नई दिल्ली: वाट्सएप ग्रुप (WhatsApp Group) में आपत्तिजनक पोस्ट करने के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि वाट्सप ग्रुप में किसी सदस्य द्वारा कि गयी पोस्ट के लिए एडमिन को जिम्मेदार नही माना जा सकता. जस्टिस कौशर ईडापगथ ने मैनुयल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ये व्यवस्था दी है.


हाईकोर्ट ने फैसले में क्या कहा?


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हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आपराधिक कानून में प्रतिवर्ती दायित्व तभी तय किया जा सकता है, जब कोई कानून ऐसा निर्धारित करे. उन्होंने अपने फैसले में कहा कि एक विकृत आपराधिक दायित्व केवल एक कानून के प्रावधान के कारण तय नहीं किया जा सकता है. एक विशेष दंड के अभाव में, एक समूह के सदस्य द्वारा आपत्तिजनक पोस्ट के लिए एक वाट्सएप ग्रुप के एडमिन को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है.


याचिकाकर्ता ने 'फ्रेंड्स' नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था. जिसके दो एडमिन थे जिसमें से याचिकाकर्ता भी एक था. मार्च 2020 में ग्रुप में दूसरे सदस्य द्वारा एक पॉर्न वीडियो अपलोड किया गया. इस पॉर्न वीडियो में बच्चों को शामिल दिखाया गया था. जिसके आधार पर आरोपी के खिलाफ आईटी एक्ट और पॉक्सो की धाराओं में मामला दर्ज किया गया. बाद में पुलिस ने याचिकाकर्ता को एडमिन होने के चलते अपराध में शामिल मानते हुए दूसरा आरोपी बनाया.


याचिकाकर्ता ने क्या कहा था?


हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने ये कहते हुए याचिका दायर की कि किसी समूह के सदस्य द्वारा पोस्ट कि गयी आपत्तिजनक सामग्री के लिए ग्रुप के एडमिन को अपराधिक रूप से उत्तरदायी माना जा सकता हैं. किसी एक अपराध में पहले आरोपी के कृत्य के लिए वैकल्पिक रूप से दूसरे को अपराधी ठहराया जा सकता है या नहीं!


दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने कहा कि सिविल और सेवा मामलों में प्रतिनियुक्त दायित्व आमतौर पर दो लोगों के बीच किसी न किसी कानूनी संबंध के कारण उत्तन्न होता हैं, लेकिन कई मामलों में ये पाया गया कि प्रतिवर्ती आपराधिक जिम्मेदारी केवल एक कानून के प्रावधान के कारण ही तय किया जा सकता है, अन्यथा नहीं किया जा सकता.


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हाईकोर्ट ने अपने फैसले में माना कि कोई विशेष कानून प्रतिवर्ती जिम्मेदारी तय नहीं करता है. चूकि कोई विशेष दंड कानून प्रतिवर्ती दायित्व नहीं बनाता है, इसलिए किसी वाट्सएप ग्रुप में एक सदस्य द्वारा किये गये पोस्ट के लिए एडमिन को जिम्मेदार नही माना जा सकता.


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