ओवैसी से ममता बनर्जी को क्यों है इतना डर? जानिए यहां
ममता बनर्जी को बंगाल की शेरनी कहा जाता है. जो लगभग एक दशक से बंगाल की सत्ता पर काबिज हैं. लेकिन अब ममता को ओवैसी के आने की आहट अपना मुस्लिम वोट बैंक का किला दरकने का डर सता रहा है. जिससे कभी नहीं डरने वाली ममता बनर्जी बौखला कर बयानबाजियां कर रही हैं. आईए आपको बताते हैं कि आखिर क्या है ममता बनर्जी के डर की असली वजह-
कोलकाता: ममता बनर्जी दहशत में हैं. और हों भी क्यों नहीं, आखिर पिछले दो दशक से जिस मुस्लिम वोट बैंक के सहारे वह मुख्यमंत्री पद पर वह काबिज हैं वह उन्हें अब अपने हाथों से फिसलता हुआ दिखाई दे रहा है. क्योंकि उनका सामना करने के लिए मैदान में उतर रहे हैं एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी. जिनके डर से ममता बनर्जी रोज अनाप शनाप बयानबाजियां कर रही हैं. इसकी वजह ये है कि ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है. उनके विकास का कभी ध्यान नहीं रखा. आज जब ओवैसी बंगाल के मुसलमानों के विकास का मुद्दा उठा रहे हैं तो ममता बनर्जी का डरना स्वाभाविक ही है.
ओवैसी ने उठाया बंगाल के मुसलमानों की बुरी हालत का मुद्दा
ऑल इंडिया मुस्लिम इत्तेहाद मुसलमीन यानी AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने पश्चिम बंगाल के मुसलमानों की हालत का मुद्दा क्या उठाया, ममता बनर्जी को जैसे मिर्च लग गई. ओवैसी मुस्लिम वोट बैंक को लुभाने के ममता बनर्जी के तौर तरीकों पर निशाना साधते हुए कहा था कि 'ममता अपने डर और हताशा का प्रदर्शन कर रही हैं. मुसलमान अब बदल चुका है. आपका जो नाटक है न सिर पर आंचल ओढ़ लिए, टोपी पहन लिए, दुआ के लिए हाथ उठा लिए. हम इसके मोहताज नहीं हैं. हम सशक्तिकरण चाहते हैं. उसके लिए आपने क्या किया.'
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ओवैसी ने बंगाल के मुसलमानों की आर्थिक हालत का भी मुद्दा उठाया. लेकिन इससे ममता बनर्जी भड़क गईं और उन्होंने ओवैसी द्वारा उठाए गए मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए बयानबाजी शुरु कर दी.
ममता ने ओवैसी को निशाने पर लिया
ओवैसी के बयान से ममता बनर्जी इतना बौखला गईं कि उन्होंने अनर्गल प्रलाप शुरु कर दिया. उन्होंने बुधवार को बंगाल के सागरदिघी में ओवैसी का नाम लिए बिना बयान दिया कि ‘उन नेताओं पर विश्वास नहीं करें जो बाहर से आते हैं और खुद को आपका (अल्पसंख्यकों का) हमदर्द दिखाने की कोशिश करते हैं. केवल बंगाल के नेता ही आपके हित के लिए लड़ सकते हैं. हैदराबाद से पैसों के बैग के साथ आने वाले नेता और खुद को मुसलमानों का हमदर्द बताने वाले भाजपा के सबसे बड़े सहयोगी हैं.'
इसके पहले कूचबिहार में सोमवार को ममता ने कहा था कि 'कुछ नेता लोगों में बंटवारा पैदा कर रहे हैं, उनकी एक पार्टी है जो इसको बढ़ावा दे रही है. ये लोग हैदराबाद से आते हैं और इस इलाके में रैलियां कर रहे हैं. ममता ने कहा कि इस तरह के लोग अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का दावा करते हैं, लेकिन आप इनकी बातों में ना आएं'.
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जानिए क्या है मामला
दरअसल ओवैसी पश्चिम बंगाल के मुसलमानों की बदहाली का मुद्दा उठा रहे हैं. जिनकी बुरी हालत किसी से छिपी नहीं है. मशहूर अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने पश्चिम बंगाल के मुसलमानों की हालत पर एक रिपोर्ट तैयार की थी. जिसमें कहा गया था कि 'पश्चिम बंगाल के मुसलमानों में सिर्फ एक फीसदी परिवार के पास ही प्राइवेट सेक्टर में सैलरी वाली नौकरी है. ग्रामीण इलाकों में रह रही 47 फीसदी मुस्लिम आबादी खेती और गैर कृषि योग्य काम में लगी हुई है. राज्य के 80 फीसदी मुस्लिम परिवारों की कमाई प्रति माह सिर्फ 5000 रुपये है. जो कि गरीबी रेखा के लिए तय किए गए मानक से ज्यादा नहीं है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 38.3 फीसदी मुस्लिम परिवार 2500 रुपये प्रतिमाह कमा पाता है, जो कि गरीबी रेखा के लिए तय किए गए मानक से एक चौथाई नीचे है. महज 3.4 फीसदी मुस्लिम परिवारों की कमाई 15,000 रुपये या फिर इससे ज्यादा है'.
असली मुद्दों का जवाब देने से बच रही हैं ममता बनर्जी
ओवैसी ने बंगाल के मुसलमानों की इसी बुरी हालत की तरफ ममता बनर्जी का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की थी. लेकिन ममता बनर्जी उन्हें भाजपा का एजेन्ट, मुसलमानों को बरगलाने वाला, बंटवारा पैदा करने वाला घोषित करने में जुट गई हैं. मुख्यमंत्री बंगाल के मुसलमानों की आर्थिक हालत को लेकर ओवैसी के सवालों का जवाब देने से बच रही हैं.
लेकिन ममता बनर्जी का ओवैसी को लेकर यह डर दिखाता है कि वह आने वाले खतरे को पहचान चुकी हैं. ऐसे में पश्चिम बंगाल के मुसलमानों का ओवैसी की तरफ झुकाव उनकी दशक भर पुरानी मुख्यमंत्री की कुर्सी छीन सकता है. ममता इसीलिए इतनी बौखलाई हुई हैं.
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