंदे के साथ बागी हुए विधायकों जोड़ लें तो महाराष्ट्र में उद्धव के साथ 168 विधायक हैं. इसमें शिवसेना के कुल 55 विधायक हैं. NCP के 53 विधायक, कांग्रेस के 44 विधायक जबकि, अन्य 16 विधायकों का समर्थन भी महाअघाड़ी सरकार के साथ है.




बात करें बीजेपी की तो उसके साथ कुल 113 विधायक हैं. इनमें बीजेपी के खुद के 106 विधायक शामिल हैं. जबकि 7 अन्य विधायक भी फडणवीस के पाले में हैं. कुल पांच विधायक ऐसे हैं जो किसी के साथ नहीं हैं यानि तटस्थ हैं. जबकि विधानसभा की एक सीट खाली है.


महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं. बहुमत के लिए 145 विधायकों का होना जरूरी है. लेकिन, एक सीट खाली होने की वजह से बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा 144 हो जाता है.


क्या कहता है सत्ता का समीकरण?


अब देखिए की सत्ता का समीकरण क्या कहता है. महाविकास अघाड़ी के पास 168 विधायक हैं, लेकिन, अगर इसमें से एकनाथ शिंदे समेत 46 बागी विधायकों को हटा दिया जाए तो गठबंधन के पास बचते हैं सिर्फ 122 यानि  बहुमत से 22 कम, क्योंकि फिलहाल विधानसभा की स्थिति के मुताबिक किसी को भी सरकार बनाने के लिए 144 विधायकों के समर्थन की जरूरत है.


एकनाथ शिंदे ने किया है ये दावा


शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने बुधावार को दावा किया कि उनके पास 40 विधायकों का समर्थन है. पार्टी के खिलाफ जाने के बाद पहली बार शिंदे ने गुवाहाटी हवाई अड्डे पर पहुंचने पर पत्रकारों से बात की. शिंदे शिवसेना के कुछ विधायकों के साथ सोमवार देर रात मुंबई से निकले थे और वहां से गुजरात के सूरत शहर में एक होटल में ठहरे थे.


हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं से बातचीत करने के बाद उन्होंने गुवाहाटी जाने का फैसला किया. गुवाहाटी हवाई अड्डे के बाहर शिंदे ने पत्रकारों से कहा, 'यहां 40 विधायक मेरे साथ हैं. इनके अलावा 10 और विधायक जल्द मेरे साथ आएंगे. मैं किसी की आलोचना नहीं करना चाहता. हम उस शिवसेना को बनाए रहने के इच्छुक हैं जिसे दिवंगत बाला साहेब ठाकरे ने बनाया था.'


मुख्यमंत्री पद साझा करने के मुद्दे को लेकर 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने अपने सबसे पुरानी सहयोगी भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ लिया था. शिवसेना ने तब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य में महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार का गठन किया था.


इस दौरान शिंदे ने ये भी कहा कि वे बाला साहेब ठाकरे की विचारधारा को आगे बढ़ाना चाहते हैं. इससे पहले शिवसेना मुखिया और सीएम उद्धव ठाकरे ने शिंदे को मनाने के लिए अपने दो करीबी नेताओं मिलिंद नार्वेकर और रविन्द्र फाटक को सूरत भेजा था. इन नेताओं के साथ शिंदे की करीब एक घंटे बैठक हुई. इस दौरान शिंदे ने उद्धव से फोन पर बात भी की.


एक तरफ जहां शिंदे संजय राउत को लेकर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं, वहीं संजय राउत भी लगातार हिंदुत्व को लेकर सफाई देने में जुटे हैं. मतलब साफ है कि महाराष्ट्र में राजनीतिक महासंग्राम अभी लंबा चलने वाला है.


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